बूढ़ी हो रही आबादी और घटते जन्मदर से परेशान जर्मनी के लिए अच्छी खबर है. 2014 पिछले 25 सालों में सबसे ज्यादा जन्मदर वाला साल रहा.
विज्ञापन
1990 में जर्मनी के एकीकरण के बाद से देश में जन्मदर के घटने की समस्या जारी है. 1995 में जन्मदर अब तक के सबसे निम्न स्तर तक पहुंचकर 1.25 प्रति महिला हो गया था. 2014 में यह 1.47 रहा. संघीय सांख्यिकीय कार्यालय के मुताबिक महिलाएं अब ज्यादा उम्र में भी बच्चों को जन्म दे रही हैं. जहां 1990 में संतान को जन्म देने वाली महिला की औसत आयु 24.8 थी, वहीं 2014 में यह बढ़ कर 29.5 हो गई. एकीकरण के 25 साल बाद भी जर्मनी के पश्चिमी और पूर्वी राज्यों में जन्मदर में अंतर है. पश्चिमी राज्यों में ज्यादा महिलाएं बच्चों को जन्म दे रही हैं.
यूरोप की अर्थव्यवस्था से जुड़े संकट का बहुत बड़ा कारण बूढ़ी हो रही आबादी है. जर्मनी में कर्मचारियों की भारी कमी भी है. पिछले महीने देश में 6 लाख नई नौकरियों में जगह खाली थी. जर्मनी में 1972 से मरने वालों की संख्या जन्म लेने वालों से ज्यादा चली आ रही है. दुनिया का कोई और देश जन्मदर में इतनी भारी कमी नहीं झेल रहा. बर्लिन का अनुमान है कि 2030 तक यहां काम करने वाली आबादी में 60 लाख तक की कमी आएगी. परिवार को बढ़ाने की सोच का समर्थन करने वाली सरकारें लगातार इस चलन को बदलने की कोशिश कर रही हैं.
कुछ जानकारों को यह भी लगता है कि आने वाले समय में जन्म दर में वृद्धि के अलावा आप्रवासियों के आने से भी देश की औसत आयु घटेगी. जर्मनी में 2015 में करीब 10 लाख शराणार्थियों के आने की उम्मीद है जिनमें ज्यादातर 25 साल से कम उम्र के हैं.
एसएफ/आईबी (डीपीए, रॉयटर्स)
नवजात शिशुओं के लिए 12 टिप्स
जीवन का पहला साल बच्चे के विकास के लिए बेहद अहम होता है. बच्चे अपने आस पास की चीजों को समझना और पहले शब्द बोलना सीखते हैं. इस दौरान माता पिता कई सवालों से गुजरते हैं. यदि आप भी उनमें से हैं, तो इन टिप्स का फायदा उठाएं.
तस्वीर: Maksim Bukovski - Fotolia.com
मालिश करें
भारत में बच्चों की मालिश का चलन नया नहीं है. लेकिन माता पिता अक्सर इस परेशानी से गुजरते हैं कि बच्चे की मालिश कब और कैसे की जाए. शिशु को दूध पिलाने के बाद या उससे पहले मालिश ना करें. घी या बादाम तेल को हल्के हाथ से बच्चे के पूरे शरीर पर मलें. नहलाने से पहले मालिश करना अच्छा होता है.
ध्यान से नहलाएं
नवजात शिशुओं की त्वचा बेहद नाजुक होती है. बहुत ज्यादा देर तक पानी में रहने से वह सूख सकती है. ध्यान रखें कि पानी ज्यादा गर्म ना हो. शुरुआती तीन हफ्ते में गीले कपड़े से बदन पोंछना काफी है. अगर आप बेबी शैंपू का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो एक हाथ से बच्चे की आंखों को ढक लें. नहाने के बाद बच्चे बेहतर नींद सो पाते हैं.
तस्वीर: Fotolia/S.Kobold
आराम से सुलाएं
ब्रिटेन की शिशु रोग विशेषज्ञ डॉन केली बताती हैं कि माता पिता बच्चों को सुलाने से पहले उन्हें कपड़ों की कई परतें पहना देते हैं, "खास कर रात को, वे उन्हें बेबी बैग में भी डाल देते हैं और उसके ऊपर से कंबल भी ओढ़ा देते हैं." केली बताती हैं कि इस सब की कोई जरूरत नहीं. बहुत ज्यादा गर्मी बच्चे के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है.
तस्वीर: Fotolia/st-fotograf
रोने से घबराएं नहीं
बच्चे रोते हैं और इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है. जच्चा बच्चा सेहत पर किताब लिख चुकी अमेरिका की जेनिफर वॉकर कहती हैं, "बच्चे रोने के लिए प्रोग्राम्ड होते हैं. उनके रोने का मतलब यह नहीं कि आप कुछ गलत कर रहे हैं, बल्कि यह उनका आपसे बात करने का तरीका है." मुंह में पैसिफायर लगा हो, तो बच्चे कम रोते हैं.
तस्वीर: Yuri Arcurs/Fotolia
दांतों की देखभाल
न्यूयॉर्क स्थित डेंटिस्ट सॉल प्रेसनर कहती हैं कि कई बार मां बाप बहुत देर में बच्चों के हाथ में ब्रश थमाते हैं. दूध के दांत बहुत नाजुक होते हैं और इन्हें बहुत ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है. प्रेसनर का कहना है कि जब दांत आने लगें, तो बच्चे को ठीक सोने से पहले दूध पिलाना बंद कर दें. अगर ब्रश कराना शुरू नहीं किया है, तो दूध पिलाने के बाद गीले कपड़े से दांत साफ करें.
तस्वीर: colourbox
कुदरत के साथ
बच्चों को जितना हो सके कुदरत के साथ जोड़ें. आज के हाई टेक जमाने में माता पिता बच्चों को मोबाइल, टेबलेट और टीवी के साथ ही बढ़ा करने लगे हैं. अमेरिका की अकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स का कहना है कि कम से कम दो साल की उम्र तक बच्चों को स्क्रीन से दूर रखना चाहिए.
तस्वीर: Fotolia/Boris Bulychev
रंगों के बीच
बच्चों के आसपास रंग होना अच्छा है. आठ से नौ महीने के होने पर बच्चे अलग अलग तरह के रंग, सुगंध, शोर और स्पर्श को पहचानने लगते हैं. यही उन्हें सिखाने का सही समय भी है.
तस्वीर: Fotowerk - Fotolia.com
खेल खेल में
बच्चे खेल खेल में नई चीजें सीखते हैं. सिर्फ वस्तुओं को पहचानना ही नहीं, बल्कि खुशी और गुस्से जैसे भावों को भी समझने लगते हैं. बच्चों से बात करते हुए मुस्कुराएं और उनकी आंखों से संपर्क बना कर रखें. याद रखें कि बच्चे बोल नहीं सकते, इसलिए आंखों के जरिए संवाद करते हैं.
तस्वीर: Fotolia/Ana Blazic Pavlovic
मम्मी के साथ पढ़ाई
बच्चे के साथ बातें करें. जब वह कोई आवाजें निकाले, तो उन्हें दोहराएं और उसके साथ कुछ शब्द जोड़ दें. इस तरह बच्चे का जल्द ही भाषा के साथ जुड़ाव बन सकेगा. किताबों से पढ़ कर कहानियां सुनाने के लिए बच्चे के स्कूल पहुंचने का इंतजार ना करें. छोटे बच्चे इन कहानियों के जरिए नई आवाजें और शब्द सीखते हैं.
तस्वीर: Fotolia/Oksana Kuzmina
पापा के साथ ब्रश
बच्चों को नई नई चीजें सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है उनके साथ वही चीज करना. बच्चे देख कर वही चीज दोहराते हैं. इसी तरह से आप उन्हें कसरत करना भी सिखा सकते हैं. शुरुआत में ध्यान लगने में वक्त लग सकता है लेकिन बाद में बच्चे नई चीजें करने में आनंद लेने लगते हैं.
तस्वीर: Fotolia/detailblick
पहले कदम
जब तक बच्चे चलना नहीं सीख लेते उन्हें जूतों की जरूरत नहीं होती. इन दिनों फैशन के चलते माता पिता नवजात शिशुओं के लिए भी जूते खरीदने लगे हैं. शिशुओं के लिए मोजे ही काफी हैं. ये उनके लिए आरामदेह भी होते हैं.
तस्वीर: Fotolia/deber73
पहला जन्मदिन
बच्चे वयस्कों की तरह पार्टी नहीं कर सकते. वे जल्दी थक जाते हैं और भीड़ से ऊब भी जाते हैं. इसे ध्यान में रखते हुए अपने बच्चे की पहली बर्थडे पार्टी को एक से दो घंटे तक ही सीमित रखें ताकि पार्टी बच्चे की मुस्कराहट का कारण बने, आंसुओं का नहीं.