जर्मनी में हाइड्रोजन ट्रेन की पहली रेल सेवा शुरू
२४ अगस्त २०२२फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम से मिली 14 ट्रेनों के साथ जर्मन राज्य लोअर सैक्सनी में यह सेवा शुरू की गई है. हैंबर्ग के पास कुक्सहाफेन से ब्रेमरहाफेन, ब्रेमरफोएर्डे और बुक्सटेहुडे तक 100 किलोमीटर लंबी रेल लाइन पर सिर्फ हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन का सफर शुरू किया गया है. एल्सटॉम के सीईओ हेनर पोरास लाफार्ज ने इस मौके पर जारी बयान में कहा है, "हमें हमारे मजबूत सहयोगी के साथ इस तकनीक को दुनिया में पहली बार काम में लगाते देख कर बहुत गर्व महसूस हो रहा है."
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हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन
हाइड्रोजन ट्रेन रेल क्षेत्र को कार्बनुक्त करने की दिशा में बहुत बड़ी संभावनायें ले कर आया है. इसके जरिये जलवायु को प्रदूषित करने वाली डीजल इंजनों से छुटकारा पाया जा सकता है. जर्मनी में अब भी 20 फीसदी यात्रायें डीजल इंजनों के जरिये होती हैं. परिवहन का शून्य उत्सर्जन वाला तरीका कही जा रहीं हाइड्रोजन ट्रेन वातारण में मौजूद ऑक्सीजन को छत पर लगे फ्यूल सेल के जरिये हाइड्रोजन के साथ मिलाती हैं. इसके नतीजे में पैदा हुई बिजली ट्रेन खींचती है.
क्षेत्रीय रेल संचालक एलएनजीवी का कहा है कि हाइड्रोजन ट्रेनों के इस बेड़े पर करीब 9.3 करोड़ यूरो का खर्च आया है. इसकी मदद से हर साल 4,400 टन कार्बन डाइ ऑक्साइड को वातावरण में जान से रोका जा सकेगा.
हाइड्रोजन ट्रेनों की मांग
दक्षिणी फ्रांस के शहर टारबे में डिजाइन की गई और मध्य जर्मनी के साल्जगिटर में असेंबल की गई इन ट्रेनों को कॉराडिया आईलिंट नाम दिया गया है. इस क्षेत्र में उन्हें अग्रणी माना जाता है. एल्सटॉम के मुताबिक इस परियोजना ने दोनों देशों में 80 लोगों के लिए नौकरियां भी बनाई हैं.
2018 से ही इन ट्रेनों के साथ कारोबारी सेवा शुरू करने के लिये परीक्षण किये जा रहे थे हालांकि अब इस नई तकनीक के साथ पूरी फ्लीट को काम पर लगा दिया गया है. फ्रेंज कंपनी के पास जर्मनी, फ्रांस और इटली के बीच कई दर्जन ट्रेनों के लिये चार करार मौजूद हैं. आने वाले दिनों में इनकी मांग में और ज्यादा तेजी आने की उम्मीद है. एल्सटॉम के प्रोजेक्ट मैनेजर स्टेफान श्रांक का कहना है कि केवल जर्मनी में ही 2500 से 3000 ट्रेनों को हाइड्रोजन ट्रेनों से बदला जायेगा. 2035 तक यूरोपीय बाजार में 15-20 फीसदी क्षेत्रीय ट्रेनें हाइड्रोजन ईंधन के सहारे चलेंगी.
भविष्य का ईंधन है हाइड्रोजन
छोटी दूरी की क्षेत्रीय ट्रेनों के लिये हाइड्रोजन खासतौर से फायदेमंद है. इन जगहों पर डीजल ट्रेनों को इलेक्ट्रिक ट्रेनों में बदलने का खर्च रूट में कमाई से होने वाले फायदे पर भारी पड़ जाता है. फिलहाल यूरोप में क्षेत्रीय ट्रेनों की दो में से एक ट्रेन डीजल से चल रही है.
हालांकि एल्सटॉम के प्रतिद्वंद्वी भी इस क्षेत्र में कूदने के लिये तैयार हैं. जर्मन कंपनी सीमेंस ने मई में जर्मन रेल कंपनी डॉयचे बान के साथ अपने प्रोटोटाइप को इसी साल मई में पेश कर दिया था. कंपनी 2024 में अपनी ट्रेनों को रेल सेवा में उतराने की तैयारी में है.
ईंधन के रूप में हाइड्रोजन पर सिर्फ रेल सवा की ही नजर नहीं है. सड़क पर चलने वाली गाड़ियों से लेकर, विमान और स्टील या केमिकल जैसे भारी उद्योग भी कार्बन उत्सर्जन घटाने के लिये हाइड्रोजन की तरफ देख रहे हैं.
भविष्य का ईंधन
जर्मनी ने 2020 में सात अरब यूरो की महत्वाकांछी योजना का एलान किया था जिससे कि एक दशक के भीतर देश हाइड्रोजन तकनीक में अगुवा बन जायेगा. हालांकि इसके लिये अब भी बुनियादी ढांचे की कमी है.
इसके साथ ही एक दिक्कत यह भी है कि सिर्फ हाइड्रोजन का इस्तेमाल इसे कार्बन मुक्त नहीं बनाया जायेगा. इसके लिए ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल करना होगा यानी बिना कार्बन उत्सर्जन के हाइड्रोजन को बनाना भी होगा जो अब भी एक बड़ी चुनौती है. हाइड्रोजन बनाने के ज्यादातर आम तरीकों में कार्बन का उत्सर्जन होता है.
लोअर सैक्सनी में शुरू की गई रेल सेवा शुरूआत में उस हाइड्रोजन का इस्तेमाल करेगी जो केमिकल जैसे कुछ उद्योगों में बेकार की चीज के रूप में बच जाती है. आने वाले दिनों में जर्मनी अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिये बड़ी मात्रा में ग्रीन हाइड्रोजन का आयात करेगा. इसके लिये भारत, मोरक्को और कोनाडा के साथ सहयोग के करार भी किये गये हैं.
एनआर/ओएसजे (एएफपी)