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जर्मन चुनाव और ऑनलाइन धमकियों का जवाब

२८ जुलाई २०१७

जर्मन आम चुनाव सिर पर हैं और इस चुनावी माहौल में कई नेताओं को ऑनलाइन धमकियां और अपमान झेलना पड़ रहा है. ग्रीन पार्टी के सांसद ओसजान मुतलू भी इसके पीड़ित हैं.

Özcan Mutlu - Cyberhass gegen Politiker
तस्वीर: DW/F. Hofmann

जर्मनी की ग्रीन पार्टी से बुंडेसटाग के सदस्य ओसजान मुतलू फिर से चुने जाने के लिए चुनाव मैदान में हैं. वे कहते हैं, "हम जवाब देने में बहुत तेज हैं." किसी ऑनलाइन उकसावे के जवाब में उनकी टीम भी सोशल मीडिया चैनलों पर जल्द से जल्द उसकी प्रतिक्रिया वाली पोस्ट, तस्वीरें और ग्राफिक्स डाल देती है. खुद मुतलू भी इंटरनेट के इस्तेमाल में माहिर हैं. उनके समर्थकों को हमेशा उनसे उम्मीद भी रहती है कि जब जब उनके चुनाव अभियान के मुख्य मुद्दों से जुड़ी कोई बात इंटरनेट पर आये, तो वे उस पर बढ़ चढ़ कर प्रतिक्रिया दें. इसी इंटरनेट पर कई ऐसे लोग हैं जो मुतलू के साथ बहुत तीखे तरीके से पेश आते हैं.

हर ओर से आती धमकियां

एक तुर्क मूल का जर्मन नागरिक होने के कारण उन्हें दोतरफा हमला झेलना पड़ता है. एक ओर नियोनाजी और दूसरी तरफ राष्ट्रवादी तुर्क- ना केवल उन्हें नफरत भरी बातें सुनाते हैं बल्कि जान से मारने की धमकियां भी देते हैं. उनके लिए एक ऑनलाइन संदेश में लिखा था, इसे "गैस चैंबर में भेज दो."

मुतलू बताते हैं, "मैं हमेशा ऐसे अपराधों की रिपोर्ट करता हूं." हालांकि अब तक इन शिकायतों का ज्यादा असर नहीं दिखा है. स्टेट अटॉर्नी ऑनलाइन गाली गलौज के ऐसे 40 से भी ज्यादा मामले देख चुके हैं. लगभग सभी अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार के दायरे में आते हैं. ऐसे में मुतलू नाराज ही हो सकते हैं. कुछ मामलों में ऐसी नफरत फैलाने वालों को पुलिस ने सम्मन भी किया, लेकिन अधिक से अधिक उन लोगों ने मूतलू से माफी मांग ली. फिर पुलिस ने उन्हें ऐसे लोगों को माफ कर देने के लिए प्रेरित किया, जो उन्हें "बेहद अजीब" लगा.

ऑनलाइन संदेशों पर नियंत्रण की मांग

मुतलू की ग्रीन पार्टी की एक अन्य सदस्य रेनाटे कुएनास्ट ने एक बार ऐसे घृणा भरे संदेशों का बड़ा ही अनोखा जवाब दिया था. वे उन लोगों के घर पहुंच गयीं जिन्होंने उनके लिए वे संदेश पोस्ट किये थे. कुछ लोगों को उनका ऐसा करना मजेदार लगा, लेकिन इससे बदला ज्यादा कुछ नहीं. ऐसे खतरे लगभग हर पार्टी के नेता झेल रहे हैं. इसीलिए हाल ही में जब जर्मन संसद बुंडेसटाग में सोशल मीडिया पर टिप्पणियों को लेकर कार्रवाई करने का नियम बन रहा था, तो इसका विरोध का स्वर लगभग नदारद था. ग्रीन पार्टी ने ही इसके कुछ हिस्सों पर आपत्ति जतायी थी लेकिन बाकी तो इसके पूरे पूरे पक्ष में थे. 

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भाषण की स्वतंत्रता खतरे में

इंटरनेट से जुड़े मामलों के बर्लिन के एक वकील निको हेर्टिंग कहते हैं, "जर्मनी में फ्रीडम ऑफ स्पीच की लॉबी कमजोर है." वे कहते हैं कि "सब यही सोचते हैं कि क्या बैन कर देना चाहिए."  ऑनलाइन नियंत्रण के नियम को वे खतरनाक मानते हैं. हेर्टिंग को यह भी पता है कि फेसबुक घृणा वाली पोस्ट के मामलों से कैसे निपटता है. फेसबुक के बर्लिन ऑफिस में जा चुके हैं और बताते हैं कि वहां बैठकर अपमानजनक कमेंट्स को मिटाया जाता है.

हिंसा और पोर्नोग्राफी

हेर्टिंग बताते हैं कि ऐसी सामग्री को मिटाया जाता है. लेकिन बाकी कठिन मामलों में पोस्ट पर कार्रवाई का फैसला एक प्राइवेट कंपनी फेसबुक का कोई कर्मचारी कुछ निर्देशों और अपने विवेक से ही फैसले लेता है. हेर्टिंग सवाल उठाते हैं कि ऐसी स्थिति में क्या हो, अगर कोई कर्मचारी "व्यंग्यात्मक पोस्ट करने वाले किसी को फेसबुक पर ब्लॉक कर दिया जाये क्योंकि उसे फेसबुक वालों ने ठीक से समझा ना हो.?" ऐसी स्थिति में गलती सुधरने का कोई तरीका नहीं बना है.

मुतलू भी इन चिंताओं से इत्तेफाक रखते हैं. लेकिन वे फेसबुक की जिम्मेदारी भी तय होते देखना चाहते हैं. वे कहते हैं, "फेसबुक के पास एल्गोरिदम हैं जिससे वो नग्नता वाली पोस्ट ब्लॉक कर देता है. तो अगर "फेसबुक चाहे वो ऐसा एल्गोरिदम भी बना सकता है जो इन आपराधिक मामलों में पोस्ट को ब्लॉक कर सके. लेकिन शायद कंपनी ऐसा करना नहीं चाहती."

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