जर्मनी आई यूक्रेनी औरतों की रक्षा की चिंता में पुलिस
११ मार्च २०२२![बर्लिन में हजारों की संख्या में यूक्रेन के लोग रोज पहुंच रहे हैं](https://static.dw.com/image/61012405_800.webp)
बर्लिन के सेंट्रल स्टेशन पर आ रहे यूक्रेनी शरणार्थियों के स्वागत में पुलिस और वालंटियर बड़ी मुस्तैदी से जुटे हैं. उनके पास ऐसी शिकायतें भी आई हैं कि कुछ लोग युवतियों और लड़कियों की कमजोर स्थिति का फायदा उठा सकते हैं, खासकर उनका जो अकेले या फिर छोटे बच्चों के साथ आई हैं. पुलिस के मुताबिक, कुछ ऐसे मामले सामने आए हैं जब पुरुषों ने महिलाओं को लिफ्ट या फिर रहने की जगह का प्रस्ताव दिया. पुलिस को जानकारी मिली है कि ये लोग हजारों की संख्या में आ रहे शरणार्थियों की वजह से फैली अफरातफरी का फायदा उठाने की फिराक में हैं.
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हालांकि संघीय पुलिस के प्रवक्ता ने डीडब्ल्यू को बताया कि अच्छी बात यह रही कि, "वे इतने घबराए हुए हैं कि तुरंत ही वॉलंटियर या फिर हमारे स्टाफ की नजरों में आ गए." उन्होंने यह भी बताया कि दुर्व्यवहार के मामले बहुत कम हैं. इस बात के कोई सबूत नहीं है कि यौन दुर्व्यवहार, अपहरण या फिर मानव तस्करी की कोई घटना हुई हो.
प्रवक्ता ने बताया, "एक महिला हमारे पास आई थी जिसके साथ ऐसी कोशिश की गई." एक आदमी उसे मदद देने के बहाने अपने साथ ले जाने की कोशिश कर रहा था, "हमें उसे स्टेशन से निकालना पड़ा. फिलहाल यहां बड़ी संख्या में लोग हैं, जो ईमानदारी से मदद करना चाहते हैं. दूसरी तरफ कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो इस परिस्थिति का फायदा उठाना चाहते हैं."
पुलिस और वॉलंटियरों की नजर
स्टेशन पर मौजूद वॉलंटियरों ने स्थानीय मीडिया को बताया कि उन्हें संदिग्ध लोगों पर नजर रखनी पड़ती है, जब तक कि वे महिला को अकेले ना छोड़ दें. पुलिस ने सोशल मीडिया पर चेतावनी देते हुए संदेश भी जारी किए हैं. वे यूक्रेनी, रूसी और अंग्रेजी भाषा में चेतावनी देकर लोगों को सावधान कर रहे हैं. कार्यकर्ताओं को भी इस बारे में आगाह किया गया है. सुबह जब शरणार्थियों को मदद देने वाली टीम की बैठक होती है, तो उसमें भी इस बारे में चर्चा की जा रही है.
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मोनिका चिसेक इवांस मानव तस्करी के शिकार लोगों के लिए एक काउंसलिंग सेंटर चलाती हैं. उनका कहना है, "अच्छा होगा कि जो लोग महिलाओं और बच्चों को अपने साथ ले जा रहे हैं, उनके नाम दर्ज किए जाएं. दुर्भाग्य से बहुत सारे लोग यहां दूसरों का शोषण करने की भी कोशिश करते हैं और जरूरी नहीं कि इस तरह के सिर्फ मर्द ही शरणार्थियों के सामने जाएं. महिलाओं पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए."
चिसेक इवांस 20 साल से काउंसलिंग सेंटर चला रही हैं. उनके संपर्क में आई बहुत सी औरतें पूर्वी यूरोप की हैं. उनका ग्रुप देशभर के ट्रेन स्टेशनों पर ऐसे पत्रक बंटवाने पर काम कर रहा है, जिसमें यूक्रेन के लोगों को सावधान किया जाएगा. यूक्रेनी भाषा में लिखे इन पत्रकों में सलाह दी गई है, "अपना पासपोर्ट खुद से दूर ना करें. अपना फोन हमेशा साथ रखें. किसी भी गाड़ी में सवार होने से पहले उस गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की तस्वीर खींच कर रख लें. जब भी कोई आपसे घर या कमरा देने की पेशकश करे, तो उसकी आई़डी जरूर मांगकर देखें. उसका नाम और पता लिख लें. अगर कोई तुरंत बहुत सारा पैसा दिलाने का वादा करे, तो सावधान हो जाएं."
जबरन देह व्यापार का खतरा
बर्लिन या देश के दूसरे रास्तों से जर्मनी पहुंच रही महिलाओं के साथ मानव तस्करी के बारे में जर्मन संस्थाओं या फिर यूक्रेनी सूत्रों से कोई सबूत नहीं मिले हैं. फिर भी आशंकाएं बनी हुई हैं. लेखक, सामाजिक कार्यकर्ता और यौनकर्मियों के हक की बात कहने वाली हुशेके माउ कहती हैं कि खतरे को समझा जा सकता है और इसलिए सजगता बनी रहनी चाहिए. माउ ने कहा, "हर साल 12 लाख पुरुष यहां यौनकर्मियों के पास जाते हैं. यूरोपीय संघ में होने वाली मानव तस्करी की सबसे बड़ी मंजिल जर्मनी है. तस्कर और बिचौलिए जान रहे हैं कि शरणार्थी उनके लिए बड़ी कमाई ला सकते हैं."
एयरबीएनबी के साथ सहयोग
गुरुवार को जर्मन सरकार ने शरणार्थियों को सुरक्षा के लिए एक नई पहल की घोषणा की, खासतौर से उनके लिए जिन्हें सोने की जगह की तलश में अनजान लोगों की दया पर निर्भर होना पड़ रहा है. गृह मंत्रालय के मुताबिक, छुट्टियों के लिए घर किराए पर दिलाने वाली एजेंसी एयरबीएनबी ने पूरे जर्मनी में तीन लाख निजी घर मुहैया कराने की घोषणा की है. ये घर नए शरणार्थियों को दिए जाएंगे. मंत्रालय ने इसके लिए लोगों और कंपनियों की तारीफ की है. इन घरों में रहने वालों की पहचान और जानकारी मिल सकेगी और उनकी सुरक्षा तय करने में आसानी होगी. इसके लिए गृह मंत्रालय लोगों और ऐसी कंपनियों के साथ मिलकर काम करेगी.