जर्मन चुनाव के महज तीन हफ्ते पहले चुनाव प्रक्रिया में बाहरी हस्तक्षेप का भूत गहरा रहा है. हैकर्स ने वोट-काउंटिग सॉफ्टवेयर के पूरी तरह सुरक्षित होने पर आंशका जताई है. रूस के किसी भी हस्तक्षेप से इनकार किया है.
विज्ञापन
अमेरिकी चुनावों के बाद से जर्मन चुनावों में भी रूसी हस्तक्षेप को लेकर आशंकायें व्यक्त की गई हैं और इस बीच अब हैकर्स ने जर्मनी को परेशान होने की एक और वजह दे दी है. एक रिपोर्ट के मुताबिक मतों की गणना के लिये जिस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है उसमें सुरक्षा संबंधी खामियां पायी गयी हैं. आईटी विशेषज्ञ टॉर्स्टेन श्रोएडर, लीनस नॉयमन और मार्टिन चिरसिच की तिकड़ी ने जर्मन कंपनी वोट आईटी द्वारा तैयार किये गये सॉफ्टवेयर पीसी-वाल पर सवाल उठाये हैं. इस तिकड़ी का दावा है कि जर्मनी में चुनाव के अंतिम निर्णय तो नहीं बदले जा सकते क्योंकि उन्हें हाथ से जांचा जाता है लेकिन प्रांरभिक नतीजे जिनके बल पर राजनेता पहली प्रतिक्रिया देते हैं और मीडिया भी जिनका इस्तेमाल करती है उनमें छेड़खानी की जा सकती है. इस छेड़खानी के चलते देश में अनिश्चितता का माहौल पनप सकता है.
जर्मन चुनाव बेहद ही पारदर्शी नजर आते हैं, मतदाताओं को केवल कागजी मतपत्र परर पेन से वोट डालने की अनुमति होती है. सारे वोटों की गिनती भी हाथ से ही मतदान केंद्रों पर की जाती है. इसके बाद मतदान केंद्रों के नतीजों को जिला चुनाव अधिकारी को भेजा जाता है. जिलों से सूचना राज्य निर्वाचन अधिकारी और राज्यों से संघीय चुनाव अधिकार को पहुंचती हैं. वोटों की दिनती की सूचना अगले अधिकारी को शीघ्र पहुंचाने के लिए फोन, फैक्स या कंप्यूटर का इस्तेमाल होता है. इस प्रक्रिया में सेंधमारी हेकर्स के लिये बेहद ही आसान है.
जर्मनी में चुनाव लड़ने के लिए क्या चाहिए
सीडीयू और एसपीडी जैसी बड़ी पार्टियां तो चुनावी सूची में होंगी ही, लेकिन छोटी पार्टियों के लिए जर्मन आम चुनाव के बैलट में जगह बनाना बड़ी बात है. देखिए कैसे होता है ये काम.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
24 सितंबर को जब जर्मन नागरिक अपनी नई सरकार चुनने के लिए वोट देंगे तो ज्यादातर सीडीयू, एसपीडी, ग्रीन पार्टी या शायद एएफडी को वोट दें. लेकिन कई पार्टियों का नाम तो वोटर पहली बार सीधे बैलट पेपर पर ही देखते हैं.
तस्वीर: Reuters/Hannibal
बैलेट पेपर में नाम लाने के लिए छोटी पार्टियों को पहला काम तो ये करना पड़ता है कि समय पर चिट्ठी 'लेटर ऑफ इंटेंट' भेज कर अपनी मंशा जाहिर करें. और दूसरा काम ये सिद्ध करना होता है कि वे असल में एक राजनैतिक दल हैं.
तस्वीर: AP
ऐसी पार्टी जिसके पिछले चुनाव से लेकर अब तक बुंडेसटाग या किसी राज्य की संसद में कम से कम पांच सदस्य भी ना रहे हों, वह गैर-स्थापित पार्टी मानी जाती है. इन्हें चुनाव से पहले लिखित में 'लेटर ऑफ इंटेंट' भेजना पड़ता है. इसे "बुंडेसवाललाइटर" यानि केंद्रीय चुनाव प्रबंधक को भेजना होता है और यह पत्र चुनाव की तारीख से 97 दिन पहले मिल जाना चाहिए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/O. Andersen
इस लेटर ऑफ इंटेंट पर पार्टी प्रमुख और दो उप प्रमुखों के हस्ताक्षर होने चाहिए. उनके कार्यक्रमों का ब्यौरा होना चाहिए और साथ ही एक राजनीतिक दल के तौर पर उनके स्टेटस का सबूत होना चाहिए. जर्मन कानून (पार्टाइनगेजेत्स) के आधार पर चुनाव प्रबंधक और टीम तय करते हैं कि पार्टी मान्य है या नहीं. इसके लिए उनका मुख्यालय जर्मनी में होना चाहिए और कार्यकारिणी के बहुसंख्यक सदस्य जर्मन नागरिक होने चाहिए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/P. Zinken
इसके पहले 2013 में हुए संसदीय चुनावों में वोटरों के पास 30 से भी अधिक पार्टियों में से चुनने का विकल्प था. इनमें से केवल पांच दल ही बुंडेसटाग में जगह बना पाये. ये थे सीडीयू और उसकी बवेरियन सिस्टर पार्टी सीएसयू, एसपीडी, लेफ्ट पार्टी डी लिंके और ग्रीन पार्टी.
तस्वीर: Reuters/H. Hanschke
आर्थिक रूप से उदारवादी मानी जाने वाली एफडीपी को बुंडेसटाग में जगह पाने के लिए जरूरी 5 फीसदी वोट भी नहीं मिल सके थे. पांच प्रतिशत की चौखट पार करने वाले को ही संसद में प्रवेश करने को मिलता है. ऐसा ही अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी) के साथ भी हुआ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
एएफडी और एफडीपी दोनों पार्टियां तो बहुत कम अंतर से पांच प्रतिशत की शर्त को पूरा करने से चूक गयीं. लेकिन कई दूसरी बहुत छोटी पार्टियां जैसे एनीमल प्रोटेक्शन पार्टी, मार्क्सिस्ट-लेनिनिस्ट पार्टी और कुछ अन्य तो कुछ हजार वोट लेकर बहुत पीछे रह गयी थीं.
तस्वीर: Reuters/W. Rattay
7 तस्वीरें1 | 7
नॉयमन ने बताया कि उनके और उनके दोस्तों के लिये इस सॉफ्टवेयर को हैक करना बेहद ही आसान था. जर्मनी के एक अखबार के मुताबिक, "चुनावों में इस्तेमाल होने वाले कुछ सॉफ्टवेयर कोड बेहद ही पुराने हैं जिनमें से कुछ के पासवर्ड इंटरनेट पर एनलिस्ट ढूंढ लेते हैं." नॉयमान का मानना है, "जब मैं और मेरे दोस्त इसे हैक कर सकते हैं तो उपकरणों से लैस किसी सरकारी कंपनी के लिये इसे हैक कर पाना बेहद ही आसान होगा". सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनी ने मसले पर कोई टिप्पणी तो नहीं की लेकिन सुरक्षा संबंधी किसी खामी के होने से साफ इनकार कर दिया है. नॉयमान के मुताबिक उनकी टीम ने कंपनी को इस पूरे मसले की जानकारी दे दी है.
संघीय चुनाव अधिकारी के प्रवक्ता ने इसे गंभीर समस्या बताया है और कहा है कि कुछ दिनों पहले इसका पता चल गया था. इस बीच सॉफ्टवेयर निर्माता ने कई अपडेट की सप्लाई की है ताकि सुरक्षा खामियों को भरा जा सके. प्रांतीय चुनाव अधिकारियों से कहा गया है कि वे मतगणना के नतीजे भेजते समय सही आंकड़ों की सुरक्षा करें.