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जर्मन सरकार की बचत योजना का व्यापक विरोध

८ जून २०१०

2014 तक 80 अरब यूरो की बचत के जर्मन सरकार के फ़ैसले का व्यापक विरोध हो रहा है. जर्मन नगर निगमों के परिषद ने वित्तीय बोझ बढ़ने की आशंका व्यक्त की है तो विपक्षी दलों और ट्रेड यूनियनों ने बचत योजना का विरोध करने की धमकी दी.

बचत की घोषणातस्वीर: AP

विपक्षी सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी की महासचिव आंद्रेया नाहलेस ने बचत कार्यक्रम को अत्यंत कायराना बताया है क्योंकि संकट पैदा करने वालों को छोड़ दिया गया है और ज़रूरतमंदों की छंटाई की गई है. नाहलेस ने कहा, "सक्रिय श्रमबाज़ार नीति में व्यापक कटौती को एसपीडी स्वीकार नहीं करेगी." जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार के कुछ बचत प्रस्तावों को संसद के उपरी सदन बुंडेसराट की मंज़ूरी की ज़रूरत होगी, जहां सत्तारूढ़ गठबंधन को बहुमत नहीं है.

नाहलेसतस्वीर: AP

जर्मन ट्रेड यूनियन महासंघ के अध्यक्ष मिशाएल जोम्मर ने कहा, "कटौतियों का बोझ मजबूत कंधों पर नहीं बल्कि कमज़ोर तबकों पर डाला गया है." उन्होंने बचत प्रस्तावों को दिशाहीनता और सामाजिक असंतुलन का दस्तावेज़ बताया. जर्मन ट्रेड यूनियन महासंघ ने केंद्र सरकार की योजना के ख़िलाफ़ भारी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है. सीडीयू के कर्मचारी धड़े ने भी बचत प्रस्तावों का विरोध किया है.

जोम्मरतस्वीर: AP

सबसे बड़े जर्मन प्रदेश नॉर्थराइन वेस्टफ़ेलिया के सामाजिक कल्याण मंत्री कार्ल-योसेफ़ लाउ ने बचत कार्यक्रम के चलते प्रांतीय और स्थानीय प्रशासन पर पड़ने वाले बोझ की ओर ध्यान दिलाया है.

जर्मन मीडिया में भी सरकार की बचत योजना पर व्यापक प्रतिक्रिया हुई है. पूर्वी प्रदेशों के एक महत्वपूर्ण दैनिक सैक्सिशे त्साइटुंग ने लिखा है, "सचमुच की बचत सिर्फ़ बेरोज़गारों और सरकारी कर्मचारियों पर होने वाले खर्च में हो रही है. चांसलर मैर्केल और उपचांसलर वेस्टरवेले फिर भी सामाजिक संतुलन की बात कर रहे हैं. यह मज़ाक है."

ड्युसेलडॉर्फ़ के दैनिक वेस्टडॉयचे त्साइटुंग ने लिखा है, "भले ही सभी बचत की बात कर रहे हों, यह साफ किया जाना चाहिए कि बचत का अर्थ होता है, कुछ बचाकर अलग रखना. लेकिन हमारा राज्य इसका उल्टा कर रहा है, वह अपना कर्ज़ लगातार बढ़ा रहा है."

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़

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