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जर्मन सरकार नहीं कहेगी अर्मेनिया नरसंहार को ना

२ सितम्बर २०१६

जर्मन सरकार का अर्मेनिया प्रस्ताव जर्मनी और तुर्की के संबंधों का सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है. संसद के प्रस्ताव से जर्मन सरकार के किनारा करने की अटकलों के बीच सरकारी प्रवक्ता ने मना किया है कि सरकार अंकारा के सामने झुकेगी.

Berlin Merkel Erdogan
तस्वीर: Imago/Zuma

अंगेला मैर्केल की सरकार जर्मन तुर्की संबंधों में भारी तल्खियों के बावजूद जर्मन संसद बुंडेसटाग के विवादास्पद अर्मेनिया प्रस्ताव से दूरी नहीं बनाएगी. उम्मीद की जा रही थी कि सरकारी प्रवक्ता आज इस संबंध में बयान देंगे, लेकिन उन्होंने कहा, "इसका तो कतई सवाल ही नहीं उठता." लेकिन साथ ही श्टेफान जाइबर्ट ने इस ओर ध्यान दिलाया कि संसद के इस तरह के प्रस्ताव सरकार के लिए कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं होते. बुंडेसटाग ने जून में अर्मेनिया प्रस्ताव पास किया था जिसमें प्रथम निश्व युद्ध के दौरान तुर्क सैनिकों द्वारा जनसंहार की बात कही गई है. इसकी वजह से अंकारा के साथ संबंधों में काफी कड़वाहट पैदा हो गई थी.

इससे पहले श्पीगेल ऑनलाइन ने खबर दी थी कि विदेश मंत्रालय और चांसलर कार्यलय इस पर सहमत हो गए हैं कि सरकारी प्रवक्ता सरकार के नाम पर प्रस्ताव से दूरी बनाने का बयान देंगे. लेकिन जाइबर्ट ने जोर देकर कहा, "यह जर्मन सरकार के हाथ में नहीं है कि वह दूसरी संवैधानिक संस्थाओं के कार्यक्षेत्र में दखल दे और उस पर टिप्पणी करे." जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर ने शुक्रवार सुबह नाटो के महासचिव येंस स्टॉल्टेनबर्ग के साथ बातचीत में कहा, "जर्मन संसद को राजनीतिक सवालों पर बयान देने का हर अधिकार और आजादी है." लेकिन बुंडेसटाग का खुद का कहना है कि हर प्रस्ताव कानूनी तौर पर बाध्यकारी नहीं है.

संसद में बहसतस्वीर: Getty Images/S. Gallup

अर्मेनिया प्रस्ताव

जर्मन विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बाद में कहा, "श्टाइनमायर संसद के अर्मेनिया प्रस्ताव के पक्ष में थे, पक्ष में हैं और पक्ष में रहेंगे." श्टाइमायर की एसपीडी पार्टी के ही कानून मंत्री हाइको मास ने कहा है कि अर्मेनिया प्रस्ताव से दूरी नहीं बनाई जाएगी. हर विषय पर टिप्पणी करने का संसद का सार्वभौम अधिकार है और हम उसका बचाव करेंगे. भारत की तरह जर्मनी के मंत्रियों का संसद का सदस्य होना जरूरी नहीं है, लेकिन चांसलर मैर्केल की सरकार के ज्यादातर मंत्री संसद के सदस्य भी हैं और इस तरह वे संसद के फैसलों का हिस्सा हैं. हालांकि संसद में हुए मतदान में चांसलर, उपचांसलर और विदेश मंत्री ने हिस्सा नहीं लिया था.

संसद के अर्मेनिया प्रस्ताव में पहले विश्व युद्ध में अर्मेनियाईयों पर हुए अत्याचार को जनसंहार बताया गया है. इतिहासकारों के अनुसार करीब 15 लाख लोग मारे गए थे. तुर्की इसे मानने से इंकार करता रहा है. जर्मन संसद के प्रस्ताव से नाराज तुर्की जर्मन सांसदों को इन्चेर्लिक में तैनात जर्मन सैनिकों से मिलने जाने की अनुमति नहीं दे रहा है. वहां जर्मन सेना के 200 सैनिक और छह टॉरनैडो विमान तैनात हैं. चांसलर अंगेला मैर्केल की यूनियन पार्टियों में भी अर्मेनिया प्रस्ताव को भारी समर्थन है और संसदीय दल के उपनेता श्टेफान हारबार्थ ने कहा कि चांसलर द्वारा प्रस्ताव से दूरी बनाना तुर्की के राषट्रपति रेचप तय्य्प एर्दोआन को गलत संकेत होगा जो प्रस्ताव पास होने के बाद बुंडेसटाग के तुर्क मूल के सांसदों पर खुद निजी तौर पर हमला कर चुके हैं.

संसद में मतदानतस्वीर: Getty Images/AFP/S. Gallup

नाटो की समस्या

जर्मन तुर्क विवाद में नाटो के लिए मुश्किलें खड़ी हो रही है. विश्लेषकों का कहना है कि यदि तुर्की जर्मन सांसदों को सैनिकों से मिलने की अनुमति देने से मना करने पर अडिग रहे तो संसद से जर्मन सैनिकों की तैनाती की अवधि बढ़ाने की उम्मीद नहीं की जा सकती. इसके अलावा इलाके में नाटो के दो भावी अभियानों पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. सैनिक सहबंध जल्द ही सीरिया और इराक में आतंकवादविरोधी अभियान की एवैक्स टोही विमानों से मदद की शुरुआत करने वाला है. चूंकि इस विमान पर जर्मन सैनिक भी होते हैं इसलिए तुर्की से उनका संचालन मुश्किल होगा.

इसके अलावा जर्मन तुर्की विवाद नाटो की भूमध्यसागर में नौसैनिक अभियान की तैयारियों को भी खतरे में डाल रहा है. सी गार्डियन नामक इस अभियान में एवैक्स टोही विमान शामिल होते हैं. लेकिन उनमें जर्मन सैनिकों की भागीदारी के फैसला को संसद का अनुमोदन चाहिए होगा. नाटो पार्टनरों को भी आशंका है कि जर्मन संसद अनुमोदन करने से मना कर सकती है. नाटो के एवैक्स अभियानों में आम तौर पर जर्मन सैनिक हमेशा शामिल होते हैं. नाटो के पास कुल 16 एवैक्स टोही विमान हैं और जर्मन सेना बुंडेसवेयर के अनुसार एवैक्स बेड़े में तैनात सैनिकों में एक तिहाई जर्मनी के हैं.

एमजे/वीके (डीपीए)

प्रस्ताव के खिलाफ तुर्क झंडों के साथ प्रदर्शनतस्वीर: picture-alliance/dpa/Bildfunk/P. Zinken
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