भारतीय कोरोना कितना खतरनाक है, यह अभी भी पता नहीं, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों के लिए चिंता तो पैदा कर ही रहा है. अब जर्मनी में भी उसके खतरों की बात की जा रही है.
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भारत में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. भारत की 1.38 अरब की कुल आबादी में रोजाना करीब 3,00,000 नए इंफेक्शन सामने आ रहे हैं. इस तेज रफ्तार इंफेक्शन में कोरोना के बी.1.617 के भारतीय स्ट्रेन की कितनी भागीदारी है, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन इस बात का संदेह व्यक्त किया जा रहा है कि वायरस के तेजी से फैलने में नए प्रकार के म्यूटेशन की भूमिका है.
वायरस के म्यूटेशन की भूमिका
जब भी किसी देश में कोरोना वायरस के फैलने में तेजी आई, तो ज्यादातर मामलों में उसका वायरस के नए रूप से लेना देना था. कुछ विशेषज्ञ तो भारतीय स्ट्रेन के मामले में एक तरह के सुपर म्यूटेशन की बात कर रहे हैं जो दुनिया भर में तेजी से फैल सकता है. जर्मनी में सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी के स्वास्थ्य विशेषज्ञ कार्ल लाउटरबाख ने भी इस खास तौर पर तेजी से फैलने वाले म्यूटेशन के खिलाफ चेतावनी दी है. कार्ल लाउटरबाख संसद के सदस्य हैं और खुद डॉक्टर हैं. वे कहते हैं, "भारत में कोविड आपदा का खतरा बढ़ रहा है."
दूसरे देशों में भी कोरोना का भारतीय स्ट्रेन बी.1.617 मिलना शुरू हो गया है. उनमें जर्मनी, बेल्जियम, ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर जैसे देश शामिल हैं. जर्मनी में फिलहाल भारतीय स्ट्रेन वाले कोरोना के सिर्फ 8 मामले हैं, जबकि ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार वहां 77 मामले पाए गए हैं.
मास्क नहीं लगाने पर कहीं उठक बैठक तो कहीं जुर्माना
भारत इस वक्त कोरोना वायरस की दूसरी लहर के मध्य में है. देश में आए दिन कोरोना के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं. सरकार और प्रशासन की तमाम हिदायतों के बावजूद भी लोग नियम तोड़ रहे हैं. तस्वीरों में देखिए, कहां क्या हो रहा है.
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS
करो उठक बैठक
बिहार की राजधानी पटना में प्रशासन ने मास्क नहीं लगाने वाले लोगों के खिलाफ अभियान की शुरुआत की है. पटना में ऐसे लोगों से उठक बैठक कराया जा रहा है जिन्होंने मास्क नहीं पहना है या फिर मास्क से नाक और मुंह को पूरी तरह से नहीं ढंका है.
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS
आर्थिक जुर्माना
देश के कई राज्यों में कोरोना को लेकर सख्ती बरती जा रही थी लेकिन कोरोना की दूसरी लहर ने सरकारों के माथे पर बल ला दिया है. टीकाकरण अभियान के बीच कोरोना वायरस के मामलों में तेजी के बाद कोरोना प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जा रहा है. नियम तोड़ने वालों से जुर्माना वसूला जा रहा है.
तस्वीर: Indrajit Dey/IANS
लॉकडाउन का खतरा!
कई राज्यों में रात का कर्फ्यू लग गया है. बड़े शहरों में काम करने वाले प्रवासी लॉकडाउन की आशंका के बीच शहरों से अपने घर और गांव की ओर दोबारा पलायन कर रहे हैं. यह तस्वीर कर्नाटक के एक बस पड़ाव की है, जहां प्रवासी अपने गांव लौटने के लिए बसों का इंतजार कर रहे हैं.
तस्वीर: Dhananjay Yadav/IANS
रात का कर्फ्यू
कोरोना का खतरा बढ़ने पर दिल्ली सरकार ने नाइट कर्फ्यू लगाया तो इसका असर दिन में भी दिखने लगा है. नाइट कर्फ्यू के बाद दिल्ली की प्रमुख सड़कों पर वाहनों की संख्या कम दिखाई दी. मेट्रो के जिन प्रमुख स्टेशनों पर अमूमन भीड़ देखी जाती थी, वहां भी हलचल कम रही.
तस्वीर: Wasim Sarvar/IANS
सिकुड़ता व्यापार
दिल्ली में 6 से 30 अप्रैल तक रात 10 बजे से सुबह 5 बजे तक इस साल का पहला नाइट कर्फ्यू लगाया गया. दिल्ली का दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस स्थित दुकानें 8 बजे से ही बंद होने लगती हैं. स्टाफ का घर दूर होने की वजह से भी दुकान संचालकों को ये कदम उठाना पड़ रहा है. वहीं कुछ कर्मचारियों की नौकरी पर भी खतरा मंडराने लगा है. कर्फ्यू लगने से रेस्तरां और होटल व्यापार और उनके कर्मचारियों पर अधिक बोझ पड़ा है.
तस्वीर: Wasim Sarvar/IANS
कोरोना के खिलाफ जागरुकता
भारत में पिछले एक साल से लोगों को कोरोना को लेकर चेताया जा रहा है. सार्वजनिक स्थानों, बाजारों और सार्वजनिक परिवहनों में मास्क और सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करने को कहा जाता है.
तस्वीर: Kuntal Chakrabarty/IANS
लापरवाह लोग
कई बाजारों में लोग में बिना मास्क और सामाजिक दूरी के भी नजर आ जाएंगे. लोगों का कहना है कि वे मास्क लगाकर उकता गए हैं. यह तस्वीर 4 अप्रैल को मुंबई के बीच का हाल बता रही है.
तस्वीर: Ashish Vaishnav/ZUMA Wire/imago images
"कार पब्लिक प्लेस, मास्क जरूरी"
दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि गाड़ी चलाते समय मास्क पहनना जरूरी है. चाहे ड्राइवर गाड़ी में अकेला क्यों न हो. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा सार्वजनिक स्थानों पर चलती गाड़ियों से संक्रमण का खतरा हो सकता है. निजी कार भी सार्वजनिक स्थान है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Swarup
बिना मास्क चुनाव प्रचार पर नोटिस
चार राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में चुनाव में नेताओं के बिना मास्क के प्रचार को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. इस याचिका में कहा गया था कि अलग-अलग राज्यों में आम जनता से बतौर जुर्माना करोड़ों वसूला जा रहा है और नेताओं पर नरमी दिखाई जा रही है. कोर्ट ने केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस भेजा है.
तस्वीर: Prabhakarmani Tewari/DW
भविष्य की चिंता
कोरोना वायरस की दूसरी लहर के बीच बेरोजगारों, युवाओं, छात्रों और व्यापारियों को अपने भविष्य को लेकर चिंता सताने लगी है. साल 2020 आर्थिक तौर पर काफी चोट पहुंचाने वाला था और लाखों लोगों की नौकरी गई थी.
तस्वीर: Niharika Kulkarni/REUTERS
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भारतीय स्ट्रेन से कैसा खतरा?
भारतीय स्ट्रेन कहे जा रहे बी.1.617 में तथाकथित स्पाइक प्रोटीन के दो म्यूटेशन हैं. यह खतरनाक वायरस सार्स-कोव-2 के शरीर में घुसने को आसान बनाता है और इस तरह इंफेक्शन को संभव बनाता है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि यह शरीर में तेजी से फैल सकता है क्योंकि वह इम्यून सिस्टम या टीके से बने एंटी बॉडी को छका सकता है.
इस बात का भी खतरा है कि कोरोना इंफेक्शन के बाद स्वस्थ हो गए लोग या टीका ले चुके लोग भी भारतीय स्ट्रेन से संक्रमित होने से कम सुरक्षित हो सकते हैं. कोरोना वायरस के दूसरे स्ट्रेन में यह खतरा नहीं था.
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भारतीय स्ट्रेन की खास बातें
कोरोना के भारतीय रूप वाले म्यूटेशन को E484Q/E484K का नाम दिया गया है. ये अंजाने बदलाव नहीं हैं. वे कोरोना के दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन बी.1.353 और ब्राजील वाले P1 में भी शामिल हैं. कुछ मामलों में ये ब्रिटिश स्ट्रेन बी.1.1.7 में भी पाया गया है.
इसके विपरीत L452R म्यूटेशन कोरोना के कैलिफोर्निया स्ट्रेन बी.1.429 में पाया गया है. उसे जर्मनी में हो रहे कुछ संक्रमित लोगों में भी पाया गया है.
अलग अलग अनुमान
यूरोप में हो रही चिंता से अलग विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारतीय स्ट्रेन को 'वेरिएंट ऑफ इंटेरेस्ट' कहा है. इसका मतलब है कि उस पर नजर रखी जा रही है लेकिन अभी उसे चिंताजनक नहीं माना जा रहा है. वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट में कोविड-19 जेनोमिक्स इनीशिएटिव के डाइरेक्टर डॉ. जेफ्री बैरेट का भी कहना है कि भारतीय स्ट्रेन पिछले महीनों में बहुत तेजी से नहीं फैला है. उनके विचार में ये बी.1.1.7 की तरह फैलने वाला नहीं है.
लेकिन बहुत से वैज्ञानिक इससे अलग नजरिया रखते हैं. इस समय हो रहा विकास उन्हें सही साबित करता लगता है. भारत में महाराष्ट्र प्रांत में कोरोना से हुए संक्रमण का 60 फीसदी बी.1.617 की वजह से हुआ है. यह बात जिनोम सिक्वेंस से पता चली है. लेकिन साथ ही स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि स्पष्ट रूप से कहने के लिए कि संक्रमण की वजह बी.1.617 है, जिनोम सिक्वेंसिंग की संख्या बहुत छोटी है.
क्या रुकता है रात के कर्फ्यू से: कोरोना या काम?
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की इस खतरनाक लहर का मुकाबला करने के लिए कई शहरों में रात का कर्फ्यू लगा हुआ है. क्या रात का कर्फ्यू कोरोना को रोकने में प्रभावी है या इस से भी तालाबंदी की तरह आर्थिक नुकसान ज्यादा होता है?
तस्वीर: Sajjad Hussain/AFP/Getty Images
रात का कर्फ्यू
दिल्ली में 30 अप्रैल तक रात 10 बजे से सुबह के पांच बजे तक कर्फ्यू लगा रहेगा. इस समय दिल्ली, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, गुजरात और पंजाब जैसे राज्यों के कई शहरों में रात का कर्फ्यू लगा हुआ है. आवश्यक उत्पाद और सेवाएं देने वाले क्षेत्रों के कई संस्थानों को खुले रहने की अनुमति है.
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व्यापारी मायूस
कई व्यापारियों का कहना है कि तालाबंदी की मार से वो अभी उबरे भी नहीं थे, और अब ये कर्फ्यू आ गया. 10 बजे तक सब घर पहुंच जाएं इसके लिए दुकानों को नौ बजे ही बंद करना होगा. इसका मतलब है कि ग्राहकों के लिए उससे भी पहले दुकान बंद करनी पड़ेगी क्योंकि ग्राहकों के जाने के बाद भी सारा सामान समेट कर दुकान बंद करने में आधा-एक घंटा लग जाता है.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/P. Kumar
मौसम की मार
दुकानें, दफ्तर, फैक्ट्रियां आदि जल्दी बंद करने का मतलब है उत्पादन और बिक्री में कटौती, जिससे व्यापारियों को नुकसान होगा. इसके अलावा उत्तर भारत में गर्मियों का मौसम चल रहा है. दिन में तापमान ज्यादा होने की वजह से लोग सामान लेने बाजारों में शाम में ही जाते हैं. दुकानें अगर जल्दी बंद हो गईं तो खरीदारी दिन की ही तरह शाम में भी मंदी ही रहेगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R.K. Singh
कारखानों का संकट
लोहा, स्टील के सामान बनाने वाले कारखानों में दिन-रात काम चलता है. भट्टियां दिन-रात जलती रहती हैं, मजदूर शिफ्टों में काम करते हैं और सामान की आवाजाही तो रात में ही होती है. फैक्टरी मालिकों को डर है कि रात के कर्फ्यू से इन सब चीजों पर असर पड़ेगा.
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रेस्तरां वालों को नुकसान
सभी खाने पीने वाले संस्थानों में भी लोग शाम के बाद ही आते हैं और देर रात भोजन कर के वापस लौटते हैं. जल्दी बंद करने से इन्हें भी कमाई करने के लिए ज्यादा वक्त नहीं मिलेगा.
तस्वीर: Sajjad HUSSAIN/AFP
ऑटो/टैक्सी चलाने वालों को नुकसान
ऑटो/टैक्सी वालों को भी तालाबंदी में भारी नुकसान हुआ था. अभी भी उनकी कमाई महामारी के पहले जैसे स्तर से बहुत दूर थी, और अब फिर से रात को आवाजाही पर प्रतिबंध लगने से पिछले साल के नुकसान की भरपाई के रास्ते भी बंद हो गए हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/X. Galiana
शादी, अन्य कार्यक्रमों की दिक्कत
जिन लोगों ने पहले से शादी जैसे कार्यक्रमों की तारीख तय की हुई है और सभी इंजताम कर लिए हैं, वो सोच में हैं कि कहीं विवाह स्थल 10 बजे के बाद बंद तो नहीं कर दिए जाएंगे. मेहमानों के आने-जाने पर भी असर पड़ सकता है.
तस्वीर: Altaf Qadri/AP Photo/picture alliance
अर्थव्यवस्था पर असर
उत्पादन, बिक्री और अन्य आर्थिक गतिविधियां अगर घटेंगी तो जीडीपी के बढ़ने की दर पर भी असर पड़ेगा. कर वसूली के जरिए होने वाली सरकार की कमाई को भी चोट पहुंचेगी.
तस्वीर: Getty Images/AFP/M. Sharma
रमजान हो जाएगा फीका
13 अप्रैल से रमजान का महीना शुरू हो रहा है और मुस्लिम श्रद्धालुओं को चिंता है कि कर्फ्यू की वजह से वो फीका पड़ जाएगा. रमजान में तरावीह की खास नमाज मस्जिदों में रात में ही पढ़ी जाती है और दिन भर के रोजे के बाद इफ्तार, मिलना-जुलना और खरीदारी समेत सब कुछ शाम को ही होता है. कई लोग रोजा तोड़ने के लिए छोटे रेस्तरां जैसी जगहों पर भी निर्भर होते हैं.