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जर्मन पुलिस को क्लीनचिट

२२ अगस्त २०१३

जर्मनी के संसदीय आयोग ने लंबे समय तक उग्र दक्षिणपंथी एसएसयू संगठन के सदस्यों द्वारा की गई हत्याओं की जांच में गलतियों की जांच की. गुरुवार को पेश रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने गलती की, लेकिन अपराधियों को छिपाया नहीं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

नवनाजियों ने 2000 से 2007 के बीच तुर्की ओर ग्रीक मूल के नौ लोगों के अलावा एक महिला पुलिसकर्मी की हत्या की. इनकी जांच में की गई गलतियों से भविष्य में पुलिसकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए सबक सीखा जाना चाहिए. यह संसदीय जांच आयोग द्वारा दिए गए 47 सुझावों में से एक है ताकि भविष्य में ऐसी गलती न हो. आयोग के प्रमुख सेबास्टियान एडाथी ने बर्लिन में 1400 पेज की रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि अपराध की जांच इस पर निर्भर करे कि पीड़ित अल्पसंख्यक समुदाय का है. उन्होंने कहा कि उग्रपंथी नवनाजियों से होने वाले खतरे को कभी भी इतना कम कर नहीं आंका जाना चाहिए. विदेशी मूल के लोगों की हत्याओं की जांच के सिलसिले में अपराधियों को संगठित अपराध में खोजा जा रहा था, जबकि 2011 में पता चला कि हत्याएं एनएसयू के सदस्यों ने की है.

तैयार की गई रिपोर्टतस्वीर: picture-alliance/dpa

नस्लवाद के आरोप

आयोग के कई सदस्यों ने इस पर जोर दिया कि आयोग ने इस बात पर गंभीरता से विचार किया कि क्या अधिकारियों ने जानबूझ कर निगाहें फेरीं और हत्यारों को छिपाया. आयोग को इसका कोई संकेत नहीं मिला. सीएसयू के सदस्य श्टेफान श्ट्राके ने कहा कि जांच का मुख्य नतीजा यह है कि अधिकारियों और एनएसयू के बीच कोई गठजोड़ नहीं था. पूरी रिपोर्ट को आयोग में सभी पांच दलों के प्रतिनिधियों ने एकमत से पास किया है जो संसद के रोजमर्रे में आम बात नहीं है. इस पर 2 सितंबर को संसद में बहस होगी.

रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि नहीं हुई है कि सुरक्षा अधिकारी दक्षिणपंथ को नजरअंदाज करते हैं. आयोग में सीडीयू के सदस्य क्लेमेंस बीनिंगर ने डॉयचे वेले से कहा, "लेकिन हमने रिपोर्ट में दफ्तरी अंधापन देखा कि जांच का एक रूटीन था और हमेशा एक ही तरह के अनुभव से काम किया जाता है." लेकिन वामपंथी पार्टी डी लिंके की सदस्य पेत्रा पाऊ ने कहा कि उनके नजरिए से जांच में नस्लवादी रुझान थी. साझा रिपोर्ट में इस निष्कर्ष का जिक्र नहीं है.

म्यूनिख में चल रहे एनएसयू मुकदमे के बारे में बर्लिन में एक संवाददाता सम्मेलन में पीड़ितों के वकीलों ने आलोचना की है कि नस्लवाद के आरोप को नजरअंदाज कर दिया गया है. इसके विपरीत आयोग के प्रमुख और भारतीय मूल के एसपीडी सांसद एडाथी जर्मन सुरक्षा संस्थानों में कोई संरचनात्मक नस्लवाद नहीं देखते.

एनएसयू पर म्यूनिख में चलता मुकदमातस्वीर: picture-alliance/dpa

तुर्क विदेश मंत्री का आभार

जर्मन संसदीय आयोग के सुझावों में यह सुझाव भी शामिल है कि हिंसक अपराधों के सभी मामलों में, जिसमें पीड़ित की पहचान के कारण नस्लवादी या राजनीति प्रेरित हो सकती है, की जांच की जानी चाहिए और उसे दर्ज भी किया जाना चाहिए. आयोग ने कहा है कि घरेलू खुफिया एजेंसी फरफासुंगशुत्स को उग्र दक्षिणपंथी खतरों के प्रति संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. साथ ही नवनाजी संगठनों में खुफिया एजेंसियों के मुखबिरों के लिए भविष्य में स्पष्ट नियम बनाए जाने चाहिए.

बर्लिन के दौरे पर आए तुर्की के विदेश मंत्री अहमत दावुतोग्लू ने एनएसयू के सदस्यों द्वारा की गई हत्याओं की जांच के लिए जर्मन सरकार का आभार व्यक्त किया है. मामले की जांच के लिए बने संसदीय आयोग ने अपना काम सितंबर में होने वाले चुनावों से पहले पूरा कर लिया है, लेकिन सेक्सनी और थ्युरिंजिया राज्यों में विधानसभाओं के दो आयोग भी इसकी जांच कर रहे हैं. म्यूनिख में हत्याओं में शामिल बेआटे चेपे और एनएसयू की मदद करने वाले अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा चल रहा है.

रिपोर्ट: बैर्न्ड ग्रेसलर/एमजे

संपादन: ए जमाल

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