जर्मनी के दो पूर्वी राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनने जा रही है. सेक्सनी और ब्रांडेनबुर्ग राज्यों में रविवार को वोट डाले गए.
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अब तक आए नतीजों से पता चलता है कि ब्रांडेनुबर्ग में मध्य वामपंथी एसपीडी और सेक्सनी में मध्य दक्षिणपंथी सीडीयू सत्ता में बनी रहेंगी, लेकिन उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है. दोनों ही राज्यों में धुर दक्षिणपंथी एएफडी ने बड़ी संख्या में लोगों का समर्थन पाने में कामयाबी पाई है.
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू को सेक्सनी में 32 प्रतिशत वोट मिले और वह सबसे बड़ी पार्टी बनी है. लेकिन ब्रांडेनबुर्ग में पार्टी सिर्फ 15 प्रतिशत वोट ही हासिल कर पाई. ब्रांडेनबुर्ग में सबसे ज्यादा 26.2 प्रतिशत वोट एसपीडी को मिले हैं. सेक्सनी में एसपीडी 7.7 प्रतिशत के आंकड़े से आगे नहीं बढ़ पाई. दोनों ही राज्यों में सरकार बनाने के लिए सीडीयू और एसपीडी को गठबंधन सहयोगियों की जरूरत होगी.
जर्मन संसद बुंडेसटाग में कुल सात पार्टियां मौजूद हैं. ऐसा कम ही होता है कि ये एक दूसरे से किसी बात पर सहमत दिखें. जानिए क्या हैं इन पार्टियों की नीतियां और कैसे हैं ये एक दूसरे से अलग.
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क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी (सीडीयू)
सीडीयू संसद में सबसे बड़ी पार्टी है. पारंपरिक रूप से यह सेंटर-राइट पार्टी रही है. लेकिन चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व में पार्टी का रुझान मध्य की ओर ज्यादा रहा है. लेफ्ट पार्टियों की तुलना में सीडीयू रूढ़िवादी मानी जाती है. यह यूरोपीय संघ और नाटो में सदस्यता का समर्थन करती है.
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क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू)
सीएसयू बवेरिया प्रांत में सीडीयू की सहोदर पार्टी है. राष्ट्रीय स्तर पर दोनों पार्टियां एक साथ सीडीयू/सीएसयू के रूप में काम करती हैं. सामाजिक मुद्दों में सीएसयू को सीडीयू से भी अधिक रूढ़िवादी माना जाता है. बवेरिया प्रांत में पार्टी ने सभी सरकारी इमारतों में क्रॉस लगाने के आदेश दिए हैं.
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सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी)
एसपीडी जर्मनी की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और मुख्य सेंटर-लेफ्ट के रूप में सीडीयू/सीएसयू की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी भी. 2017 के चुनावों के बाद इन पार्टियों ने मिल कर गठबंधन सरकार बनाई. गठबंधन की विफल कोशिशों के बाद चुनाव होने के लगभग छह महीने बाद देश में सरकार बन सकी.
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अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी)
एएफडी उग्र दक्षिणपंथी पार्टी है, जिसका गठन पहली बार 2013 में हुआ. 2017 के चुनावों के बाद पहली बार कोई धुर दक्षिणपंथी पार्टी संसद में पहुंच पाई है और यह सबसे बड़े विपक्ष का काम कर रही है. एएफडी मैर्केल की शरणार्थी नीति से इत्तेफाक नहीं रखती और ना ही यूरो और यूरोपीय संघ का समर्थन करती है.
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फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी)
एफडीपी को भले ही कभी भी 15 फीसदी से ज्यादा वोट ना मिले हों लेकिन सरकार बनाने में एफडीपी का हमेशा ही बड़ा हाथ रहा है. कभी एसपीडी के साथ, तो कभी सीडीयू/सीएसयू के साथ एफडीपी गठबंधन बनाती रही है. हालांकि 2017 के चुनावों के बाद उसने गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया. धार्मिक मुद्दों और समलैंगिकों के विवाह पर पार्टी के उदारवादी विचार हैं.
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ग्रीन पार्टी
अस्सी के दशक में पर्यावरण के मुद्दों के साथ ग्रीन पार्टी का गठन हुआ. कृषि सुधार और परमाणु ऊर्जा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर पार्टी आवाज उठाती रही है. इसके अलावा यह कई सामाजिक विरोध आंदोलनों की अगुवाई भी करती रही है. सामाजिक मुद्दों पर इस पार्टी का उदारवादी मत है लेकिन कई अन्य मुद्दों पर पार्टी के सदस्यों में आपसी मतभेद भी दिखे हैं.
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वामपंथी पार्टी (डी लिंके)
डी लिंके का गठन 2007 में हुआ लेकिन इसे 1989 तक पूर्वी जर्मनी (जीडीआर) पर राज करने वाली सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी (एसईडी) का वंशज माना जाता है. आज भी जर्मनी के पूर्वी हिस्से में ही इसे लोकप्रियता हासिल है. मुख्यधारा की पार्टियां अक्सर इससे दूर ही रहना पसंद करती है. डी लिंके नाटो की सदस्यता का भी विरोध करती है.
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दूसरी तरफ, इन दोनों राज्यों में एएफडी को बड़ा फायदा हुआ है. सेक्सनी में उसे 27.5 प्रतिशत जबकि ब्रांडेनबुर्ग में 23.5 प्रतिशत वोट मिले हैं. जर्मनी के पूर्वी हिस्से में आम तौर पर ग्रीन पार्टी कमजोर मानी जाती है लेकिन हालिया यूरोपीय संसद के चुनावों में पार्टी को बहुत फायदा हुआ. विधानसभा चुनावों में पार्टी को सेक्सनी में 8.6 प्रतिशत और ब्रांडेनबुर्ग में 10.8 प्रतिशत वोट मिले. वहीं वामपंथी पार्टी डी लिंके को ब्रांडेनबुर्ग में 10.7 प्रतिशत और सेक्सनी में 10.4 प्रतिशत वोट हासिल हुए.
एसपीडी और सीडीयू का जनाधार घट रहा है और एएफडी आगे बढ़ रही है. लेकिन कोई भी अन्य पार्टी एएफडी के साथ मिल कर काम करने को तैयार नहीं है. ऐसे में, गठबंधन सरकारों में छोटी पार्टियों की अहम भूमिका होगी.
उधर एएफडी की नेता एलिस वाइडेल ने ट्वीट कर चुनाव नतीजों पर खुशी जताई है और कहा है कि उनकी पार्टी अब लोगों की पार्टी बन गई है. दोनों राज्यों में पार्टी को लगभग उतना ही समर्थन मिला है जितना पिछले आम चुनावों में मिला था. एएफडी ने प्रवासियों को लेकर असंतोष का फायदा उठाया है और पूर्वी जर्मनी में अपने जनाधार को मजबूत किया है.
एके/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)
ऐसा क्या है अंगेला मैर्केल के व्यक्तित्व में
अंगेला मैर्केल चौथी बार जर्मनी की चांसलर बन गई है. अपनी गंभीर मुद्रा और सुरक्षात्मक शासनशैली के लिए जानी जाने वाली चांसलर मैर्केल के व्यक्तित्व के कुछ अलग पहलू दिखाती तस्वीरें.
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'शक्ति का त्रिकोण'
मैर्केल को अक्सर हाथ मिलाकर खड़े होने पर एक त्रिकोण सी मुद्रा में देखा जाता है. जनता के सामने हों या कैमरे के सामने- ये हस्त मुद्रा उनकी पहचान है. और एक बेहद शक्तिशाली नेता होने के कारण कई लोग इसे शक्ति का त्रिकोण कहते हैं.
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यूरोप की नेता
जर्मन चांसलर अपनी लगभग हर सार्वजनिक उपस्थिति में शांत और गंभीर होती हैं, खासकर यूरोप के भीतर. इसी कारण सही मौकों पर आई उनकी मुस्कान खबर बन जाती है. जैसे हाल ही में ब्रातिस्लावा में आयोजित यूरोपीय नेताओं के सम्मेलन में.
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सेल्फी में चांसलर
2015 में जर्मनी में शरणार्थियों की संख्या में आए उभार के दौरान ही एक सीरियाई युवा के साथ उनकी ये सेल्फी बहुत महत्वपूर्ण संदेश बन गई. शरणार्थियों के लिए द्वार खुले रखने वाली मैर्केल ने अपने मत को साफ करते हुए तमाम स्कूलों और शरणार्थी कैंपों का दौरा किया.
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गठबंधन सरकार में जुगलबंदी
जर्मनी की चांसलर और सीडीयू पार्टी की मुखिया के तौर पर मैर्केल के सामने चुनौतियां भी बड़ी हैं. वह सरकार में अपनी सहयोगी पार्टी एसपीडी के बड़े नेता जिग्मार गाब्रिएल की तरह तुरंत प्रतिक्रिया नहीं देतीं बल्कि बहुत ही ठंडे दिमाग से वस्तुनिष्ठता वाले बयानों के लिए जानी जाती हैं.
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तेज डिजिटल विकास पर उत्सुक
एक भौतिकशास्त्री के रूप में प्रशिक्षित मैर्केल वैज्ञानिक सोच और अभिरुचि वाली तो रही हैं, लेकिन इंटरनेट और डिजिटल मीडिया में वे बहुत ज्यादा बढ़ चढ़ कर हिस्सा नहीं लेतीं. हालांकि उनका आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट है, जिस पर उनके सरकारी फोटोग्राफर की खींची तस्वीरें डाली जाती हैं. 2015 में यूएन में फेसबुक संस्थापक मार्क जकरबर्ग के साथ.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उपदेशक की बेटी
एक प्रोटेस्टेंट पादरी की बेटी के रूप में जन्मी मैर्केल के नैतिक मूल्यों पर उनके पिता की शिक्षाओं का गहरा असर माना जाता है. ईसाई परवरिश के साथ बड़ी हुईं मैर्केल को 2016 में पोप फ्रांसिस के साथ वैटिकन में मिलने का मौका मिला. अपनी पसंदीदा किताबों पर चर्चा करते हुए.
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दोस्ताना राजनैतिक संबंधों की चैंपियन
अपने व्यस्त कार्यक्रमों के चलते मैर्केल के जीवन में ऐसे मौके भी कम ही आते हैं जब वे रिलेक्स दिखें. लेकिन 2013 में जर्मनी और फ्रांस के बीच एलिजी समझौते पर हस्ताक्षर होने की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर मैर्केल ने पूरी संसद को न्यौता दिया और दोनों देशों की दोस्ती का जश्न शैंपेन की बोतल के साथ मनाया गया.
तस्वीर: AP
एक निजी चांसलर
चांसलर के रूप में अंगेला मैर्केल साल में बहुत कम ही बार छुट्टियां ले पाती हैं. सार्वजनिक जीवन में होने के कारण अक्सर छुट्टी के समय भी उन पर नजर होती है. जैसे यहां पोलैंड में पति योआखिम जाउअर के साथ छुट्टी पर गईं मैर्केल की तस्वीर. (हाइके मुंड/आरपी)