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जर्मन छावनियों में भेड़ियों का बसेरा

१ मार्च २०१९

सालों तक दूर रहने के बाद 1996 में जब पहला भेड़िया जर्मनी लौटा तो यहां के लोग बड़े खुश हुए. दो दशक के बाद ये खुशी तकलीफ में बदल गई है क्योंकि भेड़िये मवेशियों पर हमले कर रहे हैं

Deutschland Wolf in freier Wildbahn
तस्वीर: picture-alliance/blickwinkel/S. Meyers

जर्मन सैनिक अड्डों में भेड़िये अपना ठिकाना बना रहे हैं. 19 बड़े सैनिक अड्डों में से 13 में भेड़ियों का बसेरा है. 2000 से 2015 के बीच जिन 79 इलाकों में भेड़ियों ने घर बनाए उनमें से 16 सैन्य इलाके थे. केवल 9 ऐसे इलाकों में भेड़ियों ने बसना पसंद किया जो नेशनल पार्क में थे.

शिकारियों की बंदूकों से जब गोलियां छूटती हैं तो भेड़िये उनकी परवाह नहीं करते. उन्हें पता है कि ये गोलियां उन्हें निशाना बनाने के लिए नहीं दागी गई हैं. पूर्व सैनिक कमांडर आपस में मजाक करते हैं कि बंदूकों का निशाना कब सही लगेगा लेकिन इस बारे में कुछ सैनिकों से बेहतर तो भेड़िये जानते हैं. सैनिकों का कहना है कि वो भेड़ियों के साथ रह सकते हैं.

हालांकि किसानों और राजनेताओं का एक समूह इस कोशिश में है कि भविष्य में जब बंदूकों से गोलियां निकलें तो उनका निशाना सीधे भेड़ियों पर हो.

तस्वीर: picture-alliance/Moritz Vennemann

भेड़ियों को शायद अंदाजा हो गया है कि सैन्य अड्डों में शिकारी नहीं हैं. सैन्य अड्डों में भेड़ियों की मृत्यु दर भी कम है. उनके यहां रहने की यह भी एक वजह हो सकती है. भेड़िये यहां सिर्फ शिकारियों से ही नहीं साइकिल सवारों, मशरूम चुनने वालों और हवाखोरी के लिए निकले लोगों की नजर में आने से भी बचे रहते हैं.

इल्का राइनहार्ड्ट ने हाल ही में इस बारे में अपनी रिसर्च पूरी की है.

सैक्सनी की वोल्व्स ऑफिस में काम करने वाली वनीसा लुडविष ने बताया, "ट्रेनिंग कैंप भेड़ियों को सुविधाजनक लगता है क्योंकि वे यहां एक घेरे के भीतर रहते हैं और वहां उन्हें कोई परेशान नहीं करता. भेड़ियों के अलावा वो जीव भी इन्हीं कारणों से इन इलाकों में रहते हैं, जिनका शिकार भेड़िये करते हैं. भेड़ियों के लिए यहां रहने की यह एक और वजह है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Rehder

भेड़िये तो संरक्षित हैं लेकिन दूसरे जीवों के लिए शिकार एक समस्या है. भेड़ियों का भी शिकार होने लगेगा अगर अधिकारी यह मान जाएं कि यह पशु एक खतरा है.

ज्यादातर जर्मन चाहते हैं कि भेड़ियों के शिकार को वैध मान लिया जाए. कई दशकों पहले भेड़िये जर्मनी से बाहर चले गए थे. पूर्वी जर्मनी में एक तरफ आबादी घट रही है तो दूसरी तरफ भेड़िये वापस आ रहे हैं. अकसर इंसानों और भेड़ियों का आपस में सामना हो रहा है. भेड़ियों की आबादी 1996 से ही लगातार बढ़ रही है. उनके वापस आने के बाद अब तक सिर्फ दो भेड़ियों को कानूनी तौर पर मारने की अनुमति मिली है.

बीते हफ्ते लोअर सैक्सनी के एक जज ने फैसला दिया कि शिकारी उस भेड़िये को मार सकते हैं जिसने कम से कम 40 मवेशियों पर हमला किया हो. इसी तरह श्लेषविग होल्सटाइन में भी भेड़ियों को मारने की तरकीब निकालने की कोशिश हो रही है. विधानसभा में फ्री डेमोक्रैट्स कुछ लोग इसके लिए दबाव बना रहे हैं कि जर्मन कानून के तहत जिन जानवरों को मारने की अनुमति है उनमें भेड़ियों को भी शामिल किया जाए.

धुर दक्षिणपंथी पार्टी अल्टरनेटिव फॉर डॉयचलैंड (एएफडी) का कहना है कि भेड़ियों की संख्या अगर एक निश्चित सीमा को पार कर जाती है तो फिर उनके शिकार का कोटा तय किया जाना चाहिए.

हालांकि यह इतना भी सरल नहीं है कि शिकारियों का एक दस्ता भेड़ियों की समस्या को खत्म करने के लिए भेज दिया जाए. अधिकारियों ने शार्पशूटरों पर पहले भरोसा किया है. किसी भेड़िये को मारने से पहले यह तय करना होता है कि यह वही भेड़िया है जिसे मारा जाना है. हालांकि फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता कि शिकार की अनुमति देने से उनकी संख्या कम हो ही जाएगी.

एनआर/एए (डीपीए)

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