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'भारत समेत पूरी दुनिया में कमजोर हुआ है लोकतंत्र'

२९ अप्रैल २०२०

जर्मनी के बैर्टेल्समन फाउंडेशन ने कहा है कि विश्व में ऐसे लोकतांत्रिक देशों की तादाद बढ़ी है जहां कानून का राज और लोगों की राजनैतिक आजादी कम हुई है.

Coronavirus - Demonstration Berlin
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Carstensen

र्बैर्टेल्समन फाउंडेशन की एक स्टडी में बताया गया है कि पहले के मुकाबले अब ज्यादा लोगों पर गैरलोकतांत्रिक शासन चल रहा है. स्टडी में पाया गया है कि ऐसे दमनकारी शासन और बढ़ती असमानता के कारण विश्व की अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ रहा है.

जर्मन फाउंडेशन ने दुनिया में लोकतंत्र के कमजोर होते जाने का कारण सत्ता द्वारा शक्तियों का दुरुपयोग और अपने करीबियों को अहम पदों पर नियुक्त करने के चलन को ठहराया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सामाजिक और आर्थिक असमानता की खाई और गहराती जाती है. फिलहाल जिस कोरोना वायरस की महामारी की चपेट में पूरा विश्व आया हुआ है, फाउंडेशन उसे भी वैश्विक लोकतंत्र के लिए खतरा बढ़ाने वाला बताता है.

भारत में कैसे हैं हाल

स्टडी के लेखकों ने पाया कि भारत में हिन्दू राष्ट्रवाद के बढ़ने के कारण "कभी स्थिर लोकतंत्र वाले देश में कानून और नागरिक स्वतंत्रता का शासन ध्वस्त हुआ है.” रिसर्चरों ने ऐसी ही टिप्पणी दक्षिणपंथी पॉपुलिज्म के उत्थान के चलते ब्राजील और यूरोपीय देश हंगरी के बारे में भी की है. कहा गया है कि वहां "अधिनायकवादी मार्ग" पर बढ़ा जा रहा है. लेखकों ने बताया कि ऐसे बदलाव राजनैतिक ध्रुवीकरण की ओर इशारा करते हैं और इसके साथ ही वहां विपक्ष के अलावा जातीय या धार्मिक अल्पसंख्यकों का दमन भी होता है. 

र्बैर्टेल्समन फाउंडेशन के एक्जीक्यूटिव बोर्ड की सदस्य ब्रिगिटे मोन का कहना है, "राष्ट्रवाद और भाईभतीजावाद कोई नई बात नहीं है लेकिन अब दुनियाभर में जैसे इसे स्वीकार्यता मिल गई है. यहां तक कि पोलैंड और हंगरी जैसे देश जो पहले लोकतंत्र के मामले में आगे हुआ करते थे, यूरोप के दिल में बसे इन देशों में भी अब कानून के राज और लोकतंत्र की क्वालिटी को लेकर खतरे की चेतावनी देने वाले झटके मिल रहे हैं.”

आज तक की सबसे खराब रेटिंग

फाउंडेशन ने 2004 में ‘ग्लोबल ट्रांसफॉर्मेशन इंडेक्स' (बीटीआई) की शुरुआत की थी. तब से लेकर हर दो साल में फाउंडेशन ऐसे सर्वे निकालती है जिसमें विकासशील और बदलावों से गुजर रहे देशों में राजनैतिक और आर्थिक प्रगति का अध्ययन किया जाता है.

सर्वे के छठवें संस्करण में एक बार फिर लोकतंत्र, अर्थव्यवस्था और शासन की गुणवत्ता कम होती नजर आई है. यानि जब से यह सर्वे शुरु हुए तब से लेकर अब तक की सबसे कम रेटिंग दर्ज हुई है. इसमें कुल 137 देशों को देखा गया, जिसमें से 74 को बीटीआई लोकतंत्र और 63 को ऑटोक्रेसी यानि निरंकुश शासन वाले देश मानता है.

आरपी/ओएसजे (केएनए, एएफपी)

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