सन 2023 से जर्मनी ग्लाइफोसेट नामक कीटनाशक पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाएगा. ग्लाइफोसेट रसायन को कैंसर फैलाने की जिम्मेदार माना जा रहा है.
विज्ञापन
जर्मनी के पर्यावरण मंत्रालय ने 2023 से ग्लाइफोसेट पर पूरी तरह बैन लगाने का एलान कर दिया है. मंत्रालय ने कहा कि अगले साल से ग्लाइफोसेट के इस्तेमाल को सीमित किया जाने लगेगा.
ग्लाइफोसेट एक घातक रसायन है जो खरपतवार खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल मोनसैंटो कंपनी के राउंडअप कीटनाशक में होता है.
अमेरिका में एक किसान ने मोनसैंटो पर मुकदमा करते हुए कहा कि ग्लाइफोसेट के चलते उसे कैंसर हुआ. अदालत में यह बात साबित हो गई. मार्च 2019 में मोनसैंटो को आठ करोड़ डॉलर का हर्जाना देने का आदेश दिया गया. ऐसे ही कई और मामलों पर फिलहाल अमेरिका में सुनवाई हो रही है.
इसकी आंच यूरोप तक भी पहुंच गई है. जुलाई में ऑस्ट्रियाई संसद के निचले सदन ने हर तरह से ग्लाइफोसेट के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया. अगस्त में फ्रांस के 20 मेयरों ने भी इस रसायन पर बैन लगा दिया.
जर्मनी की दिग्गज फॉर्मासूटिकल कंपनी बायर, मोनसैंटो की अभिभावक कंपनी है. बायर ने जर्मन सरकार के फैसले का विरोध किया है. कंपनी के मुताबिक दुनिया भर में बड़ी वैज्ञानिक समीक्षा के बाद ही 40 साल से ज्यादा समय से सुरक्षित ढंग से ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल हो रहा है.
यूरोपीय संघ में ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल दिसंबर 2022 तक मान्य है. जर्मनी का कहना है कि 2020 से ही ग्लाइफोसेट का इस्तेमाल कम से कम किया जाएगा. निजी घरों, गार्डनों और सार्वजनिक जगहों पर अभी ही इस्तेमाल बैन है. अब तैयारी की जा रही है कि फसल की बुआई और कटाई के बाद भी इसका इस्तेमाल कसा जाए.
2015 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ग्लाइफोसेट को लेकर चेतावनी दी थी. डब्ल्यूएचओ इस नतीजे पर पहुंचा था कि ग्लाफोसेट से कैंसर होने की संभावना बनती है. जर्मन कंपनी बायर ने 2018 में अमेरिकी बीज और कीटनाशक कंपनी मोनसैंटो को 63 अरब डॉलर में खरीदा था. अब कंपनी मोनसैंटो के सारे कानूनी मुकदमे झेल रही है.
ऊर्जा की लगातार बढ़ रही जरूरत पूरा करने के लिए जितना ज्यादा अक्षय ऊर्जा के स्रोतों का इस्तेमाल हो अच्छा है. हमारे आसपास मौजूद पेड़ पौधे ऐसे में बड़े काम के हैं. जानिए ऐसे पेड़-पौधों के बारे में.
तस्वीर: DW/M. Mostafigur Rahman
बहुगुणी सूरजमुखी
प्रकृति में अक्षय ऊर्जा के कई स्रोत मौजूद हैं. पेड़ पौधों के शौकीन लोग सूरजमुखी को सुंदरता और तेल के लिए जानते हैं, औद्योगिक स्तर पर इसका इस्तेमाल खाद्य तेल, ल्यूब्रिकेंट और बायोडीजल बनाने में होता है. जर्मनी में चार लाख हेक्टेयर के क्षेत्र में सूरजमुखी की खेती होती है.
तस्वीर: Fars
पुराना स्रोत
जंगलों से मिलने वाली लकड़ी का इस्तेमाल मनुष्य ऊर्जा के लिए हमेशा से कर रहा है. जर्मनी में बन रही नई इमारतों में से 15 प्रतिशत लकड़ी से बनाई जाती हैं.
तस्वीर: Henry Czauderna - Fotolia.com
कच्चे माल से ऊष्मा
पिछले एक दशक में लकड़ी के टुकड़ों का इस्तेमाल स्टोव जलाने के लिए बढ़ा है. तेल बचाकर लकड़ी से आग जलाना एक अच्छा विकल्प है.
तस्वीर: picture alliance/dpa
स्टीम इंजन का रहस्य
रेपसीड यानी सफेद सरसों का इस्तेमाल मनुष्य सदियों से कर रहा है. मध्यकाल से ही यह दीया जलाने के लिए तेल का भी स्रोत है. 19वीं सदी में रेपसीड के तेल का इस्तेमाल इंजन में चिकनाई पैदा करने वाले ल्यूब्रिकेंट के रूप में हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
बायोगैस के नुकसान
बायोगैस प्लांट के लिए बड़े पैमाने पर मक्के और सरसों की पैदावार बढ़ाई जा रही है. लेकिन खेती के लिए जर्मनी के कई इलाकों का नक्शा ही बदल गया है, इससे कई जंगली पौधों और जानवरों के आवास पर भी असर पड़ा है.
तस्वीर: Jürgen Fälchle/Fotolia
मक्का एक काम अनेक
मक्का दुनिया भर में सबसे ज्यादा उगाई जाने वाली फसल है. इसकी पैदावार सिर्फ अक्षय ऊर्जा के मकसद से नहीं, बल्कि पशुओं और इंसानों के आहार कि लिए भी होती है. मक्के से गोंद और चिपकाने के दूसरे पदार्थ बनाए जाते हैं.
तस्वीर: Fotolia/siwi1
पौधे से प्लास्टिक
मक्के, आलू और गन्ने के पौधों से प्लास्टिक बनाई जाती है. इन दिनों कई उत्पाद बायोप्लास्टिक से तैयार हो रहे हैं, जैसे थैलियां, डेयरी उत्पादों के डब्बे और रेजर जैसी सामग्री. पर्यावरण संरक्षक बायोप्लास्टिक के इस्तेमाल का समर्थन करते हैं.
तस्वीर: DW/F. Schmidt
बिस्कुट भी, बायोडीजल भी
ताड़ के फल से निकाला गया तेल खाना पकाने में इस्तेमाल होता है. पिज्जा से लेकर बिस्कुट तक यह तेल तरह तरह के खानों में इस्तेमाल होता है. इस तेल का इस्तेमाल साबुन, डिटर्जेंट और मोमबत्ती बनाने में भी होता है. इससे बायोडीजल भी तैयार होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
वर्षावनों की जगह लेते ताड़
ताड़ के पेड़ों के विस्तार से नुकसान भी हो रहा है. गर्मी और नमी वाले वातावरण में पैदा होने वाले ताड़ के लिए वर्षावनों का माहौल उपयुक्त है. पिछले कुछ सालों में मलेशिया और इंडोनेशिया में वर्षावनों को काट कर इन्हें उगाया जा रहा है. इससे वर्षावनों में रह रहे जीवों के लिए दिक्कत पैदा हो रही है.
तस्वीर: AP
भांग बुनाई के लिए
भांग का इस्तेमाल नशे के लिए होता आया है, लेकिन इसके कई औद्योगिक फायदे भी हैं. फ्रांस में इसके रेशे से खास तरह का कागज और कपड़े भी तैयार किए जा रहे हैं.
तस्वीर: dapd
ताकि गर्मी बनी रहे
भांग के रेशों का इस्तेमाल ऊष्मारोधी कवच बनाने में भी किया जाता है. ये ठंडक को रोकते हैं लेकिन नमी से इनका बैर है. इसलिए इनका इस्तेमाल घरों की दीवारों और छतों को गर्म रखने के लिए घरों के अंदर परत लगाकर होता है. गर्मियों में इसकी मदद से घर ठंडा रहता है.