घरेलू हिंसा जैसा अपराध केवल गरीब या विकासशील देशों में ही नहीं जर्मनी जैसे विकसित देश की औरतों के साथ भी हो रहा है. जर्मनी में पहली बार जारी हुआ इसका आंकड़ा.
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जर्मनी में घरेलू हिंसा से सालाना करीब एक लाख महिलाएं प्रभावित हो रही हैं. पहली बार केंद्रीय पुलिस विभाग की ओर से इस बाबत राष्ट्रीय आंकड़े जारी किए गए हैं. आंकड़े संबंधियों के हाथों हिंसा की शिकार होने वाली लड़कियों और औरतों के हैं. इस ताजा जानकारी से पता चलता है कि हत्या, यौन हिंसा, शारीरिक क्षति पहुंचाना और पीछा करना आपसी संबंध से जुड़े महिला-पुरुष पार्टनरों के बीच होने वाले आम अपराध हैं.
फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस (बीकेए) के साथ जर्मनी की पारिवारिक मामलों की मंत्री मानुएला श्वाइजिष ने अपने तरह के इन पहले आंकड़ों को राजधानी बर्लिन में जारी किया. करीबी संबंधों में हिंसा के मामलों को दिखाने वाली ऐसी पहली रिपोर्ट पुलिस ने सार्वजनिक रूप से पेश की है.
बीकेए के मुताबिक, साल 2015 में कुल 127,457 लोगों की हत्या, उन पर शारीरिक हमले, बलात्कार, धमकी और पीछा करने वाले पीड़ित के संबंधी ही थे. इन पीड़ितों में 82 फीसदी यानि एक लाख से अधिक महिलाएं थीं. इन महिलाओं में से 65,800 को एक से ज्यादा चोटें आई थीं जबकि 11,400 तो बहुत बुरी तरह घायल हुई थीं. करीब 16,200 महिलाओं को धमकाया गया था और 8,000 से अधिक पीछा किए जाने से परेशान थीं. कुल 331 औरतों की उनके पार्टनर ने ही जानबूझ कर या गैरइरादतन हत्या कर दी थी.
2014 में एक नौजवान के हमले के बाद कोमा में चली गई 23 वर्षीया छात्रा फिर कभी नहीं लौटी. टूचे लड़कियों की मदद करने की कोशिश कर रही थी. देखिए तस्वीरों में..
जांबाज छात्रा को जर्मनी का सलाम
जर्मनी के एक रेस्तरां में संकट में फंसी दो लड़कियों को बचाने के लिए आगे आने वाली 23 वर्षीय छात्रा टूचे ए की इस घटना में लगी चोट के कारण मौत हो गई है. इस बहादुर लड़की की मौत से पूरा जर्मनी सदमे में है.
तस्वीर: Getty Images/R. Orlowski
नम आंखों से कहा अलविदा
जर्मनी में तुर्क मूल की 23 वर्षीय छात्रा टूचे अलबायराक के अंतिम संस्कार में हिस्सा लेने भीड़ उमड़ पड़ी. नम आंखों से लोगों से जांबाज को विदाई दी.
तस्वीर: Reuters//K. Pfaffenbach
उमड़ी भीड़
मस्जिद के बाहर लोगों ने टूचे की याद में फूलमालाएं चढ़ाईं. शोक समारोह में शामिल होने 20 बसों में सवार होकर लोग पहुंचे.
तस्वीर: Getty Images/R. Orlowski
जान पर खेलकर की मदद
शनिवार सुबह पुलिस ने इस बहादुर छात्रा की मौत की पुष्टि की. फ्रैंकफर्ट के पास ओफेनबाख शहर के अस्पताल के बाहर जमा लोग जांबाज की मौत से बेहद सदमे में हैं. टूचे की मौत उसके 23वें जन्मदिन पर हुई. उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी क्योंकि वे मदद करना चाहती थी.
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मोमबत्ती जलाकर श्रद्धांजलि
जिस अस्पताल में टूचे का इलाज चल रहा था उसके बाहर करीब 1500 लोग इकट्ठा हुए और उसकी याद में फूल रखे और मोमबत्तियां जलाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. टूचे मूल रूप से तुर्की की रहने वाली थी.
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दिल पर पत्थर रखकर फैसला
ओफेनबाख पुलिस के मुताबिक शुक्रवार रात छात्रा को जीवन रक्षक प्रणाली से हटाने का फैसला किया गया. जीवन रक्षक प्रणाली से हटाने के बाद छात्रा की मौत शनिवार को हो गई. टूचे के माता पिता ने यह फैसला तब लिया जब डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया.
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गहरा सदमा
जर्मन राष्ट्रपति योआखिम गाउक और हेसे प्रांत की सरकार ने टूचे के परिवार को अपनी संवेदनाएं भेजी हैं. मुख्यमंत्री फोल्कर बॉउफिये और उप मुख्यमंत्री तारीक अल वजीर ने कहा, "एक बेटी को खोना भयानक है जिसके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी."
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रेस्तरां में झगड़ा
दो हफ्ते पहले पश्चिम जर्मनी की गिजेन यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली छात्रा पर एक नौजवान ने हमला कर दिया था जिसके बाद टूचे जमीन पर गिर गई. चोट लगने के कारण टूचे कोमा में चली गई और फिर कभी नहीं लौटी. टूचे लड़कियों की मदद करने की कोशिश कर रही थी.
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आरोपी की चुप्पी
पूरी वारदात सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई है. अभियोजन पक्ष के मुताबिक पहली पूछताछ में आरोपी ने चोट पहुंचाना कबूल किया था. उसके बाद से ही उसने चुप्पी साध ली है और अब आरोपी से इस मामले में पूछताछ हो रही है कि उसने शारीरिक नुकसान पहुंचाया जिस कारण छात्रा की मौत हो गई.
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सहानुभूति और एकता
ओफेनबाख में सना क्लिनिक के बाहर जमा हुए लोग टूचे की याद में तख्तियां लेकर आए थे. एक तख्ती पर संदेश लिखा, "आज हम सब टूचे हैं."
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ऑर्डर ऑफ मेरिट की मांग
हजारों लोगों ने सोशल मीडिया पर अपने दुख और अविश्वास का इजहार किया. फेसबुक पर खास पेज बनाया गया है, जिसे अब तक एक लाख पच्चीस हजार से ज्यादा लाइक मिल चुके हैं. जर्मनी के ऑर्डर ऑफ मेरिट मरणोपरांत से सम्मानित करने वाली इंटरनेट याचिका पर पचास हजार से ज्यादा हस्ताक्षर किए जा चुके हैं.
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आंकड़े दिखाते हैं कि बलात्कार और यौन हिंसा के शिकारों में लगभग सभी महिलाएं ही थीं. धमकियों और पीछा किए जाने से परेशान 90 फीसदी से अधिक पीड़ित भी महिलाएं ही थीं. बीकेए के निदेशक होल्डर मुंच ने कहा कि पुलिस ने दुर्व्यवहार से जुड़ी ऐसी तमाम शिकायतें दर्ज की हैं, जिनमें अपमान और डराने के छोटे मामलों समेत रेप जैसी गहरी मानसिक और शारीरिक चोट पहुंचाया जाना और हत्या भी शामिल है.
परिवार मंत्री श्वाइजिष ने कहा "महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, पुरुषों या बच्चों से हिंसा यह सब किसी का निजी मामला नहीं है. यह दंडनीय अपराध है और इसे उसी तरह देखा जाना चाहिए." उन्होंने कहा कि किसी के अपने घर की चारदीवारी के भीतर तो उसे सबसे ज्यादा सुरक्षित महसूस करना चाहिए, वहां भी हिंसा होने पर इसे टैबू ना समझकर उसके बारे में आवाज उठाने की जरूरत है. इस मुद्दे को उजागर करने के लिए ही सरकार ने घरेलू हिंसा के आंकड़ों को अलग से वर्गीकृत कर सबके लिए जारी किया है. ताकि अपने समाज की सच्चाई से सभी दो-चार हों और उनसे निपटने के उपाय तलाशे जा सकें.
जर्मनी में ऐसी किसी परेशानी में पड़ी कोई भी महिला दिन के 24 घंटे काम करने वाली मुफ्त हेल्पलाइन 08000116116 पर कॉल कर 15 भाषाओं में काउंसलिंग पा सकती है.