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मैर्केल की पार्टी को फिर सरकार बनाने का मतादेश

२४ सितम्बर २०१७

जर्मनी ने नयी संसद का चुनाव कर लिया है. 6.1 करोड़ से ज्यादा मतदाता 19वीं संसद के लिए मतदान किया और सीडीयू को बढ़त दिलायी. सर्वे में चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू पार्टी आगे हैं, लेकिन उसे भारी नुकसान हुआ है.

Bundestagswahl 2017 | CDU - Angela Merkel, Bundeskanzlerin
तस्वीर: Reuters/K. Pfaffenbach

शुरुआती नतीजों के अनुसार चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू पार्टी को 32.5 प्रतिशत मत मिले हैं. मार्टिन शुल्त्स के एसपीडी को 20 प्रतिशत मत मिलने की संभावना है जो ऐतिहासिक रूप से सबसे कम वोट होगा. धुर दक्षिणपंथी एएफडी को 13.5 प्रतिशत मत मिल रहे हैं और वह संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी. एक्जिट पोल के अनुसार एफडीपी को 10.5 प्रतिशत, लेफ्ट को 9 प्रतिशत और ग्रीन को 9.5 प्रतिशत वोट मिले हैं.

चुनाव प्रचार के लंबे दौर के बाद आखिर मतदान का दिन आ गया. रविवार को पूरे दिन लोगों ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों और पार्टियों को वोट दिया. इस बार 6.13 करोड़ लोगों को मतदान का हक है. चार साल पहले हुए चुनावों से 4,00,000 कम. लेकिन पिछले चुनावों की तुलना में इस बार मतदाताओं की भागीदारी में बड़ी वृद्धि हुई है. 2013 में मतदाताओं की भागीदारी 71 प्रतिशत थी जबकि इस साल 77 प्रतिशत मतदाताओं ने चुनाव में हिस्सा लिया. मतदाताओं की औसत आयु 52 साल है. ये अब तक की सबसे ज्यादा औसत आयु है. इसमें इस साल पहली बार वोट देने वाले 30 लाख युवाओं के शामिल होने से भी कोई बदलाव नहीं आया है. सांख्यिकी कार्यालय के अनुसार एक तिहाई मतदाता 60 साल से ज्यादा उम्र के हैं.

पेपर के मतपत्र

19वीं संसद के चुनाव में 42 पार्टियां भाग ले रही हैं. चार साल पहले 2013 में बुंडेसटाग का चुनाव लड़ने वाली सिर्फ 34 पार्टियां थीं. देश के 299 चुनाव क्षेत्रों में मतदान केंद्र सुबह आठ बजे खुले और शाम छह बजे तक वहां मतदान हुआ. मतदान का प्रक्रिया को कामयाब बनाने के लिए करीब 6,50,000 वोलंटियरों ने योगदान दिया. चूंकि जर्मनी में चुनाव गुप्त है, इसलिए वोट देते समय किसी को केबिन में साथ नहीं ले जाया जा सकता. हालांकि मतदाता मतदान केंद्र के अंदर बच्चों को साथ ले जा सकते हैं. जर्मन चुनाव कानून में इस बार से नयी बात ये जुड़ी है कि केबिन में ऐसी सेल्फी नहीं ली जा सकती जिसमें ये दिखे कि किस उम्मीदवार के पक्ष में वोट दिया गया है. अगर कोई ऐसी सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है तो वोट तो अवैध हो ही जायेगा, वोटर को सजा भी मिलेगी.

तस्वीर: Getty Images/M. Hitij

जर्मनी में पोलिंग बूथ बंद होते ही एक्जिट पोल के नतीजे आम किये जा सकते हैं. नतीजों के पहले पूर्वानुमान का राजनीतिज्ञों को भी इंतजार रहता है. वे उसके बाद नतीजों की रुझानों पर टिप्पणी करना शुरू कर देते हैं. उन सभी पार्टियों ने जो जीतकर बुंडेसटाग में पहुंचने की उम्मीद रखती हैं, चुनाव पार्टियों का आयोजन किया है. सीडीयू, एसपीडी और एएफडी ने ये आयोजन पार्टी मुख्यालयों में किया है तो लेफ्ट, ग्रीन और एएफडी ने इसके लिए हॉल बुक किए हैं.

कांटे की टक्कर

चार साल पहले के मुकाबले इस बार संसद में पहुंचने के लिए छोटी पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है. चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू सबसे बड़ी पार्टी है तो एसपीडी को भी पर्याप्त मत पाने में कोई शक नहीं था. पिछली संसद में उनके अलावा छोटी पार्टियों में से सिर्फ वामपंथी डी लिंके और ग्रीन पार्टी संसद में पहुंच पायी थी. उदारवादी एफडीपी पांच प्रतिशत मत पाने की बाधा पार नहीं कर पायी थी और संसद से बाहर रह गयी थी. इस बार एफडीपी के अलावा धुर दक्षिणपंथी एएफडी भी संसद में पहुंची है. पिछली बार वह 4.7 प्रतिशत पाकर संसद के दरवाजे से बाहर ही रह गयी थी.

सात पार्टियों की उपस्थिति के साथ संसद का काम आसान नहीं रहेगा. और सरकारी बनाने के लिए गठबंधन तय करना भी मुश्किल होगा. चुनाव प्रचार के दौरान मौजूदा गठबंधन के बने रहने के अलावा सीडीयू के साथ ग्रीन और एफडीपी के गठबंधनों पर अटकलें लगायी जा रही थी, अब आये नतीजों ने उसकी पुष्टि ही की है. लेकिन मुख्य अनुदारवादी सीडीयू सीएसयू और एफडीपी और ग्रीन पार्टियों के बीच कई सारे मुद्दों पर इतने मतभेद हैं कि गठबंधन वार्ताएं आसान नहीं होंगी.

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