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जर्मन शाही शादी में लोगों की दिलचस्पी नहीं

Onkar Singh२७ अगस्त २०११

कुछ महीने पहले ब्रिटिश राजकुमार विलियम ने केट से शादी रचाई तो दुनिया भर में हलचल मच गई, जर्मनी में भी शाही परिवार के सदस्यों की शादी हो रही है लेकिन न तो लोगों में कोई उत्साह है न मीडिया का तामझाम.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

शनिवार को राजकुमार जॉर्ड फ्रीढरिश फॉन प्रायसेन राजकुमारी सोफी फॉन इजेनबुर्ग से शादी सचा रहे हैं. टैब्लॉयड प्रेस में इस मौके से आम लोगों को जोड़ने की काफी कोशिश की लेकिन कोई खास असर नहीं हुआ. लोगों में शादी को लेकर उत्साह न होने के पीछे एक वजह राजपरिवार को मिले शाही दर्जे पर आया संकट भी है.

1919 में वाइमर कॉन्स्ट्टीयूशन ने जर्मन राजपरिवार को मिले हर तरह के विशेषाधिकार उनसे छीन लिए. इसके बाद सारे नागरिक कानून की नजर में बराबर हो गए जिन्हें समान अधिकार और जिम्मेदारी मिली. इसके साथ ही जर्मनी के शाही परिवार को मिलने वाली टैक्स की छूट भी खत्म हो गई. इतना ही नहीं सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं को भी खत्म कर दिया गया. जर्मन शाही परिवारों के पास सिर्फ उनकी जमीन और पदवी बच गई.

तस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मनी में एक संस्था के रूप में शाही परिवार का दर्जा जरूर खत्म हो गया लेकिन सामाजिक रूप से एक अलग वर्ग के रूप में उनकी पहचान कायम रही. अब तक हुई शादियां इस बात की गवाह रही हैं कि आमतौर पर इन लोगों ने शाही परिवारों में ही शादी की हैं. जर्मनी के पूर्व रक्षामंत्री कार्ल थियोडोर त्सु गुटेनबर्ग भी इन्हीं में से एक हैं. गुटेनबर्ग की पत्नी स्टीफेनी राजपरिवार से आती हैं. स्टीफेनी जर्मन राष्ट्र के संस्थापक बिस्मार्क की पड़पोती हैं. इस जोड़े ने जर्मन राजनीति में ग्लैमर का तड़का जरूर लगाया लेकिन गुटेनबर्ग की एक गलती उन पर भारी पड़ गई. डॉक्टरेट की थीसिस में नकल के आरोपों ने न सिर्फ उनसे पद बल्कि उनका करियर भी छीन लिया. ऐसी खबरें हैं कि गुटेनबर्ग परिवार के साथ अमेरिका जाने की तैयारी कर रहे हैं जहां कोई उन्हें देख कर लोगों की भौहें टेढ़ी न हों. 

शाही परिवार और विवाद

शाही परिवारों से जुड़े विवाद इन लोगों से आम लोगों की दूरी के पीछे एक और वजह है. राजकुमारों की प्लेबॉय वाली छवि प्रिंस अर्न्स्ट ऑगस्ट ऑफ हनोवर को देख और मजबूत हो जाती है. मोनॉको की राजकुमारी कैरोलिन से शादी करने वाले प्रिंस की आदतें लोगों को किसी गुंडे जैसी लगती हैं. राजकुमार ने कई बार पत्रकारों, फोटग्राफरों और कैमरामैन को पीटा है. साल 2000 में ऑगस्ट को तुर्की के पवेलियन की ओर पेशाब करते पकड़ा गया. तेज रफ्तार से प्रेम के लिए भी ऑगस्ट कुख्यात हैं. फ्रांस की पुलिस ने ऑगस्ट को एक बार 211 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गाड़ी चलाते पकड़ा वह भी ऐसी सड़क पर जहां 130 से ज्यादा तेज गाड़ी चलाने की अनुमति नहीं थी.

नकली राजपरिवार

एक और शाही परिवार के सदस्य हैं फ्रेडरिक फॉन एनहाल्ट. बुर्जुआ परिवार के इस शख्स ने राजकुमारी को पैसा दिया ताकि वो उन्हें गोद ले लें और उन्हें शाही पदवी मिल जाए. जर्मनी में पैसे देकर पदवी हासिल करना कोई अनोखी बात नहीं है और यही वजह है कि यहां नकली राजपरिवार भी हैं. फ्रेडरिक ने हॉलीवुड की मशहूर हस्ती त्सा त्सा गेबोर से शादी की और ऊंचे घराने के लोगों के बीच सिगार को होठों में दबाए उठने बैठने लगे. रियलिटी शो में आने के साथ ही फ्रेडरिक ने एक काम और किया है कि अपने गोद लिए बच्चों को भी उसने अपनी पदवी दे दी है. इनमें से कई तो अंडरवर्ल्ड के गलियारों के बड़े नाम हैं.

नस्लभेदी राजकुमारी

तस्वीर: picture alliance/dpa

टैब्लॉयड की दुनिया में इन राजकुमारों के कारनामे राजकुमारी ग्लोरिया के आगे छोटे पड़ जाते हैं. कुलीन घर में पैदा हुई ग्लोरिया प्रिंस जोहानिस से शादी के बाद वह राजकुमारी बन गईं. लेडी गागा के फ्रॉग ड्रेस के अस्तित्व में आने से बहुत पहले ही 1980 के दशक में टेडी बियर्स से सजे स्वेटरों वाली उनकी पोशाकें और जूतों के बारे में कहा जाता है कि उससे ज्यादा तीखा और चौंकाउ उस दौर में और कुछ नहीं था. हालांकि पति की मौत के बाद ग्लोरिया को अपने परिवार की संपदा संभालने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा. ग्लोरिया के लिए हालात तब और ज्यादा खराब हो गए जब 2001 में अफ्रीका की एड्स समस्या के बारे में टॉक शो में उनका विवादित बयान आया. ग्लोरिया ने कहा कि अफ्रीका की एड्स की समस्या इस वजह से है क्योंकि काले लोगों को सेक्स करना बहुत पसंद है. 

इस तरह के सदस्यों वाले राजपरिवारों के प्रति जर्मनी की उदासी हैरत में नहीं डालती. जाहिर है कि उनकी शादियां देश की जनता में न तो कोई उत्साह जगाती हैं न उल्लास. यहां तक कि लोकतांत्रिक देशों में शाही शादियों के मौके पर जो रस्मी चहल पहल होती है वो भी नजर नहीं आती.

राजकुमार फ्रीडरिश और राजकुमारी सोफी की शादी सरकारी आयोजन नहीं है. हालांकि इसे टीवी पर दिखाया जा रहा है. शादी का प्रसारण करने वाली चैनल के प्रोग्राम निदेशक ने अपने फैसला के यह कह कर बचाव किया है कि शादी से 'ऐतिहासिक सबक' भी है. हालांकि लाइसेंस फीस देने वाले लोग इनके इस फैसले से नाराज हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ओ सिंह

 

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