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"जर्मनी में बड़ा आतंकवादी हमला टला"

३० अप्रैल २०११

जर्मनी का कहना है कि वह लगातार आतंकवादियों के निशाने पर बना हुआ है और वे यहां किसी बड़े आतंकवादी हमले को अंजाम दे सकते हैं. शुक्रवार को ऐसे ही एक हमले को टालने का दावा किया गया.

Journalisten stehen am Freitag (29.04.11) in Duesseldorf vor der Eingangstuere des Hauses, in dem in der Nacht zum Freitag zwei mutmassliche Al-Kaida-Terroristen festgenommen worden sein sollen. Die Sicherheitsbehoerden haben offenbar einen geplanten islamistischen Terroranschlag in der Bundesrepublik vereitelt. Die Bundesanwaltschaft liess am Freitagmorgen drei mutmassliche Mitglieder der Terrororganisation Al-Kaida festnehmen, wie die Strafverfolgungsbehoerde in Karlsruhe ohne Nennung weiterer Details mitteilte.
तस्वीर: dapd

जर्मनी के गृह मंत्री हांस-पेटर फ्रीडरिष ने कहा है कि एक बड़े आतंकवादी हमले का खतरा टल गया है. उन्होंने कहा, "इससे साबित होता है कि जर्मनी लगातार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के निशाने पर बना हुआ है और हमें बेहद चौकस रहने की जरूरत है."

तस्वीर: dapd

जर्मनी की पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है जिन पर आतंकवादी संगठन अल कायदा से जुड़े होने का संदेह है. अधिकारियों ने कहा है कि एक ठोस आतंकवादी ऑपरेशन का खतरा टल गया है जिसे बहुत जल्द अंजाम दिया जाने वाला था.

कौन हैं संदिग्ध

जर्मन अखबार बिल्ड ने सुरक्षा सूत्रों के हवाले से लिखा है कि गिरफ्तार किये गए तीनों नौजवान मोरक्को के रहने वाले हैं. इन्हें ड्यूसेलडॉर्फ और बोखुम से गिरफ्तार किया गया. अखबार के मुताबिक पुलिस ने युवकों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया है.

संघीय अभियोक्ता और पुलिस इन तीनों के साथ 15 अप्रैल से पूछताछ कर रही थी. पुलिस को संदेह है कि इन तीनों का संबंध अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठन अल कायदा से है.

जर्मनी में अब तक कोई बड़ा आतंकवादी हमला तो नहीं हुआ है लेकिन आतंकवादी वेबसाइटों के जरिए उसे धमकियां मिलती रही हैं. सुरक्षा अधिकारियों ने इस तरह की चेतावनियां जारी की हैं कि देश में आतंकवादियों के स्लीपर सेल मौजूद हो सकते हैं. स्लीपर सेल आतंकवादी संगठनों के वे सदस्य होते हैं जिनका संगठन से सीधा संबंध नहीं होता लेकिन किसी हमले को अंजाम देने से ठीक पहले उन्हें सक्रिय किया जा सकता है.

तस्वीर: AP

अफगानिस्तान युद्ध है वजह

जर्मनी इसलिए भी आतंकवादी खतरा महसूस करता है क्योंकि उसके पांच हजार सैनिक अफगानिस्तान में तैनात हैं और तालिबान से लड़ रहे हैं. पिछले साल नवंबर में जर्मन गृह मंत्रालय ने कई अहम ठिकानों की सुरक्षा बढ़ाई थी. इनमें रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डे शामिल हैं. तब भी जांच एजेंसियों ने एक बड़े हमले का खतरा बताया था.

जर्मनी इसलिए भी आतंकवादियों के निशाने पर हो सकता है क्योंकि यहां अमेरिका का सैन्य बेस है जो यूरोप में सबसे बड़ा है. मार्च में एक बंदूकधारी ने फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर दो अमेरिकी वायु सैनिकों की गोली मार कर हत्या कर दी थी और दो को घायल कर दिया था. जांचकर्ताओं ने तब कहा था कि इसकी वजह अफगानिस्तान युद्ध से पैदा हुआ गुस्सा हो सकता है.

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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