जर्मनी में हो रहा है बिना शर्त पैसे देने का प्रयोग
२८ फ़रवरी २०१९
जर्मनी में शुरु हो रहा है बेसिक आय का नया प्रयोग, तीन साल तक 250 लोगों को मिलेगा बिना शर्तों के पैसा. क्या यूनिवर्सल बेसिक इनकम की दिशा में यह पहला कदम होगा.
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फरवरी 2019 से जर्मनी में शुरु हो रहे इस प्रयोग में 250 गरीब लोगों को चुना गया है. यह हार्ट्स चार श्रेणी के लोग हैं, जो जर्मनी के मौजूद सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के अंतर्गत सरकार से सहायता राशि पाते हैं. अब इन्हें हर महीने 416 यूरो की राशि बिना किसी शर्त के दी जाएगी.
आम तौर पर इस श्रेणी के लोगों को कुछ शर्तों का पालन करना पड़ता है. जैसे कि जॉब सेंटर अगर किसी नौकरी के बारे में बताए, तो इन्हें उसे पाने की कोशिश करने के लिए वहां जाना पड़ता है. या फिर किसी और तरह के साबित करना पड़ता है कि वे सक्रिय रूप से रोजगार तलाश कर रहे हैं. ऐसा ना होने पर वेलफेयर के नाम पर मिलने वाली राशि में कटौती हो जाती है.
तीन सालों तक इस प्रयोग को करवाने जा रहा एक्टिविस्ट संगठन सान्कसियोनफ्राई (यानि "प्रतिबंध-मुक्त") इस तरह काम करेगा कि अगर कोई शर्त पूरी ना करने के कारण लोगों की सहायता राशि में कटौती हो, तो वे उसकी अपनी तरफ से भरपाई कर देंगे. इस तरह प्रयोग में शामिल लोगों पर नौकरी ढ़ूंढने या ऐसा कोई बोझ नहीं होगा कि वे अंत में 416 यूरो पाएं.
इस प्रयोग में हिस्सा ले रहे लोगों को नियमित रूप से प्रश्नावली भरनी होगी. उसमें ऐसे सवाल पूछे गए हैं जिनसे इस तरह से मिली आर्थिक आजादी के उनके जीवन पर पड़ रहे असर को समझा जा सके. प्रयोग का दूसरा हिस्सा यह है कि इसी श्रेणी के ऐसे 250 लोगों से भी यही प्रश्नावली भरवाई जाए, जिन्हें वेलफेयर राशि पाने के लिए सभी शर्तों तका पालन करना पड़ता है.
"हार्ट्सप्लुस" कहलाने वाला यह प्रयोग असल में कोई यूनिवर्सल बेसिक इनकम प्रयोग नहीं है. सबसे बड़ा अंतर तो यही है कि इसे जर्मन सरकार नहीं बल्कि एक निजी कंपनी करवा रही है. फिर भी बेसिक आय की धारणा में दिलचस्पी रखने वाले इसे उसी दिशा में एक प्रयोग के तौर पर देख रहे हैं.
स्विट्जरलैंड में यूनिवर्सल बेसिक इनकम को लेकर कराए गए जनमत सर्वेक्षण में लोगों ने इसे नकार दिया था.तस्वीर: Reuters/D. Balibouse
सन 2016 में स्विट्जरलैंड में सभी नागरिकों के लिए यूनिवर्सल बेसिक आय लाने के प्रस्ताव पर जनमत संग्रह करवाया गया था, जो कि रद्द हो गया. फिर 2017 और 2018 में फिनलैंड में सरकार ने दो साल तक बेसिक आय का एक प्रयोग चलाया. इसमें 2,000 बेरोजगार नागरिकों को बिना शर्त मासिक सैलरी दी गई.
कई वामपंथी राजनेता और दल इस तरह की संकल्पना के समर्थक हैं. हम जिस युग में जी रहे हैं उसमें ऑटोमेशन और आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस तेजी से अपनी जगह बनाते जा रहे हैं. यह बदलाव कार्यस्थल को इतना बदलते जा रहे हैं कि इंसानों के लिए यूनिवर्सल बेसिक आय का विचार और भी जरूरी होता जा रहा है.
हालांकि जर्मनी के यह प्रयोग इस मामले में भी अलग है कि अगर प्रयोग में शामिल किसी व्यक्ति को ऐसा रोजगार मिल जाता है जिसमें सहायता राशि से ज्यादा कमाई होती हो, तो उसे वेलफेयर राशि मिलना बंद हो जाएगी.
जर्मनी के लिए यह विषय इतना नया तो नहीं लेकिन बिना शर्तों के राशि देने के कारण पहले के प्रयोगों से थोड़ा अलग है. देश में गरीबी बढ़ रही है. बर्लिन की राज्य सरकार 2019 में ही एक नई योजना लागू करने की तैयारी में है जिसे "सॉलिडैरिटी बेसिक इनकम” योजना कहा जाएगा. इसका विचार भी यूनिवर्सिल बेसिक आय जैसा ही है लेकिन फर्क यह होगा कि लोगों को काम करते रहना होगा.
यूनिवर्सल बेसिक आय की सबसे बड़ी आलोचना तो इसका महंगा होना ही है. उदाहरण के लिए, अगर मान लें कि जर्मनी के करीब 7 करोड़ वयस्कों को बिना शर्त महीने की 416 यूरो की राशि बेसिक आय के तहत दी जानी हो. तो केवल इस राशि के लिए ही सरकार को 350 अरब यूरो मुहैया कराने होंगे. बचत को लेकर जुनूनी माने जाने वाले देश के लिए इस खर्च की हामी भरना कभी आसान नहीं होगा. ऐसी संकल्पनाओं पर बहस फिलहाल जारी रहने वाली है और इस जर्मन प्रयोग के नतीजों पर भी विश्व भर की नजर रहेगी.
आर्थुर सुलिवान/आरपी
किसी जर्मन से ये बातें कभी ना पूछना
हर समाज और संस्कृति में कुछ ऐसे मुद्दे होते हैं जिन पर खुल कर बात नहीं होती. ऐसे में अगर किसी जर्मन से मिलें तो उससे कौन सी बातें आपको बिल्कुल नहीं पूछनी चाहिए, चलिए जानते हैं.
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सैलरी
रुपये पैसे के बारे में बात करना हमेशा एक पेचीदा विषय है. भारत में भी कहते हैं कि किसी आदमी से उसकी सैलरी और महिला से उम्र नहीं पूछना चाहिए. किसी जर्मन को भी यह पसंद नहीं आएगा कि कोई उसकी सैलरी पूछे. हालांकि अमेरिका, चीन या फिर स्वीडन जैसे देशों के लोगों से आप उनकी सैलरी आराम से पूछ सकते हैं.
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निजी जिंदगी
जर्मन लोगों की छवि दुनिया में बहुत शांत और रुखे लोगों की रही है. लेकिन जरूरी नहीं कि सब जर्मन एक जैसे ही हों. फिर भी ज्यादातर लोग अपनी निजी जिंदगी के बारे में हर किसी से बात करना पसंद नहीं करेंगे. मतलब पहली मुलाकात में किसी जर्मन से यह पूछने से बचना चाहिए शादीशुदा हो या फिर बच्चे कितने हैं?
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धर्म
ज्यादातर जर्मन लोग नहीं चाहेंगे कि वे पहली या दूसरी मुलाकात में किसी के साथ धर्म जैसे संजीदा मुद्दे पर बात करे. यह ऐसा विषय है जिस पर दो लोगों की राय अलग अलग हो सकती है. इसलिए मतभेद कर मुलाकात का बंटाधार ना कर दें, इसीलिए धर्म पर बात करने से बचना ही बेहतर है.
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राजनीति
धर्म की तरह राजनीति पर बात करना भी आसान नहीं है. दो अलग अलग संस्कृतियों और देशों से होने के बावजूद कुछ मुद्दों पर आपकी राय मिल सकती है और कुछ पर टकरा भी सकती है. कोई भला यह क्यों चाहेगा कि पहली मुलाकात में ही किसी से भिड़ जाएं. इसलिए राजनीति पर बात करने से भी बचना चाहिए.
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तो फिर क्या पूछें
कहीं आप यह तो नहीं सोचने लगे हैं कि जर्मन लोगों से बात करना तो बहुत मुश्किल है. ऐसा नहीं है. ऐसे बहुत सारे विषय हैं जिन पर आप जर्मन लोगों के साथ खूब गप्प मार सकते हैं. इनमें सबसे पसंदीदा विषय है मौसम. वैसे भारत में भी अजनबियों के बीच बातचीत मौसम से ही शुरू होती है.
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प्रोफेशन
जर्मन लोगों से आप उनके पेशे के बारे में पूछ सकते है और अपने पेशे के बारे में उनसे बात कर सकते हैं. उनकी इस बारे में पूरी दिलचस्पी रहती है कि विभिन्न देशों में वर्किंग कल्चर कैसा है और कहां पर क्या कुछ नया हो रहा है. लेकिन यहां पर अपने बॉस या सहकर्मियों की बुराई करने से हमेशा बचिए.
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खाना
जर्मन लोगों के लिए खाना भी बातचीत के सबसे प्रिय विषयों में से एक है. भारतीय खाने में तो जर्मनी के लोगों की कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी है. जर्मनी के लगभग हर छोटे बड़े शहर में आपको भारतीय रेस्त्रां मिलेंगे. हालांकि जर्मन लोग ज्यादा मिर्च मसाले वाला खाना नहीं खा पाते. लेकिन वे कुछ नया ट्राई करते रहते हैं.
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छुट्टियां
जर्मन लोग घूमने फिरने के खूब शौकीन होते हैं और अपनी छुट्टियों के किस्से भी बड़े चाव से सुनाते हैं. इसलिए छुट्टियों के बारे में उनसे बात करना भी एक सुरक्षित विषय है. घूमने के लिए भारत जाने वाले जर्मनों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों के बारे में भी आप किसी जर्मन के साथ आराम से बात कर सकते हैं. हॉलीवुड ही नहीं बल्कि अब जर्मनी में बॉलीवुड फिल्में भी काफी पसंद की जाती हैं. बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों के अकसर शो होते हैं. शाहरुख खान जर्मनी में सबसे लोकप्रिय बॉलीवुड स्टार हैं.
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दोस्तों के बीच
इस बीच, अगर किसी जर्मन से आपकी पक्की दोस्ती हो गई है, तो आप उसके साथ सभी विषयों पर बात कर सकते हैं. उन विषयों पर भी, जिन पर बात ना करने की सलाह पहले दी जा चुकी है. जाहिर है गंभीर मुद्दों पर बात करने के लिए भरोसा जरूरी होता है.