1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जर्मन परिवारों पर 500 यूरो का बोझ और बढ़ा

१५ अगस्त २०२२

जर्मन परिवारों को गैस के लिये 500 यूरो यानी करीब 40 हजार रूपये ज्यादा देने होंगे. यूक्रेन युद्ध का नतीजा जर्मनी के लोगों के लिये एक नया बोझ लेकर आया है. सरकार पर आम लोगों को राहत देने के उपाय करने का दबाव बढ़ गया है.

चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने आम लोगों के लिये राहत के उपाय का भरोसा दिया है
चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने आम लोगों के लिये राहत के उपाय का भरोसा दिया हैतस्वीर: Wolfgang Rattay/REUTERS

महामारी, महांगाई और दूसरी मुश्किलों से जूझ रहे जर्मनी के लोगों पर थोड़ा बोझ और बढ़ गया है. सरकार ने गैस पर प्रति किलोवाट 2.419 सेंट अधिभार लगाने का फैसला किया है. चार लोगों का परिवार आमतौर पर कीब 20,000 किलोवाट सालाना गैस खर्च करता है. इस तरह से हिसाब जोड़ें तो यह कुल खर्च करीब 3,568 यूरो सालाना का है. इसमें कुल 13 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो रही है. जर्मनी में गैस बाजार के संचालक ट्रेडिंग हब यूरोप ने बताया है कि 2.419 सेंट प्रति किलोवाट अधिभार की दर तय की है.

गैस आयातक कंपनियों की मुश्किल 

जर्मन सरकार ने गैस आयातक कंपनी यूनीपर और उस जैसी दूसरी कंपनियों को राहत देने के लिये इस अधिभार का एलान किया है. यह एक अक्टूबर से शुरू हो कर अप्रैल 2024 तक लागू रहेगा. यूक्रेन पर हमले का बाद बढ़ी गैस सप्लाई की दिक्कतों और सरकार के रूसी गैस से छुटकारा पाने की कोशिशों की वजह से गैस आयात करने वाली कंपनियों की मुसीबत बढ़ गई है.

यूनीपर जैसी गैस आयातक कंपनियां बुरे हाल में हैंतस्वीर: Ina Fassbender/AFP

सिर्फ आम लोग ही नहीं यह अधिभार उद्योग जगत पर भी लगेगा. जर्मनी के स्टील ग्रुप डब्ल्यूवी स्टाल का कहना है कि वह ऊर्जा की कीमतें बढ़ने के कारण पहले ही 7 अरब यूरो अतिरिक्त खर्च कर चुका है और अब इसमें 50 करोड़ यूरो की रकम और जोड़ने जा रहा है.

डब्ल्यूवी स्टाल के प्रेसिडेंट हांस युर्गेन केर्कहॉफ का कहना है, "गैस अधिभार ने खर्च का दबाव बहुत ज्यादा बड़ा दिया है जो पहले से ही ऊर्जा मार्केट में कीमतें बढ़ने का दबाव झेल रहा है."

यह भी पढे़ंः जर्मनी में गैस संकट से निपटने के लिये परमाणउ ऊर्जा जारी रखने की मांग

महंगाई और बढ़ेगी

अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि इस अधिभार की वजह से यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में महंगाई और बढ़ जायेगी. महंगाई की दर पहले ही 8.5 फीसदी तक जा चुकी है और राहत देने के लिये सस्ते टिकट जैसे जो कुछ उपाय किये गये थे उनकी समय सीमा भी अब खत्म हो रही है.

कॉमर्सबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री योएर्ग क्रेमर का कहना है, "गैस अधिभार से महंगाई बढ़ेगी लगभग एक परसेंटेज प्वाइंट इसमें वैल्यू ऐडेड टैक्स भी शामिल है." इसके साथ ही क्रेमर ने यह भी कहा कि इस तरह के संकेत मिल रहे हैं कि जर्मन अर्थव्यवस्था इस साल सर्दियों में मंदी में जा सकती है.

 जर्मन उद्योग महासंघ ने सरकार से कारोबार को सहयोग देने वाले उपायों की मांग की है. जर्मनी यूरोपीय संघ से इस अधिभार पर वैट छूट का इंतजार कर रहा है. चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने पिछले हफ्ते परिवारों के लिये अतिरिक्त राहत पैकेज का वादा किया है. वित्त मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने भी अधिभार कितना हो बताने के बाद राहत देने की यह प्रतिबद्धता दोहराई है. हाबेक ने एक बयान में कहा है, "अधिभार पुतिन के यूक्रेन पर अवैध आक्रमणकारी युद्ध और रूस के जरिये ऊर्जा की सप्लाई में कृत्रिम कमी का नतीजा है."

जर्मनी फिर कोयले की शरण में क्यों?

01:56

This browser does not support the video element.

यह भी पढ़ेंः जर्मनी में गैस की कमी देख लकड़ी जमा करने लगे हैं लोग

रूस ने तकनीकी कारणों और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की लालफीताशाही का आरोप लगाते हुये नॉर्ड स्ट्रीम 1 पाइपलाइन से गैस की डिलीवरी घटा दी है. फिलहाल पाइपलाइन की क्षमता से बहुत कम गैस की सप्लाई हो रही है.

जर्मन सरकार ने गैस की सप्लाई में कमी को राजनीतिक से प्रेरित बताया है. जर्मन सरकार रूसी गैस के विकल्प ढूंढने में तेजी से जुटी हुई है लेकिन किसी भी उपाय के धरातल पर उतर कर आम लोगों तक उसका फायदा पहुंचाने में वक्त लगेगा. कम से कम इस साल की सर्दियों तक रूसी गैस का कोई ठोस विकल्प लोगों को राहत देने के लिये सामने आयेगा इसकी कम ही उम्मीद है.

एनआर/ओएसजे (रॉयटर्स, एएफपी)

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें