जर्मनी में सेना से जुड़े 20 इस्लामिक कट्टरपंथियों की पहचान हुई है. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद जर्मन रक्षा मंत्रालय ने नया कानून बनाने का एलान किया है.
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जर्मनी की रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन के मुताबिक जल्द ही संसद में एक विधेयक पेश किया जाएगा. विधेयक के तहत जुलाई 2017 से जर्मन सेना बुंडेसवेयर में नौकरी के लिए आवेदन करने वाले हर अभ्यर्थी की सुरक्षा जांच होगी. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक जर्मन सेना की खुफिया सेवा ने सेना में घुसे 20 कट्टरपंथियों की पहचान की है. इसी साल मार्च में भी जर्मनी के 20 से ज्यादा पूर्व सैनिकों का नाम जिहादी के तौर पर सामने आया. उन पर इराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट की तरफ लड़ने का आरोप लगा. ब्रिटेन के जिहादी जॉन की जांच करने के दौरान यह बात भी पता चली कि जॉन ने शायद किसी जर्मन शख्स के साथ ट्रेनिंग ली थी.
सेना में कट्टरपंथियों के घुसने की खबर की पुष्टि खुद जर्मनी के मिलिट्री काउंटरस्पायनेज सर्विस के अध्यक्ष क्रिस्टॉफ ग्राम ने की है. जर्मन अखबार डी वेल्ट से बात करते हुए उन्होंने कहा, "यह साफ है कि पेरिस में शार्ली एब्दो पत्रिका के दफ्तर पर हमला करने वाले हत्यारों के पास सैन्य क्षमताएं थी." ग्राम के मुताबिक, "हम इस जोखिम को देख रहे हैं कि बुंडेसवेयर (जर्मन सेना) का दुरुपयोग हिंसा के लिए तैयार इस्लामिस्ट ट्रेनिंग कैंप के तौर पर कर सकते हैं."
जर्मन सेना में हजारों नई भर्तियां
एकीकरण के बाद से जर्मन सेना में लगातार हुई कटौतियों का रूख अचानक बदला. 25 साल बाद सेना करेगी हजारों नई भर्तियां. नई चुनौतियों का सामना करने के लिए बढ़ेगा सेना का बजट.
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जर्मन रक्षा मंत्री उर्सुला फॉन डेय लाएन ने घोषणा की है कि आने वाले सालों में जर्मन सेना बुंडेसवेयर में हजारों नए सैनिकों की भर्ती होगी. पिछले 25 सालों से लगातार सेना को घटाने और सैनिक खर्चों में कटौती का सिलसिला जारी था.
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नई घोषणा के अनुसार अगले सात सालों में सशस्त्र बलों की तादाद बढ़ाकर 14,300 सैनिकों और 4,400 असैनिक पदों को भरा जाएगा. शुरुआत 7,000 नई भर्तियों की घोषणा से होगी. कई दूसरे पदों पर आंतरिक भर्तियां होंगी.
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जर्मन सैनिकों और पूर्व सेना अधिकारियों के संघ ने रक्षा मंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए इसे उनके पहले की नीतियों से "180-डिग्री" का बदलाव बताया है. पिछले दशकों में सेना के बजट और कर्मचारियों में कटौती की आलोचना होती रही है.
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1990 में पूर्वी और पश्चिमी जर्मनी के एकीकरण के समय में बुंडेसवेयर की संख्या 585,000 सैनिकों से घट कर 177,000 रह गई है. ये नई घोषणा ऐसे वक्त में आई है जब रूस लगातार अपना सैनिक दबदबा बढ़ाता जा रहा है और जर्मनी कई देशों में सैनिक मिशन में शामिल है.
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जर्मन सेना ने इराक और सीरिया में आईएस जिहादियों के खिलाफ लड़ाई के लिए बने गठबंधन में भी हिस्सा लिया है. दिसंबर 2015 में जर्मन सेना में कुल 178,000 सैनिक थे. 2011 से ही सैनिकों की ऊपरी संख्या 185,000 तय थी.
माली में भी जर्मन बुंडेसवेयर ने एक यूएन मिशन के अंतर्गत अपनी सैनिक टुकड़ियां भेजी हुईं हैं. यह सैनिक पश्चिम अफ्रीकी देश माली में सरकार और विद्रोहियों के बीच तय हुए शांति समझौते की निगरानी कर रहे हैं.
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मिलिट्री काउंटरस्पायनेज सर्विस के प्रवक्ता के मुताबिक ऐसे और 60 मामलों की जांच चल रही है. शक है कि वे भी इस्लामिक आतंकियों के संपर्क में हैं. प्रवक्ता के मुताबिक बीते कुछ महीनों में रिक्रूटमेंट ऑफिस को हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने वाले कई युवाओं के आवेदन मिले हैं. आशंका है कि इस्लामिक कट्टरपंथी जर्मन सेना में घुसकर मिलिट्री ट्रेनिंग पाना चाह रहे हैं. खुफिया सेवा ने बीते साल भी चेतावनी देते हुए कहा था कि आतंकवादी सेना में मिलने वाली ट्रेनिंग के मौकों का फायदा उठाने की फिराक में हैं.
अफगानिस्तान में सेना के कई जवानों ने अपने ही साथियों को निशाना बनाया है. जर्मन रक्षा मंत्री के मुताबिक इस तरह की कोशिशों को टालने के लिए हर संभव कदम उठाने होंगे. प्रस्तावित विधेयक के मुताबिक सेना हर साल अतिरिक्त 20,000 सिक्योरिटी चेक करेगी. मौजूदा कानून के मुताबिक सेना में भर्ती होने के बाद ही रंगरूटों की सुरक्षा जांच की जा सकती है.
जर्मनी में बीते साल करीब 9,00,000 शरणार्थी आए. इनमें से ज्यादातर मध्य पूर्व के देशों से आए. खुफिया एजेंसियों को आशंका है कि शरण की आड़ में कुछ कट्टरपंथी भी जर्मनी पहुंच चुके हैं. दो आतंकी हमलों के बाद जर्मनी में आए दिन संदिग्ध कट्टरपंथियों की गिरफ्तारी भी हो रही है.
ओएसजे/एमजे (डीपीए, रॉयटर्स)
भूमध्यसागर में जर्मन नौसेना
जनवरी से जर्मन नौसेना का फ्रैंकफर्ट अम माइन पोत यूरोपीय संघ के सोफिया अभियान के तहत शरणार्थियों को बचाने के लिए भूमध्यसागर में तैनात है. शरणार्थी न भी दिखें फिर भी उनके लिए करने को बहुत कुछ होता है.
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मुश्किल मिशन
फ्रैंकफर्ट अम माइन जर्मन नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है. इस समय वह एक मुश्किल मिशन पर भूमध्यसागर में तैनात है. मिशन है यूरोपीय संघ के सोफिया अभियान के तहत अवैध शरणार्थियों को रोकना और विपदा में फंसे शरणार्थियों को बचाना.
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सागर पर नजर
युद्धपोध पर सेना के जवान हमेशा पहरे पर होते हैं और सागर में आने जाने वाली हर नाव पर नजर होती है. तैनाती के इलाके की निगरानी सैनिक रडार की मदद से भी करते हैं. मॉनिटर पर दिखने वाला हर ऑबजेक्ट शरणार्थी को ला रही नाव नहीं होती.
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हेल्थ चेक
समुद्र की लहरें काफी तेज हैं. इस समय शरणार्थियों वाली नाव सफर पर नहीं निकलती. सैनिक इस दौरान दूसरे काम निबटाते हैं. मसलन ये जवान कान का रूटीन टेस्ट करा रहा है. युद्धपोत पर तैनात हर सैनिक की नियमित चिकित्सीय जांच होती है.
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डॉक्टर, बेकर और पादरी
कमांडर आंद्रेयास श्मेकेल (दाएं) के नेतृत्व में पोत पर 200 लोग तैनात हैं. वे कई महीने पोत पर रहते हैं. उनमें आम नौसैनिकों के अलावा डॉक्टरों की टीम है, खाना बनाने के लिए कुक हैं, बेकरी चलाने के लिए बेकर हैं और धार्मिक जरूरतों के लिए एक पादरी भी है.
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उस घड़ी की तैयारी
किसी को पता नहीं कि संकट में फंसी शरणार्थियों की नाव कब दिख जाए. इसलिए नौसैनिक उस स्थिति के लिए तैयार रहते हैं. यहां बल्ब की जांच हो रही है. यहीं शरणार्थियों की तलाशी ली जाएगी, चिकित्सीय जांच होगी और खाना पीना मिलेगा.
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सैनिकों का रोजमर्रा
जब बोर्ड पर शरणार्थी नहीं होते तो वहां तैनात जवान ट्रेनिंग करते हैं. वे हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग करते हैं, हालांकि भूमध्य सागर के मिशन पर उसकी जरूरत नहीं है. ट्रेनिंग में मौसम के बारे जानना, आग बुझाना और छेद भरना भी शामिल है.
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साफ सफाई
पहरे और ट्रेनिंग के अलावा ज्यादातर जवानों को सफाई और किचन की ड्यूटी भी करनी होती है. हर दिन साम चार बजे पूरे जहाज की एक घंटे तक सफाई होती है. कंपास से लेकर सीढ़ियों तक को टिपटॉप रखा जाता है. इसके बाद भी जवानों को आराम का समय नहीं मिलता.
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पड़ोस के मेहमान
भूमध्यसागर में होने के बावजूद कभी कभी पड़ोसी भी मिलने आ जाते हैं. जर्मन फ्रिगेट कार्ल्सरूहे और इटैलियन विमानवाही पोत केवुर मिलजुलकर एक साथ चलने का अभ्यास कर रहे हैं. इसके लिए स्टीयरिंग संभालने वाले जवान और ब्रिज क्रू को बहुत सावधान रहना होता है.
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सप्लाई पोत भी
फ्रैंकफर्ट अम माइन युद्धपोत सप्लाई पोत भी है. तैनाती के दौरान वह छोटे जहाजों को पेट्रोल और पानी की सप्लाई करता है. घायल जवानों की पोत पर स्थित अस्पताल में चिकित्सा होती है. पोत के एक हिस्से में अब समुद्र से बचाए गए शरणार्थियों को रखा जाएगा.
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समुद्र में रिफ्यूलिंग
स्पेन का फ्रिगेट नुमांसिया फ्रैंकफुर्ट अम माइन से ईंधन भरवा रहा है. यह काफी मुश्किल काम है क्योंकि दोनों जहाज 20 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से एक दूसरे के साथ चल रहे हैं. शक्तिशाली लहरों के बीच तेल भरने के दौरान दोनों जहाजों को एक दूसरे बराबर दूरी बनाकर रखनी होती है.
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घर की याद
जिसे घर की याद आती है उसे यहां ब्रिज पर प्रोत्साहन मिलता है. समुद्र पर मोबाइल फोन की सुविधा नहीं होती, लेकिन कुछ हफ्तों पर जहाज किसी न किसी हार्बर पर पहुंचता है. वहां जरूरत का सामान खरीदा जाता है और जवानों को थोड़ा आराम और मस्ती करने का मौका मिलता है.