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जर्मन-अमेरिकी नो स्पाई संधि खटाई में

१४ जनवरी २०१४

स्नोडेन के एनएसए के खुलासों के बाद जर्मनी और अमेरिका के रिश्तों में काफी खटास है. अब "नो स्पाई" समझौते से इसके बदलने की उम्मीद की जा रही थी. लेकिन ऐसी रिपोर्टें आ रही हैं कि बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पा रही है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

"नो स्पाई'" समझौते का मकसद है जर्मनी और अमेरिका के बीच एक दूसरे की जासूसी न करने का समझौता. इन खबरों के बाद कि एनएसए ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के मोबाइल फोन की भी जासूसी की, जर्मनी ने अमेरिका के सामने यह प्रस्ताव रखा था. लेकिन मीडिया रिपोर्टें इस ओर इशारा कर रही हैं कि शायद यह समझौता न हो सके. जर्मन न्यूज चैनल एनडीआर ने कहा है कि बातचीत कर रहे जर्मन प्रतिनिधिमंडल में शामिल उच्च अधिकारियों ने समझौता होने की उम्मीदें छोड़ दी हैं.

असहयोग का रवैया

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका ने जर्मनी के नेताओं की जासूसी रोकने की बात से इंकार कर दिया है. साथ ही वह न तो यह बताने को तैयार है कि जासूसी कब से की जा रही है और न ही यह कि उनके पास किस तरह का डाटा जमा है. जर्मनी के प्रतिनिधिमंडल के करीबी एक सूत्र ने राष्ट्रीय दैनिक ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग से कहा, "हमें कुछ भी नहीं मिल रहा है." अखबार ने लिखा है कि यह जर्मनी की बहुत बड़ी "गलतफहमी" थी कि अमेरिका ऐसे किसी भी समझौते के लिए राजी हो जाएगा.

एनएसए ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के मोबाइल फोन की भी जासूसी की.तस्वीर: Reuters

जर्मनी को इस बात की उम्मीद थी कि बातचीत सफल रहेगी और समझौते के बाद जासूसी पर रोक लगाई जा सकेगी. इस बारे में बीते साल अगस्त में अमेरिका ने आश्वासन भी दिया था. एक उच्च अधिकारी ने अपनी निराशा जताते हुए एनडीआर से कहा, "अमेरिकियों ने हमसे झूठ कहा." पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल से फोन पर बात की और उन्हें वॉशिंगटन आमंत्रित भी किया. उस समय चांसलर के दफ्तर ने कहा था कि उन्होंने इसे मान लिया है. लेकिन मौजूदा स्थिति में ऐसी अटकलें लग रही हैं कि शायद अब ऐसा ना हो.

सरकार का इंतजार

जर्मन सरकार ने इस पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है. एक प्रवक्ता ने कहा, "सरकार अभी अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है ताकि वह खुफिया एजेंसियों के मामले में सहयोग दिखा सके. बातचीत विश्वसनीय है और अभी पूरी नहीं हुई है." ग्रीन पार्टी के नेता हंस क्रिस्टियान श्ट्रोएब्ले ने सरकार की आलोचना करते हुए समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "हम अब तक कोई कदम नहीं उठा पाए हैं क्योंकि हमारी सरकार अमेरिका से जवाब मांगने से बहुत डरती है."

वहीं अमेरिकी अधिकारी काफी समय से इस बात के संकेत देते आ रहे हैं कि अमेरिका इस तरह के समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा क्योंकि उसे डर है कि बाद में दूसरे देश भी इस तरह की मांग करने लगेंगे. पिछले जून से ही एनएसए के पूर्व कॉन्ट्रैक्टर एडवर्ड स्नोडेन एनएसए और साथी खुफिया एजेंसियों की जासूसी की पोल खोल रहे हैं. एनएसए ने सिर्फ चांसलर मैर्केल और दूसरे साथी देशों के नेताओं की ही जासूसी नहीं की है, बल्कि दुनिया भर में आम लोगों के ईमेल और टेलिफोन आंकड़े भी जमा किए हैं. खासकर जर्मनी में इस जासूसी की भारी निंदा हुई है.

आईबी/एमजे (डीपीए, एफएफपी)

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