जर्मनी के राष्ट्रपति योआखिम गाउक ने क्रिसमस की पूर्व संध्या पर देश के नाम दिए अपने वार्षिक संदेश में जर्मनी और अन्य यूरोपीय देशों को प्रभावित कर रहे आप्रवासी संकट को हल करने के तरीके पर कठोर बहस किये जाने का आह्वान किया.
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राष्ट्रपति गाउक ने रिफ्यूजी संकट पर जोरदार बहस किए जाने की जरूरत पर बल देने के साथ साथ इसे सुलझाने में बल आजमाने और घृणा भड़काने की किसी भी कोशिश से सावधान रहने की अपील की. जर्मन राष्ट्रपति ने कहा, "मतभेदों से सामुदायिक जीवन में व्यवधान नहीं आता बल्कि यह तो लोकतंत्र का एक हिस्सा हैं."
पूर्वी जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन के युग में पादरी रह चुके गाउक ने कहा कि केवल खुली बातचीत और बहस से ही एक ऐसा स्थायी उपाय निकल सकेगा जो ज्यादातर लोगों को स्वीकार्य हो. इसके अलावा कैथोलिक धर्म के सबसे बड़े नेता पोप फ्रांसिस ने भी कैथोलिक समुदाय से इस पावन साल में अपने घरों के दरवाजे शरणार्थियों के लिए खोल देने का आह्वान किया है. कई जनपद और ईसाई मठ इसका पालन कर रहे हैं लेकिन सभी ऐसा नहीं कर पा रहे हैं.
The Pope's advice
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इस साल रिकार्ड संख्या में जर्मनी और दूसरे यूरोपीय देशों में शरण की तलाश में पहुंचे सीरिया और अन्य संकटग्रस्ट देशों के लोगों के हॉस्टलों पर हमलों के बारे में बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि हिंसा और घृणा अपनी असहमति दिखाने के जायज रास्ते नहीं माने जा सकते. उन्होंने कहा कि "आगजनी और निराश्रित लोगों पर हमले हमारी निंदा के लायक और दोषी सजा के हकदार हैं."
परवान चढ़ता उग्र दक्षिणपंथ
इस्लामी कट्टरपंथ और शरणार्थी संकट ने पश्चिमी देशों में उग्र दक्षिणपंथ का खतरा बढ़ाया. कट्टरपंथी हमलों और शरणार्थियों से घबराए लोगों का गुस्सा इस्लाम और सरकारों पर उतर रहा है. मुख्य धारा की पार्टियां समर्थन खो रही हैं.
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बढ़ता असर
उग्र दक्षिणपंथी पार्टियों का पॉपुलिज्म यूरोप के लिए नया नहीं है, पिछले कुछ सालों से ईयू की कथित मनमानियों और आर्थिक मुश्किलों के कारण उग्र दक्षिणपंथ के लिए समर्थन बढ़ रहा था लेकिन शरणार्थियों के आने से उसमें और इजाफा हुआ है.
तस्वीर: DW
फ्रांस में ले पेन
पेरिस पर आतंकी हमलों के तुरंत बाद फ्रांस में हुए स्थानीय चुनावों में मारी ले पेन की उग्र दक्षिणपंथी नेशनल फ्रंट पार्टी को फायदा पहुंचा है और वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है. राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद की सोशलिस्ट पार्टी तीसरे नंबर पर खिसक गई है.
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स्विट्जरलैंड पर भी असर
स्विट्रजरलैंड कभी भी उग्र दक्षिणपंथ का गढ़ नहीं रहा. लेकिन यूरोप के शरणार्थी संकट के बीच अक्टूबर में हुए चुनावों में आप्रवासन विरोधी स्विस पीपुल्स पार्टी एसवीपी को 11 अतिरिक्त सीटें मिली और उसने संसद की 200 में से 65 सीटें जीत लीं.
तस्वीर: Reuters/A. Wiegmann
जर्मनी में पेगीडा
जर्मनी में पिछले कई महीनों से आप्रवासन विरोधी ड्रेसडेन शहर में हर सोमवार को प्रदर्शन कर रहे हैं. हालांकि प्रदर्शनों को हर शहर में ले जाने का उनका प्रयास विफल रहा है लेकिन आप्रवासन विरोधी एएफडी पार्टी के लिए समर्थन बढ़ रहा है.
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फिनलैंड में जीत
इस साल फिनलैंड में हुए चुनावों में राष्ट्रवादी फिन्स पार्टी संसद में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. कुछ लोगों का कहना है कि आप्रवासी विरोधी भावना से शरणार्थियों का बड़ी संख्या में आना उग्र दक्षिणपंथ को बढ़ावा दे रहा है.
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पोलैंड का रास्ता
पोलैंड में पिछले दिनों हुए चुनावों में अति दक्षिणपंथी पार्टी की जीत हुई है और प्रधानमंत्री बेयाटा सीडलो की सरकार ने ईयू के कोटे के अनुसार शरणार्थियों को लेने से साफ मना कर दिया है. वह पिछले सरकार के फैसले को मानने के लिए तैयार नहीं हैं.
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हंगरी में राष्ट्रवाद
हंगरी में विक्टर ओरबान की अनुदारवादी पार्टी 2010 में ही भारी बहुमत से सत्ता में आ गई थी. तब से वह अति राष्ट्रवादी फैसले लेती रही है और यूरोपीय मूल्यों से दूर होती रही है. देश में राष्ट्रवाद और अल्पसंख्यकों पर संदेह का बोलबाला है.
तस्वीर: Reuters/M. Dalder
डेनमार्क में प्रभाव
जून में हुए संसदीय चुनावों में डेनमार्क की उग्र दक्षिणपंथी पार्टी डैनिश पीपुल्स पार्टी संसद में दूसरे नंबर पर रही है. शरण को पूरी तरह बंद करने की मांग करने वाली पार्टी को 21 प्रतिशत मत मिले. सोशल डेमोक्रैट्स भी वहां शरण पर सीमा का समर्थन करते हैं.
तस्वीर: Reuters/N. Ahlmann Olesen
ग्रीस में सात प्रतिशत
ग्रीस में पिछले सितंबर में हुए संसदीय चुनावों में उग्र दक्षिणपंथी पार्टी गोल्डन डाउन को महत्वपूर्ण सफलता मिली. उसे 7 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला और नई संसद में वह तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है.
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बर्लिन में अपने आधिकारिक आवास श्लॉस बेलेव्यू में रिकॉर्ड किए अपने संदेश में जर्मन राष्ट्रपति ने उन सबके प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने शरणार्थी संकट से निपटने में जर्मनी की मदद की. गाउक ने कहा, "हमने दिखा दिया है कि हम क्या कर सकते हैं, सदभावना और पेशेवर रवैया ही नहीं तात्कालिक उपायों के मामले में भी." शरणार्थियों की मदद के लिए तुरंत मदद को सामने आए लोगों ने दुनिया को "एक दयालु और कोमल हृदय वाले देश का चेहरा दिखाया है."