जर्मन स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि "समलैंगिकता कोई बीमारी नहीं होती और ना ही इसके इलाज की कोई जरूरत है." अनुमान है कि अब भी हर साल देश में करीब एक हजार ऐसे लोगों का इलाज करने की कोशिशें होती हैं.
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जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री येन्स श्पान को भरोसा है कि देश में जारी तथाकथित "कनवर्जन थेरेपी" पर जल्दी ही प्रतिबंध लगाया जा सकेगा. इस थेरेपी में समलैंगिक लोगों का कई तरह से इलाज कर उन्हें विषमलिंगी बनाने की कोशिश की जाती है. श्पान ने राजधानी बर्लिन में इस विषय पर बोलते हुए कहा, "कनवर्जन थेरेपी असल में लोगों को बीमार बनाती है और स्वास्थ्यप्रद नहीं है." वे इस बारे में जल्दी ही जर्मन सरकार के न्याय मंत्रालय के साथ चर्चा करना चाहते हैं. इस मुलाकात में वे एक ऐसे कानून का मसौदा पेश करेंगे जो ऐसे तथाकथित "इलाज" पर प्रतिबंध लगाता हो.
इस साल के अंत तक इस पर प्रतिबंध लागू करवाने की योजना है. इसके लिए श्पान ने 46 विशेषज्ञों का एक पैनल बना कर इस साल की शुरुआत में उनसे प्रस्ताव मांगे. पैनल ने इस तरह की कनवर्जन थेरेपी पर बैन लगवाने की सिफारिश की. गे अधिकारों की वकालत करने वाले जर्मनी के माग्नुस हिर्शफेल्ड फाउंडेशन का कहना है कि देश में हर साल ऐसे हजारों मामलों का पता चलता है जिनमें जबरन लोगों की यौन वरीयता को बदलने की कोशिशें की जाती हैं. जर्मन दंड संहिता से 1994 में ही समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा लिया गया था.
स्वास्थ्य विशेषज्ञ मानते हैं कि किसी व्यक्ति के सेक्शुअल ओरिएंटेशन को बदलने के लिए जिस तरह के मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक उपाय किए जाते हैं, वे अवैज्ञानिक, अप्रभावी और अक्सर हानिकारक होते हैं.
कनवर्जन थेरेपी में इस्तेमाल होने वाले कुछ सबसे विवादित तरीकों में से एक है लोगों को समलैंगिक गतिविधियों की तस्वीरें दिखाते हुए बिजली के झटके देना या फिर गे पुरुषों के शरीर में नर हार्मोन टेस्टोस्टीरॉन के इंजेक्शन लगाना. माग्नुस हिर्शफेल्ड फाउंडेशन के अनुसार इसके अलावा समलिंगी लोगों की बुद्धि को ठिकाने पर लाने के लिए कुछ तथाकथित "कोच" और थेरेपिस्ट ना केवल प्रार्थनाएं करते हैं बल्कि कई बार झाड़-फूंक का सहारा भी लेते हैं. एक साल पहले ही यूरोपीय संसद ने यूरोपीय संघ के सभी देशों के लिए एक गैर-बाध्यकारी टेक्स्ट पर सहमति बनाई थी, जिसके अनुसार ऐसे अभ्यासों पर बैन लगाया जाना है. अब तक केवल माल्टा और स्पेन के कुछ इलाकों में ही इस बैन को लागू किया जा सका है. ऐसी थेरेपी के शिकार बन चुके कई लोगों की आपबीती भी पैनल की रिपोर्ट में सामने आई हैं.
आरपी/एए (डीपीए, एएफपी)
10 जीव जो बताते हैं कि समलैंगिकता प्राकृतिक है
समान लिंग वाले जीवों का जोड़ा बनाना ना केवल सामान्य है बल्कि बहुत आम है. रिसर्च बताते हैं कि करीब 1500 ऐसे जीव हैं जो समलैंगिक जोड़े बनाते हैं. इनमें कीड़े मकोड़ों से लेकर चिड़िया और स्तनधारी भी शामिल हैं.
लंबी गरदन वाले जिराफ विपरीत लिंग की बजाय समान लिंग वालों से ज्यादा सेक्स करते हैं. अध्ययन से पता चलता है कि समलैंगिक सेक्स जिराफों में दूसरी यौन गतिविधियों की तुलना में करीब 90 फीसदी ज्यादा होता है.नर जिराफ रिझाने की कला में खूब माहिर होते हैं. आपस में गर्दन मिलाना एक तरह की कामुक क्रिया है जो घंटों चलती है.
तस्वीर: imago/Nature Picture Library
बड़ी सामाजिक हैं बॉटलनोज डॉल्फिन
बॉटलनोज डॉल्फिन में नर और मादा दोनों ही समलैंगिक व्यवहार दिखाते हैं. इनमें मौखिक क्रियाएं भी हैं जिनमें डॉल्फिन थूथन से साथी को उत्तेजित करते हैं. बॉटलनोज डॉल्फिन की दुनिया में समलैंगिक गतिविधियां विपतरीन लिंगी सेक्स जितनी ही होती हैं. नर बॉटलनोज डॉल्फिन आम तौर पर बाइसेक्सुल होते हैं लेकिन उनमें कुछ ऐसे दौर भी आते हैं जब वो केवल समलैंगिक संबंध बनाते हैं.
समलैंगिकता शेरों में भी बहुत आम है. दो या चार शेर अक्सर साथ मिल कर रहते हैं जहां वे शेरनियों को साथ लाने के लिए मिल कर काम करते हैं. दूसरे समूहों से बचाव के लिए वह एक दूसरे पर निर्भर रहते हैं. आपसी निष्ठा को मजबूत करने के लिए वे एक दूसरे के साथ समलैंगिक संबंध बनाते हैं. कई वैज्ञानिकों ने इसे "ब्रोमैंस" की संज्ञा दी है जो ब्रदर और रोमांस के मिलने से बना है.
तस्वीर: ARTIS/R. van Weeren
एक दूसरे पर चढ़ते जंगली भैंसे
जंगली भैंसों में समलैंगिक सेक्स विपरीत लिंगी सेक्स की तुलना में कहीं ज्यादा होता है. इसकी वजह ये है कि मादाएं साल में केवल एक बार भैंसों के साथ संबंध बनाती हैं. जोड़ियां बनाने के मौसम में उत्तेजित नर दिन में कई बार समलैंगिक संबंध बनाते हैं. इसके अलावा युवा भैंसों में तो तकरीबन आधी से ज्यादा सेक्स गतिविधियां समलैंगिक ही होती हैं.
तस्वीर: imago/Nature Picture Library
लंगूरों की एक रात वाली दोस्ती
अफ्रीकी लंगूरों में नर और मादा दोनों समलैंगिक सेक्स करते हैं. हालांकि नर लंगूर केवल एक रात के लिये ऐसा करते हैं लेकिन मादा दूसरी मादा के साथ बहुत गहरा रिश्ता कायम कर लेती है. अफ्रीकी लंगूरों के कुछ समुदाय में तो मादाओं का समलैंगिक संबंध ही सामान्य है. जब मादा नर के संपर्क में नहीं रहती तो वो दूसरी मादा के साथ सोती और सब काम करती है. ये एक दूसरे की बाहरी दुश्मनों से रक्षा भी करती हैं.
तस्वीर: picture alliance/robertharding
एल्बेट्रॉस के जोड़े
हवाई द्वीप में घोसला बनाने वाले ये पक्षी अपने समलैंगिक संबंधों के लिए विख्यात हैं. ओआहू द्वीप में रहने वाले 30 फीसदी से ज्यादा जोड़े दो मादाओं से मिलने से बने हैं. ये समलैंगिक होते हैं और अक्सर पूरी जिंदगी साथ रहते हैं क्योंकि चूजों को सही ढंग से पालने के लिए दो की जरूरत होती है. बच्चों का पिता जोड़े से बाहर कोई और नर होता है जो किसी और के साथ जोड़े में बंधा होता है.
तस्वीर: imago/Mint Images
कामुक बॉनोबोस
इन्हें पिग्मी चिम्पैंजी कहा जाता था. यह इंसानों के सबसे करीबी जीवित रिश्तेदार हैं और मजे के लिये सेक्स करने वालों में सिरमौर हैं. ये खूब जोड़े बनाते हैं और उसमें समलैंगिक जोड़े भी होते हैं. यह ऐसा मजे के लिए करते हैं लेकिन रिश्ता भी जुड़ता है, सामाजिक जीवन आगे बढ़ता है और तनाव घटता है. करीब दो तिहाई समलैंगिक संबंध मादाएं बनाती हैं. घास पर एक नर को दूसरे के साथ यूं गुत्थमगुत्था होना खूब भाता है.
तस्वीर: picture-alliance/F. Lanting
हंसों का हर पांचवां जोड़ा समलैंगिक
कई परिदों की तरह हंस भी समलैंगिक होते हैं और एक ही साथी के साथ कई कई वर्षों तक रहना पसंद करते हैं. वास्तव में हंसों के करीब 20 फीसदी जोड़े समलैंगिक होते हैं और वे अक्सर अपना परिवार एक साथ शुरू करते हैं. कई बार जोड़े का एक हंस किसी मादा के साथ संबंध बनाता है और जब वह अंडे देती है तो उसे दूर भगा देता है. कुछ दूसरे मामलों में वे दूसरों के अंडों को भी अपना लेते हैं.
नर दरियाई घोड़े चार साल की उम्र में आकर सेक्स के लिए परिपक्व होते हैं. इसके पहले वे पूरी तरह समलैंगिक होते हैं. एक बार जब उनमें परिपक्वता आ जाती है तो ज्यादातर नर बाइसेक्सुआल हो जाते हैं. प्रजनन काल में वे मादाओं के साथ संबंध बनाते हैं जबकि साल के बाकी हिस्से में वो नर के साथ संबंध बनाते हैं. संबंध केवल सेक्स तक ही नहीं रहता, वे एक दूसरे से लिपट के सोते हैं और पानी में भी अक्सर साथ ही रहते हैं.
तस्वीर: imago/Nature in Stock
भेड़ों का रुझान
रिसर्च से पता चलता है कि करीब 8 फीसदी नर भेड़ दूसरे नर को ही पसंद करते हैं, मादा भेड़ आस पास मौजूद हो तब भी. हालांकि यह केवल पालतू भेड़ों के साथ होता है. समलैंगिक भेड़ों के मस्तिष्क की बनावट अलग होती है और उनमें सेक्स के हार्मोन्स कम बनते हैं.