जर्मन कैबिनेट बाल विवाह पर राष्ट्रीय बैन लगाने का कानून लाने जा रही है. जर्मनी में कई नाबालिग शादीशुदा के रूप में पंजीकृत हैं.
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जर्मनी की कैबिनेट में इस बात को लेकर सहमति बन गयी है कि बाल विवाह को गैर कानूनी घोषित करने का कानून लाया जाए. न्याय मंत्री हाइको मास ने इस प्रस्तावित कानून में लिखा है कि जर्मनी में शादी की न्यूनतम आयु 18 साल है इसलिए इससे कम उम्र के लोगों की शादी को रद्द माना जाए. अगर शादी के समय किसी भी व्यक्ति की उम्र 16 साल से कम रही होगी, तो भी उसे जर्मनी में कानूनी मान्यता नहीं मिलेगी. अदालतें ऐसी शादियों को रद्द कर सकेंगी, जिसमें शादी में बंधे दो लोगों में से एक भी इंसान 16 से 18 साल के बीच का रहा हो.
मास ने कहा, "हम ऐसी कोई शादी बर्दाश्त नहीं कर सकते जिसमें किसी नाबालिग के विकास की प्राकृतिक प्रक्रिया को किसी तरह का नुकसान पहुंच सकता हो." उन्होंने आगे कहा कि, बच्चों का "रजिस्ट्रार के दफ्तर या शादी की वेदी पर कोई काम नहीं."
जर्मनी में शादी के लिए सहमति की न्यूनतम उम्र 16 से बढ़ा कर 18 साल की जाएगी. अभी कुछ मामलों में 18 साल से ऊपर के किसी व्यक्ति को 16 साल के पार्टनर से शादी करने की अनुमति है. इन सब शर्तों में बदलाव लाए जाने का प्रस्ताव है.
14 साल से कम के 300 बच्चे शादीशुदा
न्याय मंत्री हाइको मास ने कहा कि इस कानून से खास तौर पर जर्मनी के बाहर से शादी करके आने वालों पर नियंत्रण होगा. कोलोन स्थित सेंट्रल रजिस्टर ऑफ फॉरन नेशनल्स (एजेडआर) के अनुसार, जुलाई 2016 के अंत तक देश में गैर-जर्मन मूल के करीब 1,500 नाबालिग शादीशुदा के तौर पर रजिस्टर्ड थे. इनमें से 361 की उम्र तो 14 साल से भी कम थी.
ऐसे 664 शादीशुदा नाबालिग बच्चे सीरिया से, 157 अफगानिस्तान से, 100 इराक से और 65 बुल्गारिया से आए थे.
अपवादों के लिए होगी जगह
प्रस्तावित कानून में यूथ वेलफेयर वर्कर्स को ऐसे शादीशुदा बच्चों को स्वीकार करने की अनुमति होगी, जो जर्मनी से बाहर कहीं शादी कर चुके हों. ऐसे मामलों में भी छूट होगी, जहां शादी बचपन में हो गयी हो लेकिन अब दोनों 18 साल से ऊपर हों और शादी को जारी रखना चाहते हों.
इस कानून में ऐसे लोगों पर भारी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव है जो सरकारी विधि विधान के बजाए किसी परंपरागत या धार्मिक आयोजन में नाबालिगों की शादी करवाने की कोशिश करेंगे.
आरपी/एके (एएफपी,डीपीए)
नहीं रुक रहीं कम उम्र में शादियां
ह्यूमन राइट्स वॉच ने मांग की है कि बांग्लादेश शादी की उम्र घटाने के प्रस्तावित विधेयक को रद्द कर दे. दक्षिण एशियाई देशों में कम उम्र में शादी का चलन आम है और ये मामले सबसे ज्यादा बांग्लादेश में हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP
शादी की उम्र कम करना
जून 2015 में जारी एक रिपोर्ट में ह्यूमन राइट्स वॉच ने बांग्लादेशी अधिकारियों से गुहार लगाई है कि वे बाल विवाह को रोकने की कोशिशें बढ़ाएं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूह ने बांग्लादेश में प्रस्तावित विधेयक की आलोचना की है जिसमें शादी की कानूनी उम्र 18 से घटाकर 16 साल करने का प्रस्ताव है.
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15वें जन्मदिन से पहले
रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में 30 फीसदी लड़कियों की शादी उनके 15वें जन्मदिन से पहले कर दी जाती है. बांग्लादेश में बाल विवाह गैर कानूनी है लेकिन अधिकारियों को रिश्वत देकर आसानी से नकली जन्म प्रमाणपत्र बनवाया जा सकता है.
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गरीबी की मार
बार बार आने वाली प्राकृतिक आपदाओं ने बांग्लादेश में गरीबी को और बढ़ावा दिया है. इससे बाल विवाह के मामलों में भी वृद्धि हुई है. पिछले साल प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 2021 तक 15 साल से कम उम्र की शादियों का खात्मा करने की बात कही थी, उनकी सरकार ने इस दिशा में ज्यादा कुछ नहीं किया है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/Str
घरेलू हिंसा और वैवाहिक बलात्कार
लड़कियों में शिक्षा का अभाव उन्हें ना केवल उन्हें गरीब और आर्थिक रूप से निर्भर बनाता है बल्कि उनके स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. कम उम्र की लड़कियों के साथ वैवाहिक संबंधो में घरेलू हिंसा और बलात्कार के ज्यादा मामले सामने आते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/M. Asad
दक्षिण एशिया की हालत
यह समस्या सिर्फ बांग्लादेश की ही नहीं है. लगभग सभी दक्षिण एशियाई देशों में गरीबी और धार्मिक मान्यताओं के चलते कम उम्र में शादी का चलन है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक अगले दस सालों में करीब 14 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाएगी. इनमें 50 फीसदी मामले दक्षिण एशिया के हैं.
तस्वीर: DW/P.M.Tewari
सामाजिक मान्यताएं बनाम कानून
भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, नेपाल और श्रीलंका जैसे दक्षिण एशियाई देशों में बाल विवाह पर कानूनी पाबंदी है. लेकिन इससे यहां कम उम्र में शादी के चलन को नहीं रोका जा सका है. यूएनएफपीए के मुताबिक 2000 से 2010 के बीच इन देशों में करीब 20 से 24 साल की 2.44 करोड़ महिलाओं की शादियां 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी.
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रवैये में पिरवर्तन
दक्षिण एशिया के लिए यूनीसेफ के उप क्षेत्रीय निदेशक स्टीफेन एडकिसन का कहना है कि स्थानीय समुदायों के लिए जरूरी है कि उनसे बाल विवाह, प्रसव के दौरान होने वाली मौतों, लिंग आधारित भेदभाव जैसे मुद्दों पर बात की जाए जिनकी जड़ें सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कारणों में है.