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जर्मन समाज से दूर मुस्लिम युवा

१ मार्च २०१२

जर्मनी में युवा मुसलमानों पर एक नई स्टडी के नतीजे प्रकाशित होने से पहले ही उस पर विवाद छिड़ गया है. जर्मन गृह मंत्रालय की स्टडी के अनुसार एक चौथाई मुसलमान समाज में घुलने मिलने को तैयार नहीं हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मनी की सत्ताधारी सीडीयू-सीएसयू पार्टी के घरेलू नीति प्रवक्ता हंस-पेटर ऊल ने समाज में घुलने मिलने का विरोध करने वालों की भारी संख्या को खतरनाक बताते हुए कहा है कि यह धार्मिक कट्टरपंथ और आतंकवाद के लिए उपजाऊ जमीन साबित हो सकता है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार में शामिल एफडीपी ने इस स्टडी की आलोचना की है. पार्टी के सरकान टौएरेन ने कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि गृह मंत्रालय ने ऐसे सर्वे पर खर्च किया है जो सुर्खियां बटोर रहा है, लेकिन कोई नई जानकारी नहीं दे रहा है. तुर्क मूल के टौएरेन ने कहा कि धार्मिकता और हिंसा एक साथ होने वाली बातें नहीं हैं. यह दूसरे अध्ययनों से पता चलता है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

गृह मंत्रालय की स्टडी के अनुसार 14 से 32 साल के एक चौथाई ऐसे मुस्लिम युवा जिनके पास जर्मन नागरिकता नहीं है, समाज में घुलने मिलने को तैयार नहीं हैं. उन्हें पश्चिम से दूरी वाला, हिंसा को स्वीकार करने वाला और समाज में मिलने की रुझान से अलग बताया जा सकता है. जर्मनी के गृह मंत्री हंस-पेटर फ्रीडरिष ने रिपोर्ट के सिलसिले में कहा, "जर्मनी आप्रवासियों के पैदायशी और सांस्कृतिक पहचान का आदर करता है. लेकिन हम निरंकुश, गैर लोकतांत्रिक और धार्मिक कट्टरपंथी विचारधारा का आयात स्वीकार नहीं करते." जर्मन गृह मंत्री ने कहा है कि जो आजादी और लोकतंत्र का विरोध करता है, उसका यहां कोई भविष्य नहीं है.

सर्वे में प्रमुख रूप से शामिल रहे येना के मनोवैज्ञानिक वोल्फगांग फ्रिंटे ने कहा है कि आंकड़ों पर उन्हें आश्चर्य नहीं हुआ है. यदि मां बाप और दादा दादी की पीढ़ी को शामिल कर लिया जाए तो चरमपंथी विचारधारा वाले लोगों का अनुपात नीचे आ जाता है और मुसलमान आबादी साफ तौर पर इस्लामी आतंकवाद का विरोध करते हैं.

जर्मन आप्रवासन और शरणार्थी दफ्तर के अनुसार जर्मनी में लगभग 40 लाख लोग इस्लाम मानने वाले हैं. उनमें से आधे जर्मन नागरिक हैं. युवा मुसलमानों पर किए गए सर्वे के लिए 700 जर्मन और गैर जर्मन युवा मुसलमानों से टेलीफोन पर सवाल जवाब किया गया. इसके अलावा टेलीवजन न्यूज की 692 रिपोर्टों का आकलन भी किया गया.

रिपोर्ट: डीपीए/महेश झा

संपादन: ए जमाल

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