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जर्मनी में विकास और पर्यावरण पर टकराव

२६ अक्टूबर २०२०

विकास और पर्यावरण का झगड़ा सिर्फ भारत जैसे विकासशील देशों में ही नहीं होता है, जर्मनी जैसे विकसित देशों में भी होता है. जर्मनी के हेस्से प्रांत में पर्यावरणवादी रोड बनाने के लिए जंगल काटे जाने का विरोध कर रहे हैं.

Hessen Proteste gegen Ausbau der A49
तस्वीर: Boris Roessler/dpa/picture alliance

सोमवार सुबह पर्यावरण एक्टिविस्टों ने हेस्से प्रांत के डानेनरोएडर जंगल से होकर ए49 हाइवे बनाने के विवादास्पद प्रोजेक्ट का विरोध किया. पुलिस के अनुसार इस विरोध की वजह से देश के वित्तीय हब फ्रैंकफर्ट के इलाके में तीन एक्सप्रेस वे को दोनों तरफ की आवाजाही के लिए रोकना पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने भी विरोध प्रदर्शन की तस्वीरें ट्वीट कीं.

एक्टिविस्टों ने कहा कि पुल से लटकने की वजह से हाइवे पर कृत्रिम जाम पैदा किया जा रहा है. पर्यावरण संरक्षकों ने ए3 के अलावा ए5 और ए661 पर भी विरोध प्रदर्शन किया. रविवार को भी करीब 1000 लोगों ने जंगल को काटे जाने के विरोध में मानव श्रृंखला बनाई थी. आयोजकों के अनुसार एक विरोध प्रदर्शन जंगल के पास हुआ तो दूसरा बर्लिन में परिवहन मंत्रालय के सामने.

85 हेक्टर जंगल कटेगा

पिछले एक साल में पर्यावरण संरक्षक हेस्से प्रांत में गीसेन और कासेल शहरों के बीच ए49 एक्सप्रेस वे के विस्तार का विरोध कर रहे हैं. ये रास्ता डानेनरोएडर जंगल से होकर गुजरेगा. रोड बनाने का काम सितंबर 2021 में शुरू होगा, लेकिन उसके लिए अगले साल फरवरी तक 27 हेक्टर जंगल को काटने की योजना है.

इलाके के हेरेनवाल्ड में पेड़ इस समय काटे जा रहे हैं जबकि डानेनरोएडर जंगल के पेड़ इसके बाद काटे जाने हैं. कुल मिलाकर हाइवे के लिए 85 हेक्टर जंगल काटा जाएगा. दोनों ही जंगलों में पर्यावरण संरक्षक धरना दे रहे हैं. उन्होंने पेड़ों पर घर बना लिए हैं और उन्ही घरों में रह रहे हैं, ताकि पेड़ों के काटने को रोका जा सके या कम से कम उसमें देरी की जा सके.

पेड़ों पर घर बनाकर उन्हें बचाने की कोशिशतस्वीर: Kai Pfaffenbach/Reuters

ग्रीन पीस का विरोध

पर्यावरण संगठन ग्रीनपीस भी जंगल काटकर रोड बनाने की परियोजना का विरोध कर रही है. उसने यूरोपीय निवेश बैंक से अपील की है कि वह इस परियोजना के लिए 26.4 करोड़ यूरो के कर्ज का भुगतान रोक दे. संस्था ने कहा है कि यूरोपीय निवेश बैंक यूरो का पर्यावरण बैंक बनना चाहता है और अब उसके पास पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली हाइवे और हवाई अड्डों की परियोजना के लिए कर्ज रोकने का मौका है.

एक्सप्रेस हाइवे का विरोध कर रहे एक्टिविस्टों का कहना है कि यह परियोजना यातायात में पर्यावरण संबंधी बदलाव की योजना के खिलाफ है. आंदोलन चला रही संस्था नेटवर्क कॉम्पैक्ट की युटा सुंडरमन का कहना है, जंगल कटाई हेस्से प्रांत की स्थानीय समस्या नहीं है, यह गलत परिवहन नीति का नतीजा है. इसके विपरीत हाइवे के समर्थकों का कहना है कि इससे मौजूदा सड़कों पर बोझ घटेगा और शोर कम होगा. इसके अलावा इलाके के गांवों में दुर्घटना का खतरा भी कम होगा.

भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की तैनातीतस्वीर: Boris Roessler/dpa/picture alliance

मुश्किल में ग्रीन पार्टी

इस विरोध के कारण पर्यावरण संरक्षण का समर्थन करने वाली ग्रीन पार्टी भी मुश्किल में पड़ गई है. प्रदेश में गठबंधन सरकार है जिसमें ग्रीन पार्टी भी शामिल है. उस पर आरोप है कि उसने इस परियोजना का पर्याप्त विरोध नहीं किया है. अब प्रांतीय पार्टी ने हाइवे के निर्माण के शांतिपूर्ण विरोध का स्वागत किया है और परियोजना से खुद को दूर कर लिया है और कहा है कि इसे केंद्रीय सरकार ही रोक सकती है.

कंजरवेटिव सीडीयू पार्टी का गढ़ रहे हेस्से प्रांत में इस समय चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू और ग्रीन पार्टी की मिली जुली सरकार है. इस प्रांतीय सरकार को राष्ट्रीय स्तर पर कंजरवेटिव पार्टी और ग्रीन पार्टी के गठबंधन का नमूना माना जा रहा है. कंजरवेटिव सीडीयू को आर्थिक विकास और उद्यमियों की समर्थक पार्टी माना जाता है जबकि ग्रीन पार्टी पर्यावरण समर्थक पार्टी है और पर्यावरण संरक्षण करते हुए विकास की हिमायती है.

रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए)

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