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जर्मनी में पुलिस और खुफिया एजेंटों की भर्ती क्यों हो रही है

१८ दिसम्बर २०१९

जर्मनी में सैकड़ों पुलिसकर्मियों और खुफिया एजेंटों की भर्ती की जा रही है ताकि धुर दक्षिणपंथी चरमपंथ से लड़ा जा सके. पिछले साल देश में कई घटनाओं के बाद सरकार ने कदम उठाया है.

Polizisten mit Tätowierung in Deutschland
तस्वीर: picture-alliance/AP Images/M. Sohn

मंगलवार को जर्मनी के गृह मंत्री ने इस बारे में जानकारी दी. गृह मंत्री होर्स्ट सीहोफर ने बताया कि संघीय अपराध पुलिस कार्यालय और खुफिया एजेंसी बीएफवी दोनों जगह 300-300 कर्मियों की भर्ती करेंगे. ये लोग खासतौर से धुर दक्षिणपंथी अपराधों की जांच करेंगे और उन्हें रोकने के लिए काम करेंगे.

जर्मनी में इनके अलावा धुर वामपंथी और इस्लामी चरमपंथ का भी खतरा है और नए लोगों की भर्ती इसलिए की जा रही है ताकि जो उन्हें रोकने के लिए चलने वाली मुहिम कमजोर ना पड़े. जर्मन गृहमंत्री ने पत्रकारों से कहा, "जर्मनी की आंतरिक सुरक्षा के लिए यह एक बहुत बड़ी चुनौती है." सीहोफर ने कहा कि जर्मनी में कुल मिला कर सुरक्षा की स्थिति अच्छी है लेकिन कुछ "अलग अलग भयानक घटनाएं" हुई हैं, जिनकी वजह से लोगों का भरोसा डगमगा रहा है.

सिनोगॉग पर हमले के संदिग्ध को कोर्ट ले कर जाती पुलिस. तस्वीर: Reuters/R. Orlowski

जर्मन गृह मंत्री ने अक्टूबर में हाले शहर के सिनेगॉग (यहूदी प्रार्थना घर) पर हुए हमले की ओर ध्यान दिलाया. इस घटना में हमलावर ने इमारत पर हमला करने से पहले सोशल मीडिया पर एक यहूदियों के खिलाफ एक भड़काउ बयान पोस्ट किया. जब वह सिनोगॉग के अंदर नहीं घुस सका तो उसने बाहर दो लोगों की जान ले ली. इसी तरह से जून में चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी के एक क्षेत्रीय नेता की हत्या कर दी गई. इस ने ता ने चांसलर मैर्केल के शरणार्थियों के प्रति स्वागत के भाव का समर्थन किया था. 

जर्मनी में करीब 12,000 ऐसे लोग हैं जिनकी विचारधारा धुर दक्षिणंथी है और जो हिंसक हो सकते हैं. संघीय अपराध पुलिस कार्यालय के प्रमुख होल्गर मुएंच ने हालांकि ध्यान दिलाया है कि आधे से ज्यादा दक्षिमपंथी अपराध ऐसे लोगों ने किए जिनके बारे में पुलिस पहले से नहीं जानती थी. इनमें हाले के सिनेगॉग का हमलावर भी शामिल है.

तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Sohn

पुलिस और खुफिया एजेंटों की नई यूनिट की जिम्मेदारी संगठनों, क्लबों और नेटवर्कों में गहरी पैठ बनाना और संभावित दोषियों की अच्छे से पहचान करना ताकि अपराध को होने से पहले ही रोका जा सके. इसके साथ ही ये लोग इस बात की भी निगरानी करेंगे कि धुर दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग पुलिस, सेना और दूसरे सार्वजनिक सेवाओं में ना जा सकें.

एनआर/आरपी (एपी)

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