जर्मनी के बवेरिया प्रांत में शरणार्थियों के समर्थन में बोलने के कारण अफ्रीकी मूल का एक पादरी नस्लवादी आलोचना का निशाना बना. लगातार मिली धमकियों से तंग आकर पादरी ने गांव छोड़ दिया लेकिन अब स्थानीय लोग उनके समर्थन में आए.
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कॉन्गो मूल के एक पादरी ओलिवियर एनजिंबी-शिंडे को लगातार घृणित संदेश और जान से मारने तक की धमकियां मिल रही थीं. जर्मन प्रांत बवेरिया के एक ग्रामीण चर्च के पादरी ने तंग आकर इस ईसाई धार्मिक केंद्र को छोड़ने का फैसला लिया. अब बवेरिया प्रशासन और कई स्थानीय लोग इस पादरी के समर्थन में आ खड़े हुए हैं. बुधवार शाम करीब 3000 लोगों ने पादरी के समर्थन में प्रदर्शन किया.
समाचार एजेंसी एपी ने लिखा है कि पादरी को इस तरह की धमकियां पिछले साल नवंबर से ही मिलनी शुरु हुईं, जब उन्होंने एक स्थानीय नेता के शरणार्थियों के खिलाफ टिप्पणी पर बयान दिया था. इस रोमन कैथोलिक पादरी ने रविवार की प्रार्थना सभा के दौरान ही घोषणा की वह सोर्नेडिंग के गिरजे को छोड़ रहे हैं. 66 साल के पादरी शिंडे ने पहले एक अप्रैल तक रूक कर ईस्टर मनाने के बाद ही वहां से जाने की बात की थी, मगर बाद में हत्या की धमकियों के कारण तुरंत ही चले जाने का फैसला किया.
अब अचानक पादरी के हट जाने के फैसले से हैरान लोग, सामुदायिक अधिकारी और पुलिस साथ आई है और पादरी के समर्थन में खड़ी हुई है. मंगलवार को लोग जब चर्च पहुंचे तो अंदर कोई नहीं मिला और ना ही दरवाजा खुला. स्थानीय लोगों ने उनके नाम के मेलबॉक्स के पास संदेश लिख छोड़े हैं जिनमें लिखा है, "हम पादरी के साथ हैं" और "जान की धमकी देने वालों को गिरफ्तार करो."
बवेरिया के मुख्यमंत्री हॉर्स्ट जेहोफर ने भी पादरी को मिली जान की धमकी की निंदा की है और इसे "अस्वीकार्य" बताया है. पादरी शेंडे कॉन्गो में किसान परिवार में जन्मे थे. 1986 में म्यूनिख यूनिवर्सिटी में दर्शन की शिक्षा लेने वे पहली बार जर्मनी आए थे. डिग्री लेने के बाद वे डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो लौट गए लेकिन फिर 2005 में जर्मनी वापस आए. सोर्नेडिंग के सेंट मार्टिन गिरजे में उन्होंने 2012 से काम शुरु किया.
जर्मनी में विदेशी मूल का पादरी होना असामान्य बात नहीं है. भारत जैसे कई देशों से ईसाई धर्म से जुड़े कई पादरी जर्मनी समेत यूरोप के कई देशों में काम कर रहे हैं. लेकिन हाल के सालों में ऐतिहासिक शरणार्थी संकट झेल रहे यूरोपीय देशों में लोगों की चिंताएं बढ़ी हैं. कहीं ना कहीं यूरोपीय जीवन के हर पहलू पर शरणार्थियों के बढ़ते बोझ से गंभीर सामाजिक संकट पैदा हो रहे हैं.
अगल अलग नस्लों से बनी नई नस्ल
शेर या चीता या फिर भालू? कुछ ऐसे जीव भी होते हैं जो दो अलग अलग तरह की प्रजातियों से मिलकर बने हैं. मिलिए इनसे इनकी तस्वीरों के साथ.
तस्वीर: Getty Images/Afp/Tiziana Fabi
पशु जगत के कुछ अजूबे
हाइब्रिड पशुओं को विशेष प्रकार से विकसित किया जाता है. कई बार प्राकृतिक तौर पर भी पशु अलग प्रजाति के साथी के साथ सहवास कर हाइब्रिड संतान को जन्म देते हैं. ऐसे में कई बार बड़े आकर्षक क्रॉस ब्रीड जन्म लेते हैं.
तस्वीर: imago/ZUMA Press
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
मिक्स नस्ल का भालू ग्रोलर पोलर बियर और भूरे रंग के भालू ग्रिस्ली का हाइब्रिड है. कड़ाके की ठंड पसंद करने वाले पोलर बियर जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फ के पिघलने पर निचले इलाकों में आने को मजबूर हैं. वहीं ग्रिस्ली भालुओं ने उत्तरी उलाकों की ओर बढ़ना शुरू कर दिया है.
तस्वीर: Reuters/J. Urquhart
पानी की रानी
ऑस्ट्रेलियाई तटों पर वैज्ञानिकों की मुलाकात शार्क की क्रॉस ब्रीड से भी हुई है. ये सामान्य ब्लैकटिप शार्क और ऑस्ट्रेलियाई ब्लैकटिप शार्क की क्रॉसब्रीड हैं. वह ऊष्णकटिबंधीय इलाकों और ठंडे पानी के इलाकों दोनों में ही रह सकती है.
तस्वीर: picture-alliance/WILDLIFE
संभावनाएं
स्थिति केवल सकारात्मक नहीं है. इस बात के भी खतरे हैं कि क्रॉसब्रीडिंग के बढ़ने के साथ साथ पोलर बियर की नस्ल के लुप्त होने का खतरा है. जैसे जैसे ग्रिस्ली बियर और पोलर बियर की क्रॉस ब्रीडिंग से पैदा होने वाली नस्ल बढ़ रही है पोलर बियर कम होते जा रहे हैं.
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गैरजिम्मेदार ब्रीडिंग
कई बार हाइब्रिड नस्ल में जेनेटिक तौर पर असामान्य बातें पाई जाती हैं. ये किसी बीमारी का शिकार हो सकते हैं या फिर बच्चे पैदा करने में अक्षम. शेर और बाघ के बीच संभोग कराने पर बड़ी सी बिल्ली जैसी जिस नस्ल का जन्म होता है, इसे गैरजिम्मेदार ब्रीडिंग की श्रेणी में रखा जाता है. ये प्राणी प्राकृतिक तौर पर जंगलों में नहीं पाए जाते.
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अनचाहा शिशु
कई बार बिना चाहे भी क्रॉस ब्रीडिंग के मामले सामने आते हैं. जैसे भेड़ और बकरी के बीच संभोग की घटनाएं. इनसे पैदा हुए बच्चे को गीप कहते हैं. यह है आयरलैंड में पैदा गुआ गीप.
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अंजाना आकर्षण
हाइब्रिड के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभाव अपनी जगह हैं, लेकिन जानवरों को इससे क्या. वे अक्सर अपने दिल की सुनते हैं. 2013 की ही घटना लीजिए जब इटली में एक नर जेबरा ने बाड़ कूद कर एक मादा गधे को अपना साथी बनाया. इनकी संतान जॉन्की कहलाई.