जर्मनी में मातृत्व छुट्टी का लाभ उठाने का मतलब कामकाजी मांओं के लिए काम पर लौटने के बाद आय में कमी होता है. यह बात एक ताजा सर्वे में सामने आई है.
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ट्रेड यूनियन के करीबी हंस बोएक्लर फाउंडेशन के अनुसार नवजात शिशु की देखभाल के लिए ली जाने वाली छुट्टी वेतन में कमी के साथ जुड़ी है. संस्था के आर्थिक और सामाजिक विज्ञान संस्थान द्वारा कराए गए एक आकलन के अनुसार 12 महीने की छुट्टी का मतलब प्रति घंटे आय में 10 प्रतिशत की कमी होता है जबकि एक साल से कम छुट्टी लेने पर भी 6.5 प्रतिशत की कमी होती है. सर्वे के लिए समाजविज्ञानी इवोन लॉट और लोरेना यूलगेम ने ऐसी महिलाओं के पैनल के डाटा का इस्तेमाल किया है जो मातृत्व अवकाश ले चुके हैं और उसके पहले या बाद में फ्लेक्सिबल वर्क टाइम में काम कर रहे थे.
सर्वे के लेखकों का कहना है कि बच्चे के जन्म के बाद लंबी छुट्टी लेना बहुत से नियोक्ताओं की नजर में काबिलियत में कमी होता है. खासकर उच्च प्रशिक्षित कामगारों के लिए यह बड़ी समस्या है. यदि मातृत्व अवकाश के बाद कामकाजी महिलाएं तय काम के समय के बदले अनियमित समय वाला काम लेती हैं तो वेतन में और भी कमी हो जाती है. लंबे अवकाश के बाद अनियमित काम के समय वाली नौकरी में वेतन में करीब 16 प्रतिशत का नुकसान होता है.
इसके विपरीत मातृत्व अवकाश नहीं लेने वाली महिलाएं यदि अनियमित काम के समय का फैसला करती हैं तो उन्हें प्रति घंटे आय में करीब 4.5 प्रतिशत का फायदा होता है. हालांकि फ्लेक्सिबल वर्क टाइम की अवधारणा काम और परिवार में सामंजस्य बिठाने के लिए है ताकि कामकाजी मांओं की आय पर कम से कम असर पड़े और वे परिवार के बावजूद अपनी पसंद का काम करना जारी रख सकें, लेकिन सर्वे के लेखकों के अनुसार अमेरिका के विपरीत जर्मनी में ऐसा नही है. बहुत से नियोक्ता मातृत्व को करियर के प्रति गंभीरता में कमी मानते हैं.
हंस बोएक्लर फाउंडेशन की स्टडी के अनुसार दूसरे कई देशों के काम और रोजगार में सामंजस्य बनाने में कामयाबी मिली है. स्वीडन में मातृत्व के वेतन पर लगभग कोई नकारात्मक असर नहीं होता. जर्मनी में स्थिति बेहतर बनाने के लिए और कामकाजी महिलाओं के प्रति पूर्वाग्रहों को खत्म करने के लिए फाउंडेशन ने बच्चे के पैदा होने के बाद पितृत्व अवकाश की अवधि को बढ़ाने और पार्टनर के लिए टैक्स में छूट को खत्म करने की सलाह दी है.
एमजे/आईबी (डीपीए)
जब प्रधानमंत्री बनीं मां
जब प्रधानमंत्री बनीं मां
दुनिया की चुनिंदा नेताओं ने ही देश और परिवार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी को एक साथ निभा कर दिखाया है. आज तक के इतिहास में ऐसे गिने चुने राष्ट्रप्रमुख ही हुए हैं.
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पाकिस्तानी प्रधानमंत्री
दो बार देश की प्रधानमंत्री रहीं बेनजीर भुट्टो ने 1990 में अपनी बेटी को जन्म दिया था. उस समय बेनजीर को पीएम की कुर्सी संभाले एक साल से कम ही वक्त हुआ था और देश में सेना के समर्थन वाला धड़ा उनकी सरकार को गिराने में लगा था. जन्म देने से कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास मत का सामना कर उसे जीता था. उन्हें बाद में पता चला कि पीएम रहते हुए मां बनने वाली वह दुनिया की पहली नेता हैं.
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न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री
भुट्टो की तरह 37 की ही उम्र में देश की प्रधानमंत्री रहते हुए मां बनने वाली जेसिंडा आर्डर्न आज तक के इतिहास में दूसरी महिला बनीं. जेसिंडा आर्डर्न ने बच्चे के जन्म से छह महीने पहले गर्भवती होने की जानकारी दी थी और छह हफ्ते का अनिवार्य मातृअवकाश भी लिया. इस दौरान उनके पार्टनर ने भी पूरी तरह काम से छुट्टी लेकर बच्चे की देखभाल की, जिसे आधुनिक परिवारों में लैंगिक बराबरी की एक अच्छी मिसाल माना गया.
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स्कॉटलैंड की पार्टी प्रमुख
स्कॉटलैंड की प्रमुख कंजर्वेटिव पार्टी की प्रमुख रहते हुए रूथ डेविडसन 2018 में मां बनीं. अपनी महिला पार्टनर के साथ उन्होंने अपने पहले बच्चे का दुनिया में स्वागत किया. वे ब्रिटेन की पहली पार्टी प्रमुख हैं जो पद पर रहते हुए मां बनी. संभावना जताई जाती है कि भविष्य में वह स्कॉटलैंड के फर्स्ट मिनिस्टर से लेकर ब्रिटेन की प्रधानमंत्री तक बन सकती हैं. हालांकि कई लोग ऐसी किसी संभावना से इनकार करते हैं.
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सर्बिया की प्रधानमंत्री
बाल्कन देश सर्बिया की 43 साल की प्रधानमंत्री ऐना बर्नाबिच की पार्टनर महिला ने बच्चे को जन्म दिया है. वे ना केवल सर्बिया की पहली महिला प्रधानमंत्री हैं बल्कि पहली खुले तौर पर समलैंगिक नेता भी हैं. साल 2017 में बर्नाबिच का सर्बिया जैसे देश की प्रधानमंत्री बनना हैरानी की बात थी क्योंकि यहां ना तो गे मैरिज वैध है और ना ही समाज में ऐसे संबंधों को मान्यता है.
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करिश्माई ब्रिटिश पीएम ने दिखाया रास्ता
1960 के दशक में अपना पहला टीवी इंटरव्यू देते हुए मार्गरेट थैचर ने अपने छह साल के जुड़वा बच्चों को कुर्सी के दोनों ओर बैठा रखा था. परिवार का संतुलन बिठा कर चलना और राजनीति की टाइमिंग को नजर में रखना उन्हें खूब आता था. आगे चलकर ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री बन थैचर ने इतिहास रच दिया.
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संतानहीन नेताओं का दौर
कई यूरोपीय देशों में संतानहीन नेताओं का ही बोलबाला है. संयोग हो, व्यक्तिगत वरीयता हो या राजनीतिक जीवन की विवशता, लेकिन किसी ना किसी कारण जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और खुद थैचर के देश ब्रिटेन की पूर्व प्रधानमंत्री टेरीजा मे की संतान नहीं है. इन्हीं यूरोपीय देशों में जन्म दर कम होने के कारण आबादी में नकारात्मक बढ़ोत्तरी दर्ज हो रही है.