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जर्मनी में फिर बढ़ा कोरोना का संक्रमण

ऋषभ कुमार शर्मा
११ मई २०२०

यूरोप में जर्मनी ने कोरोना वायरस को काबू में कर लिया था. इसके बाद लॉकडाउन में धीरे धीरे ढील देने का फैसला किया गया, पर संक्रमण के मामले दोबारा से बढ़ने लगे हैं. भारत में भी 10 मई को चार हजार से ज्यादा मामले सामने आए.

BdT - Corona Lockerungen in Tuebingen
तस्वीर: picture-alliance/J. Biniasch

पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी के प्रकोप से जूझ रही है. अमेरिका जैसे विकसित देश में इस बीमारी के चलते 80 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. यूरोप में मौतों की संख्या एक लाख से ज्यादा है. लेकिन यूरोप के सबसे बड़े देशों में से एक जर्मनी ने इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पा लिया था. जर्मनी में कोविड-19 से पीड़ित 80 प्रतिशत से अधिक रोगी ठीक हो गए हैं. यहां पर मृत्युदर यूरोप के बाकी देशों की तुलना में बेहद कम हैं. जर्मनी में नए लोगों में संक्रमण फैलने की दर भी कम हो गई थी. इसको देखते हुए जर्मनी ने लॉकडाउन में ढील देकर जनजीवन को वापस सामान्य करने की कोशिश शुरू की. लेकिन लॉकडाउन में ढील के दो हफ्ते बाद कोरोना वायरस का संक्रमण बढ़ने लगा है.

संक्रमण दर में फिर उछाल

जर्मनी ने कोरोना वायरस की संक्रमण दर (रिप्रॉडक्शन रेट) को एक के नीचे कर लिया था. इसका मतलब है कि औसतन एक मरीज से यह संक्रमण एक व्यक्ति को लग रहा था. लेकिन लॉकडाउन खोलने के बाद ये दर बढ़ने लगी है. रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट के मुताबिक 9 मई को ये दर 1.1 और उसके अगले दिन 1.13 रही है. इंस्टीट्यूट का कहना है कि कोरोना वायरस के असर को धीरे-धीरे खत्म कर देने के लिए इस दर का एक से नीचे रहना जरूरी है. इन दोनों दिनों में जर्मनी में रिपोर्ट किए गए कोरोना वायरस के मामलों की संख्या भी पहले से ज्यादा रही. हालांकि रॉबर्ट कॉख इंस्टीट्यूट का कहना है कि संख्या में इस बढ़ोत्तरी की सघन जांच करने पर ही यह पता चल सकेगा कि संक्रमण का स्तर पहले की तुलना में असल में बढ़ा है या घटा है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने कहा था कि लॉकडाउन हटने के बाद आने वाले मामलों को देखकर जर्मन राज्य अपने यहां लॉकडाउन पर फैसला ले सकेंगे.

जर्मन अर्थव्यवस्था पर भी कोरोना से विपरीत असर पड़ा है. जर्मनी के इंस्टीट्यूट ऑफ इकॉनमिक रिसर्च के मुताबिक देश में 39 प्रतिशत कार कंपनियों, 58 प्रतिशत रेस्तरां और 43 प्रतिशत ट्रेवल एजेंसियों ने अपने यहां स्टाफ में कमी की है. इसका असर जर्मनी के श्रम बाजार पर पड़ेगा. विशेषज्ञों का अनुमान है कि फार्मा सेक्टर के अलावा लगभग सभी सेक्टरों में बड़े स्तर पर कर्मचारियों की बड़ी संख्या में छंटनी होगी. जर्मनी में सरकार ने काम करने के घंटों में कटौती करने की एक योजना शुरू की है. इसमें सरकार काम के घंटों में कटौती करने वाली कंपनियों को सब्सिडी देगी.

दूसरे देश भी हैं बेहाल

कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपीय देश ब्रिटेन ने 1 जून तक लॉकडाउन रखने का फैसला किया है. ब्रिटेन में अब तक करीब 32 हजार लोगों की जान कोविड-19 के चलते जा चुकी है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन खुद कोरोना से संक्रमित हो गए थे. फ्रांस ने भी अपने यहां लागू लॉकडाउन में ढील दी है. अब वहां लोग जरूरी कामों से 100 किलोमीटर तक बिना रोक टोक के यात्रा कर सकेंगे. न्यूजीलैंड ने अपने यहां लॉकडाउन की पाबंदियों को और कम करने का फैसला किया है. अगले सप्ताह से वहां स्कूल भी खोल दिए जाएंगे.

दुनिया का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला और अर्थव्यवस्था के आकार में पांचवां सबसे बड़ा देश भारत भी कोरोना से जूझ रहा है. 10 मई को यहां कोरोना वायरस के मामलों में सबसे बड़ी बढ़ोत्तरी दर्ज की गई. भारत में पहली बार एक दिन में चार हजार से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए. सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में आर्थिक रूप से सबसे ज्यादा मजबूत महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली और तमिलनाडु शामिल हैं. लेकिन केंद्र सरकार ने अब वहां भी लॉकडाउन को धीरे-धीरे खोलना शुरू किया है. भारत सरकार 12 मई से 15 रेलगाड़ियां चलाना शुरू करेगी. साथ ही सरकार 15 मई से घरेलू उड़ानों को भी चालू करने पर विचार कर रही है. यहां पर जारी लॉकडाउन की अवधि 17 मई को खत्म होगी.

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