जर्मन सेना में चरमपंथ
२० जुलाई २०१३जर्मन खुफिया एजेंसियों के लिए यह एक मुश्किल वक्त है. इन एजेंसियों की बहुत सी शाखाओं पर अमेरिकी जासूसी कार्यक्रम प्रिज्म के बारे में जानकारी होने का आरोप है तो दूसरे हिस्से को नवनाजी एनएसयू आतंकियों को पकड़ पाने में अपनी नाकामी का बचाव करना है तो किसी पर एनएसयू के एक सदस्य को मुखबिर के रूप में बहाल करने का आरोप है. कम से कम जर्मन मीडिया तो यही मान रही है. जर्मन सेना इन सबसे इनकार करती है लेकिन फिर भी यह सवाल बना हुआ है, जर्मन सेना में कितने चरमपंथी हैं?
चरमपंथियों के लिए लुभावनी सेना
नवनाजी मानसिकता वालों को बंदूक चलना भाता है. जर्मन पब्लिक रेडियो से बातचीत में सेना की काउंटर इंटेलिजेंस सर्विस एमएडी के प्रमुख उलरिष बिर्केनहायर आक्रामक हो गए. एमएडी ने 2012 में चरमपंथ के 400 मामलों की जांच की. इनमें 300 मामले दक्षिणपंथियों के थे जबकि 50 इस्लामी पृष्ठभूमि से जुड़े. बिर्केनहायर का कहना है, "ध्यान दक्षिणपंथी इलाकों पर है क्योंकि हमने देखा है कि 18-25 साल की उम्र के युवाओं के लिए सेना बहुत आकर्षक होती है. उनमें से कुछ के लिए हथियार चलना बहुत दिलचस्प होता है." वामपंथी विचारों वाले चरमपंथी सेना में बहुत मुश्किल से ही मिलेंगे.
जर्मन सोल्जर्स यूनियन के प्रमुख उलरिष किर्ष भी इन बातों की पुष्टि करते हैं. उन्होंने कहा, "हां, मेरा भी इसमें बहुत बुरा अनुभव है, मुझे तो निजी तौर पर धमकी दी गई." किर्ष इस बारे में ब्यौरा नहीं देना चाहते, "नहीं, तो मैं उन्हें फिर जगा दूंगा और वो शायद फिर उसी तरह की हरकतें करेंगे."
सोशल डेमोक्रैट पार्टी के रक्षा नीति प्रवक्ता रायनर अरनॉल्ड का कहना है कि वास्तव में सेना के लिए दक्षिणपंथी युवाओं में आकर्षण है और अगर हर कोई सेना में आ गया तो ये इतने ज्यादा हो जाएंगे जितने नहीं होने चाहिए. अर्नाल्ड ने कहा, "हम उन नागरिकों को सेना की वर्दी में चाहते हैं जो हमारे लोकतंत्र को समझे और इसकी रक्षा करें. इसी वजह से एमएडी का ऐसे लोगों की पहचान करना उचित और जरूरी है."
संख्या नहीं बढ़ी
2012 में जर्मन सेना में दक्षिणपंथी चरमपंथियों का बड़ी संख्या में सामने आना बड़ी बात है. इससे पहले के पांच सालों में औसतन 40 चरमपंथी हर साल सामने आए. सेना के प्रवक्ता के मुताबिक पिछले 10 सालों से इसकी तुलना की जा सके, यह संभव नहीं है क्योंकि पांच साल बाद सारे आंकड़े मिटा दिए जाते हैं. हालांकि सेना ने अपने बयान में कहा है कि चरमपंथ के सामने आए उन मामलों को अलग करना जरूरी है जिनमें जांच चल रही है. सेना के बयान के मुताबिक, "चरमपंथ की घटना बहुत ज्यादा नहीं बढ़ी है." इम मामलों को कुछ खास सामाजिक वातावरण से भी जोड़कर देखना संभव नहीं है. सेना के प्रवक्ता लुडगर टेब्रुगेन ने डीडब्ल्यू से कहा, "दक्षिणपंथी के रूप में पहचाने गए सैनिक समाज के सभी वर्गों से आते हैं."
सेना के जुटाए अलग अलग आंकड़ों को मिला कर देखें तो हैरानी होती है. 400 संदिग्ध मामले और 40 चरमपंथियों का पता चला है. इसका मतलब है हर चरमपंथी ने 10 अपराध किए.
समाज का दर्पण
एमएडी किसी शख्स के बारे में तभी तफ्तीश कर सकती है जब वह सेना में हो. बिर्केनहायर का कहना है कि इसे बदला जाना चाहिए ताकि एमएडी सेना में नौकरी के लिए आवेदन करने वालों की पहले ही जांच कर ले. उधर अरनॉल्ड दोहरा ढांचा खड़ा करने के खिलाफ चेतावनी देते हैं. उनका कहना है एमएडी के अधिकारों को इस मामले में बढ़ाने की जरूरत नहीं है. आम नागरिकों की जांच घरेलू जांच एजेंसियों का काम है और उन्हीं का रहना चाहिए.
जर्मन शहर कील में इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी पॉलिसी के प्रमुख श्टेफान हानसेन कहते हैं कि किसी भी लोकतांत्रिक देश में सेना हमेशा, "समाज का दर्पण" होती है. वे सामान्य नागरिकों को चुनते हैं और इसलिए उनमें भी वही समस्याएं होती हैं जो समाज में रहती हैं. हाली ही में फ्रीडरिष एबर्ट फाउंडेशन ने एक रिसर्च किया था जिसके मुताबिक जर्मनी की करीब नौ फीसदी आबादी की मानसिकता दक्षिणपंथी है.
रिपोर्टः योहाना श्मेलर/एनआर
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी