जर्मनी की वामपंथी पार्टी डी लिंके ने थुरिंजिया राज्य में शानदार जीत दर्ज की है. शुरुआती नतीजों में वामपंथी पहले और धुर दक्षिणपंथी एएफडी पार्टी दूसरे स्थान पर है. वहीं चांसलर मैर्केल की पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई है.
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जर्मनी के पूर्वी राज्य थुरिंजिया में रविवार को विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले गए. मतदाताओं ने धुर दक्षिणपंथी एएफपी पार्टी को मजबूत बनाया है लेकिन राज्य में सबसे बड़ी ताकत डी लिंके पार्टी ही बनी है. सभी जिलों से मिले आंकड़े बताते हैं कि डी लिंके पार्टी को 31 प्रतिशत वोट मिलने जा रहे हैं जबकि एएफडी पार्टी 23.4 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहेगी. चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी को 21.8 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर ही संतोष करना होगा.
थुरिंजिया राज्य में मतदान प्रतिशत अप्रत्याशित रूप से ज्यादा रहा. कुल 17 लाख वोटरों में से 65 प्रतिशत ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. पिछले चुनाव में यह आंकड़ा सिर्फ 53 प्रतिशत था. इन आंकड़ों में डाक मतपत्रों को शामिल नहीं किया गया है.
हालांकि डी लिंके पार्टी के लिए यह नतीजे ऐतिहासिक हैं लेकिन इससे यह भी संकेत मिलता है कि आने वाले दिनों में राज्य में सरकार का गठन कितना मुश्किल होने वाला है. अभी डी लिंके वहां एसपीडी और ग्रीन पार्टी के साथ मिल कर सरकार चला रही है. एसपीडी को इस चुनाव में सिर्फ 8.2 प्रतिशत वोट मिले हैं. 2014 के चुनाव के मुकाबले पार्टी ने अपने चार प्रतिशत वोटर खोए हैं.
हर समाज और संस्कृति में कुछ ऐसे मुद्दे होते हैं जिन पर खुल कर बात नहीं होती. ऐसे में अगर किसी जर्मन से मिलें तो उससे कौन सी बातें आपको बिल्कुल नहीं पूछनी चाहिए, चलिए जानते हैं.
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सैलरी
रुपये पैसे के बारे में बात करना हमेशा एक पेचीदा विषय है. भारत में भी कहते हैं कि किसी आदमी से उसकी सैलरी और महिला से उम्र नहीं पूछना चाहिए. किसी जर्मन को भी यह पसंद नहीं आएगा कि कोई उसकी सैलरी पूछे. हालांकि अमेरिका, चीन या फिर स्वीडन जैसे देशों के लोगों से आप उनकी सैलरी आराम से पूछ सकते हैं.
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निजी जिंदगी
जर्मन लोगों की छवि दुनिया में बहुत शांत और रुखे लोगों की रही है. लेकिन जरूरी नहीं कि सब जर्मन एक जैसे ही हों. फिर भी ज्यादातर लोग अपनी निजी जिंदगी के बारे में हर किसी से बात करना पसंद नहीं करेंगे. मतलब पहली मुलाकात में किसी जर्मन से यह पूछने से बचना चाहिए शादीशुदा हो या फिर बच्चे कितने हैं?
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धर्म
ज्यादातर जर्मन लोग नहीं चाहेंगे कि वे पहली या दूसरी मुलाकात में किसी के साथ धर्म जैसे संजीदा मुद्दे पर बात करे. यह ऐसा विषय है जिस पर दो लोगों की राय अलग अलग हो सकती है. इसलिए मतभेद कर मुलाकात का बंटाधार ना कर दें, इसीलिए धर्म पर बात करने से बचना ही बेहतर है.
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राजनीति
धर्म की तरह राजनीति पर बात करना भी आसान नहीं है. दो अलग अलग संस्कृतियों और देशों से होने के बावजूद कुछ मुद्दों पर आपकी राय मिल सकती है और कुछ पर टकरा भी सकती है. कोई भला यह क्यों चाहेगा कि पहली मुलाकात में ही किसी से भिड़ जाएं. इसलिए राजनीति पर बात करने से भी बचना चाहिए.
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तो फिर क्या पूछें
कहीं आप यह तो नहीं सोचने लगे हैं कि जर्मन लोगों से बात करना तो बहुत मुश्किल है. ऐसा नहीं है. ऐसे बहुत सारे विषय हैं जिन पर आप जर्मन लोगों के साथ खूब गप्प मार सकते हैं. इनमें सबसे पसंदीदा विषय है मौसम. वैसे भारत में भी अजनबियों के बीच बातचीत मौसम से ही शुरू होती है.
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प्रोफेशन
जर्मन लोगों से आप उनके पेशे के बारे में पूछ सकते है और अपने पेशे के बारे में उनसे बात कर सकते हैं. उनकी इस बारे में पूरी दिलचस्पी रहती है कि विभिन्न देशों में वर्किंग कल्चर कैसा है और कहां पर क्या कुछ नया हो रहा है. लेकिन यहां पर अपने बॉस या सहकर्मियों की बुराई करने से हमेशा बचिए.
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खाना
जर्मन लोगों के लिए खाना भी बातचीत के सबसे प्रिय विषयों में से एक है. भारतीय खाने में तो जर्मनी के लोगों की कुछ ज्यादा ही दिलचस्पी है. जर्मनी के लगभग हर छोटे बड़े शहर में आपको भारतीय रेस्त्रां मिलेंगे. हालांकि जर्मन लोग ज्यादा मिर्च मसाले वाला खाना नहीं खा पाते. लेकिन वे कुछ नया ट्राई करते रहते हैं.
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छुट्टियां
जर्मन लोग घूमने फिरने के खूब शौकीन होते हैं और अपनी छुट्टियों के किस्से भी बड़े चाव से सुनाते हैं. इसलिए छुट्टियों के बारे में उनसे बात करना भी एक सुरक्षित विषय है. घूमने के लिए भारत जाने वाले जर्मनों की संख्या लगातार बढ़ रही है.
टीवी कार्यक्रमों और फिल्मों के बारे में भी आप किसी जर्मन के साथ आराम से बात कर सकते हैं. हॉलीवुड ही नहीं बल्कि अब जर्मनी में बॉलीवुड फिल्में भी काफी पसंद की जाती हैं. बॉलीवुड की बड़ी फिल्मों के अकसर शो होते हैं. शाहरुख खान जर्मनी में सबसे लोकप्रिय बॉलीवुड स्टार हैं.
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दोस्तों के बीच
इस बीच, अगर किसी जर्मन से आपकी पक्की दोस्ती हो गई है, तो आप उसके साथ सभी विषयों पर बात कर सकते हैं. उन विषयों पर भी, जिन पर बात ना करने की सलाह पहले दी जा चुकी है. जाहिर है गंभीर मुद्दों पर बात करने के लिए भरोसा जरूरी होता है.
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ग्रीन पार्टी को भी कुछ नुकसान हुआ है और उसे 5.2 प्रतिशत वोट मिले हैं. इतना साफ है कि मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन अपना बहुमत खोने जा रहा है. लगभग पांच प्रतिशत वोट पाने वाली एफडीपी पार्टी पहले ही डी लिंके के साथ गठबंधन करने से इनकार कर चुकी है.
थुरिंजिया में ब्योर्न होएके एएफडी पार्टी का नेतृत्व कर रहे हैं जो अपने विवादित बयानों के लिए खासे चर्चा में रहते हैं. वह बर्लिन में यहूदी नरसंहार के स्मारक को "शर्म का स्मारक" कह चुके हैं. एग्जिट पोल के बाद होएके ने कहा कि मतदाता बर्लिन की दीवार गिरने जैसा ही एक और बदलाव चाहते हैं. सरकारी टीवी एआरडी से बातचीत में उन्होंने कहा, "यह साफ संकेत है कि थुरिंजिया के बड़े हिस्से ने कह दिया है: ऐसे तो नहीं चल सकता. हमें कुछ नया चाहिए- हमें इस बात को गंभीरता से लेना होगा."
होएके ने कहा कि अगले चुनाव में उनकी पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलेगा. जर्मनी के पूर्वी राज्यों में एएफडी को अच्छा समर्थन मिल रहा है. सितंबर में हुए चुनावों में सेक्सनी अनहाल्ट राज्य में उसे 27.5 प्रतिशत और ब्रांडेनबुर्ग राज्य में 23.5 प्रतिशत मत मिले थे. हालांकि अभी तक कोई अन्य पार्टी एएफडी के साथ मिल कर राष्ट्रीय या प्रांतीय स्तर पर सरकार बनाने को तैयार नहीं है.
थुरिंजिया जर्मनी का अकेला ऐसा राज्य है जहां वामपंथी पार्टी डी लिंके का मुख्यमंत्री है. बोडो रामलोव वहां मध्य वामपंथी पार्टी एसपीडी और पर्यावरण से जुड़े मुद्दों को अहमियत देने वाली ग्रीन पार्टी के साथ मिल कर 2014 से गठबंधन सरकार चला रहे हैं. उन्होंने एआरडी के साथ बातचीत में कहा, "मैं साफ तौर पर खुद को मजबूत देख रहा हूं. मेरी पार्टी को सरकार बनाने के लिए जनादेश मिला है और मैं इस जिम्मेदारी को निभाऊंगा."
जर्मन संसद बुंडेसटाग में कुल सात पार्टियां मौजूद हैं. ऐसा कम ही होता है कि ये एक दूसरे से किसी बात पर सहमत दिखें. जानिए क्या हैं इन पार्टियों की नीतियां और कैसे हैं ये एक दूसरे से अलग.
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क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी (सीडीयू)
सीडीयू संसद में सबसे बड़ी पार्टी है. पारंपरिक रूप से यह सेंटर-राइट पार्टी रही है. लेकिन चांसलर अंगेला मैर्केल के नेतृत्व में पार्टी का रुझान मध्य की ओर ज्यादा रहा है. लेफ्ट पार्टियों की तुलना में सीडीयू रूढ़िवादी मानी जाती है. यह यूरोपीय संघ और नाटो में सदस्यता का समर्थन करती है.
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क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू)
सीएसयू बवेरिया प्रांत में सीडीयू की सहोदर पार्टी है. राष्ट्रीय स्तर पर दोनों पार्टियां एक साथ सीडीयू/सीएसयू के रूप में काम करती हैं. सामाजिक मुद्दों में सीएसयू को सीडीयू से भी अधिक रूढ़िवादी माना जाता है. बवेरिया प्रांत में पार्टी ने सभी सरकारी इमारतों में क्रॉस लगाने के आदेश दिए हैं.
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सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (एसपीडी)
एसपीडी जर्मनी की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है और मुख्य सेंटर-लेफ्ट के रूप में सीडीयू/सीएसयू की सबसे बड़ी प्रतिद्वंद्वी भी. 2017 के चुनावों के बाद इन पार्टियों ने मिल कर गठबंधन सरकार बनाई. गठबंधन की विफल कोशिशों के बाद चुनाव होने के लगभग छह महीने बाद देश में सरकार बन सकी.
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अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी (एएफडी)
एएफडी उग्र दक्षिणपंथी पार्टी है, जिसका गठन पहली बार 2013 में हुआ. 2017 के चुनावों के बाद पहली बार कोई धुर दक्षिणपंथी पार्टी संसद में पहुंच पाई है और यह सबसे बड़े विपक्ष का काम कर रही है. एएफडी मैर्केल की शरणार्थी नीति से इत्तेफाक नहीं रखती और ना ही यूरो और यूरोपीय संघ का समर्थन करती है.
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फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी)
एफडीपी को भले ही कभी भी 15 फीसदी से ज्यादा वोट ना मिले हों लेकिन सरकार बनाने में एफडीपी का हमेशा ही बड़ा हाथ रहा है. कभी एसपीडी के साथ, तो कभी सीडीयू/सीएसयू के साथ एफडीपी गठबंधन बनाती रही है. हालांकि 2017 के चुनावों के बाद उसने गठबंधन से दूर रहने का फैसला किया. धार्मिक मुद्दों और समलैंगिकों के विवाह पर पार्टी के उदारवादी विचार हैं.
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ग्रीन पार्टी
अस्सी के दशक में पर्यावरण के मुद्दों के साथ ग्रीन पार्टी का गठन हुआ. कृषि सुधार और परमाणु ऊर्जा को खत्म करने जैसे मुद्दों पर पार्टी आवाज उठाती रही है. इसके अलावा यह कई सामाजिक विरोध आंदोलनों की अगुवाई भी करती रही है. सामाजिक मुद्दों पर इस पार्टी का उदारवादी मत है लेकिन कई अन्य मुद्दों पर पार्टी के सदस्यों में आपसी मतभेद भी दिखे हैं.
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वामपंथी पार्टी (डी लिंके)
डी लिंके का गठन 2007 में हुआ लेकिन इसे 1989 तक पूर्वी जर्मनी (जीडीआर) पर राज करने वाली सोशलिस्ट यूनिटी पार्टी (एसईडी) का वंशज माना जाता है. आज भी जर्मनी के पूर्वी हिस्से में ही इसे लोकप्रियता हासिल है. मुख्यधारा की पार्टियां अक्सर इससे दूर ही रहना पसंद करती है. डी लिंके नाटो की सदस्यता का भी विरोध करती है.