जर्मनी में पिकासो की प्रदर्शनी
२१ मार्च २०१९
पिकासो की दुनिया की 8 खिड़कियां
पिकासो की दुनिया की 8 खिड़कियां
मशहूर चित्रकार पाब्लो पिकासो में ढेरों हुनर थे. लेकिन जब भी उनकी जिंदगी कोई नई दिशा चुनती वे बार बार अपनी पसंदीदा 'खिड़की' पर वापस लौटते. 'खिड़की' पिकासो के सृजन का खास विषय रहा है.
रचनात्मकता का पावरहाउस
स्पेन के कलाकार पाब्लो पिकासो (1881-1973) 20वीं सदी के कला जगत की एक प्रमुख शख्सियत रहे हैं. पेंटिंग के साथ ही उन्होंने मूर्तिकला, कविता और कई अन्य विधाओं में काम किया. उनकी ये तस्वीर फोटोग्राफर रोबर्ट दोवानो ने ली थी जिसमें पिकासो के मजबूत हाथ उनकी रचनात्मक क्षमताओं की गवाही दे रहे हैं. अपनी जिंदगी में पिकासो ने 40,000 कलाकृतियां रचीं.
शुरूआत में परंपरावादी कलाकार
पिकासो का शुरूआती काम परंपरागत है. सन् 1900 की इस पेंटिंग में बाहर के बर्फीले नजारे को झांकती एक खिड़की है. इसी साल पिकासो ने पेरिस के प्रसिद्ध इलाके मोमात्र में एक मशहूर कलाकार का घर स्टूडियो के बतौर किराए पर ले लिया. यहां उनकी मुलाकात मातिस और टूलूज-लोट्रेक से हुई. उसके बाद 1901 में नौजवान पिकासो वापस स्पेन लौट आए.
पिकासो का मॉडल बेटा
शुरूआत में पिकासो की प्रेरणा नर्तक, सर्कस के लोग और खासकर मसखरे लोग रहे. इस किस्म के लोग पिकासो के काम में बार बार दिखाई देते हैं. 1925 में बनी उनकी मशहूर कलाकृति ''पाओलो एज पिएरो'' में खास पोशाक पहने उनका बेटा एक खिड़की के पास खड़ा है. ये तस्वीर भी हैम्बर्ग में चल रही प्रदर्शनी ''पिकासो विंडो टू दि वर्ड'' में शामिल की गई है.
अमूर्तता का बेजोड़ औजार
क्यूबिज्म से परिचय करा पिकासो ने उस दौर की कला को एक नया आयाम दिया. इसमें उन्होंने अपनी पेंटिंग के मूल विषय की बाहरी रेखाओं को कुछ अमूर्त वर्गों में पिघलते हुए दर्शाया. ये उस दौर के लिए एकदम नया और क्रांतिकारी प्रयोग था. उनकी ये विधा बाद में फ्रांसीसी अतियथार्थवाद के वाहक रहे ब्रेतों और आरागों के साथ उनकी करीबी से और विकसित हुई.
प्रेमिकाएं और उनकी प्रेरणा
पिकासो की कलात्मक बेचैनी को उनकी ज़िदगी में आई महिलाओं ने भी प्रभावित किया. उन्हें अपनी प्रेमिकाओं की पेंटिंग बनाना पसंद था और उन्होंने कई प्रेमिकाओं के चित्र बनाए भी. ये पेंटिंग, ''वूमन सिटिंग नियर ए विंडो, मैरी थैरेस'' पिकासो ने 1932 में बनाई, ये लंबे समय तक साथ रहीं डोरा मार से उनकी मुलाकात से तकरीबन दो साल पहले की बात है.
पिकासो की कला में अंधियारा दौर
बाद के सालों में पिकासो के उजले रंगों की जगह उदास रंगों ने ले ली. उन्होंने 'दि शैडो' नाम की अपनी ये तस्वीर 1953 में रची. इसी साल 10 सालों तक उनकी पत्नी रहीं फ्रोंस्वाज जीलो ने उन्हें छोड़ दिया. ये पिकासो की जिंदगी का एक अंधियारा दौर रहा. इस दौर की उनकी कलाकृतियों में 'खिड़की' फिर एक बार लौट आई.
कलाकार का वैराग
1955 में पिकासो ने कान के निकट अपनी जागीर ''ला कैलिफोर्नी'' को बेच दिया. उनका कहना था कि यहां वीराने में मौजूद उनके स्टूडियो ने उन्हें काम करने की गजब की प्रेरणा दी थी. पिकासो बेहद मशहूर हो गए थे. पेरिस की गलियों में हर कोई उन्हें जानता था और उनका बड़ा प्रशंसक था. अब वे एकाकीपन की तलाश में प्रोवांस जाते और हफ्तों रहते.
दुनिया की तरफ खुलती खिड़की
खिड़की से बाहर झांकना पिकासो के लिए आध्यात्मिक आश्रय भी बन गया था और उनकी कला के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी. अपने सबसे रचनात्मक दौर में और खासकर अपने कलात्मक पुनर्निमाण के क्षण में पिकासो हमेशा अपनी 'खिड़की' की ओर लौटे. 'पिकासो, विंडो टू द वर्ड'' नाम से चल रही ये प्रदर्शनी हैमबर्ग में ब्यूसेरियस फोरम में 16 मई 2016 तक चलनी है.