यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और एक अमीर एवं विकसित देश जर्मनी में रहने वाले लोगों पर बुढ़ापे में गरीबी झेलने का खतरा बढ़ता जा रहा है. आर्थिक मुद्दों पर शोध करने वाले एक जर्मन संस्थान ने अपनी स्टडी में ऐसा पाया है.
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जर्मन इंस्टीट्यूट फॉर इकनॉमिक रिसर्च (डीआईडब्लू) ने लोगों की भविष्य में होने वाली आय का अनुमान लगाने के लिए अध्ययन किया. उन्होंने पाया कि अपने जीवन के आखिरी पड़ाव में अधिक से अधिक जर्मन लोगों के गरीबी में जीने का खतरा है. जर्मनी का हर पांच में से एक पेंशनभोगी अगले दो दशकों में ही खुद को गरीबी की जद में पाएगा.
स्टडी के लेखकों ने बताया कि अगर समाज के सबसे जरूरतमंद लोगों को एक आधारभूत राशि पेंशन के रूप में मिल भी रही होगी तब भी वह उनके लिए नाकाफी होगी. आज के 48 फीसदी के स्तर से घटकर पेंशन राशि 2045 की औसत आय का केवल 43 प्रतिशत रह जाने का अनुमान है. जर्मनी की लेफ्ट पार्टी पेंशन को बढ़ाकर औसत आय का 53 फीसदी करने की मांग कर रही है.
डीआईडब्लू की स्टडी में यह भी बताया गया कि 2045 तक गरीबी का खतरा आज के 17 प्रतिशत से बढ़कर करीब 21 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा. जर्मनी के बेर्टेल्समन फाउंडेशन ने इस स्टडी के बारे में कहा कि वे अगले 20 सालों में बाजार में रोजगार की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद कर रहे हैं. हालांकि उसने भी माना कि लंबे समय से बेरोजगारी झेलने वाले, सिंगल लोग और कम शैक्षणिक योग्यता वाले कुछ समूहों को उस सुधार से भी बहुत कम ही फायदा होगा.
स्टडी के मुख्य लेखक क्रिस्टोफ शिलर ने बताया, "श्रम बाजार में तमाम सुधार लाने के बावजूद, हमें इस सूरत के लिए तैयार रहना होगा कि अगले 20 सालों में बुजुर्गों में गरीबी में बड़ी बढ़ोत्तरी आ सकती है." ऐसे लोग जिनकी कमाई औसत आय के 60 फीसदी यानी 905 यूरो प्रतिमाह से कम हो, उन पर गरीबी का जोखिम झेलने का खतरा है. स्टडी के लेखकों का अनुमान है कि ऐसे लोगों की तादाद भी 9 फीसदी से बढ़ कर लगभग 12 फीसदी हो जाएगी, जो सरकारी सहायता राशि पर निर्भर करेंगे. उनकी मासिक आय 777 यूरो प्रति माह से भी कम होगी.
फिलहाल जर्मनी की गठबंधन सरकार बेसिक पेंशन योजना पर विचार कर रही है जिसका लक्ष्य पूरे जीवन कम आय पर काम करने वाले कामगारों को पेंशन पर जीने के समय गरीबी से बाहर रखना है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. उनका कहना है कि बहुत कम लोग ही उस नई योजना के दायरे में आ पाएंगे. उसका लाभ उठाने की शर्तें हैं कि व्यक्ति ने कम से कम 35 साल तक काम किया हो और बच्चों या रिश्तेदारों की देखभाल का जिम्मा उस पर हो. इसके बजाए, स्टडी के लेखकों का प्रस्ताव है कि लोगों का एक सरल सा इनकम टेस्ट कराया जाए और उस आधार पर योजना बनाई जाए. अपनी स्टडी में संस्थान ने करीब 30,000 लोगों की आय को मॉडल बना कर अगले 20 सालों में उनकी आय के स्तर का अनुमान लगाया था.
ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनोमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (OECD) के मुताबिक दुनिया में पेंशन पाने वाले पुरुषों की औसत उम्र 64.3 और महिलाओं की 63.7 वर्ष है. देखिए पेंशन पाने के लिए किन देशों में कितनी उम्र तक काम करना पड़ता है.
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भारत
भारत में अब भी पेंशन पाने की उम्र काफी कम है. सरकारी सेक्टर में काम करने वालों को 60 जबकि सुप्रीम कोर्ट के जजों को 65 साल की उम्र तक काम करना होता है. प्राइवेट सेक्टर में काम करने वालों के लिए भी रिटायरमेंट की उम्र 60 साल तय की गई है.
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चीन
चीन में महिला और पुरुष की रिटायरमेंट की उम्र में दुनिया में सबसे ज्यादा अंतर है. महिलाएं 50 जबकि पुरुष 60 साल पर रिटायर होते हैं. चूंकि देश की 15 फीसदी आबादी इस उम्र की या इससे ऊपर है, चीनी सरकार साल दर साल इसे कुछ महीने बढ़ाते जाने की सोच रही है.
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जापान
सन 1998 में यहां रिटायर होने की उम्र बढ़ाकर 55 से 60 की गई. तब से यह लगातार बढ़ती ही जा रही है. फिलहाल 62.7 पर पहुंची है. 2025 तक महिलाओं और पुरुषों के लिए ये बढ़कर 65 हो जाएगी. जापान में दुनिया के सबसे ज्यादा बुजुर्ग लोग रहते हैं.
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रूस
2002 में रूस ने रिटायरमेंट सिस्टम में काफी बदलाव किए लेकिन उम्र नहीं बदली. हाल ही में ऐसी कोशिश को जनता का विरोध झेलना पड़ा. राष्ट्रपति पुतिन चाहते थे कि पुरुषों के लिए इसे बढ़ाकर 60 से 65 किया जाए और महिलाओं के लिए 55 से बढ़ाकर 63 साल.
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ब्रिटेन
पेंशन पाने की उम्र फिलहाल पुरुषों में 65 साल है. महिलाओं के लिए इसे बढ़ाकर 60 से 65 किया जा रहा है. 2019 में पेंशन की उम्र बढ़ाकर दोनों के लिए अक्टूबर 2020 तक 66 साल किया जाएगा. इसके आगे भी बढ़ाई जा सकती है पेंशनरों की उम्र.
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नीदरलैंड्स, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन
इन देशों में रिटायर होने की उम्र 65 साल से 66 के बीच है. जर्मनी में आप चाहें तो 65 साल पर ही स्वेच्छा से रिटायरमेंट ले सकते हैं. लेकिन पूरी सरकारी पेंशन आपको 65 के होने के बाद ही मिलेगी.
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संयुक्त अरब अमीरात
यहां दुनिया में सबसे जल्दी रिटायर होने का विकल्प है. अमीराती लोगों को केवल 49 साल की उम्र में ही यह विकल्प मिल जाता है जबकि वहां काम कर रहे विदेशी लोगों को 60 तक काम करना पड़ता है. विदेशी चाहें तो मंत्रालय से खास अनुमति लेकर 60 के बाद भी 65 की उम्र तक काम कर सकते हैं.
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लीबिया
सन 2017 में लीबिया में रिटायर होने की उम्र बढ़ाकर 65 से 70 साल कर दी गई. लेकिन यह अनिवार्य नियम नहीं है और लोग चाहें तो अभी भी 65 पर रिटायर हो सकते हैं.
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आइसलैंड, नॉर्वे
इन देशों में महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए रिटायर होने की उम्र 67 साल है. यह OECD देशों में सबसे ज्यादा है. लेकिन यह देखना चाहिए कि यहां लोग सबसे लंबा जीते भी हैं. आइसलैंड में औसत आयु 82.8 साल और नॉर्वे में 82.1 साल है.
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ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम
फिलहाल इस दोनों देशों में लोग औसतन 65.5 की उम्र में रिटायर हो रहे हैं लेकिन जुलाई 2023 से बेल्जियम में इसे बढ़ाकर 67 साल किया जा रहा है. इसके बाद भी हर दो साल के बाद इसे छह महीना बढ़ा दिया जाएगा. 2035 तक ऑस्ट्रेलिया में इसे बढ़ाकर 70 साल करने की योजना है.
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अमेरिका
यहां रिटायर होने की औसत आयु 66 वर्ष है. सरकारी नियमों में आयु 65 वर्ष तय की गई है लेकिन 1938 या उसके बाद पैदा हुए लोगों के लिए यह बढ़ती गई. 1959 के बाद पैदा हुए लोगों के लिए यह बढ़ कर 67 साल तक पहुंच गई.