पिछले कुछ सालों में जर्मनी की छवि युद्ध से भाग कर आ रहे शरणार्थियों को अपनाने वाले देश के रूप में उभरी है. लेकिन एक ताजा शोध बताता है कि जर्मनी के हथियार दुनिया के कई हिस्सों में युद्ध लड़ने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं.
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एक ताजा शोध के अनुसार जर्मनी ने 30 वर्षों तक हथियार निर्यात नियमों का व्यवस्थित रूप से उल्लंघन किया है. पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट फ्रैंकफर्ट (पीआरआईएफ) के इस शोध में कहा गया है, "जर्मनी ऐसे देशों को हथियार निर्यात करता रहा है, जो युद्ध और संकट से प्रभावित हैं, जहां मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और जहां के इलाके तनावग्रस्त हैं." पीआरआईएफ ने उस शोध के लिए 1990 के बाद से जर्मन हथियार निर्यात नीति की जांच की और पता लगाया कि क्या वह हथियारों के निर्यात के लिए यूरोपीय संघ के आठ-बिंदुओं वाले मानदंडों का पालन कर रहा है या नहीं.
यूरोपीय संघ के मानदंड के अनुसार हथियार जिस देश को भेजे जा रहे हैं, वहां "मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का सम्मान" होना चाहिए, और उस इलाके में "शांति, सुरक्षा और स्थिरता होनी चाहिए." शोध के अनुसार जर्मनी ने "बार बार इन मानदंडों का उल्लंघन किया है." ग्रीनपीस के निरस्त्रीकरण विशेषज्ञ अलेक्जांडर लुत्स ने फ्रांस की समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "जर्मन हथियार युद्ध क्षेत्रों में और तानाशाहों के हाथों में व्यवस्थित रूप से दिखाई दे रहे हैं. हमें जल्द से जल्द सख्त हथियार निर्यात कानून की आवश्यकता है, जो विकासशील देशों को निर्यात पर प्रतिबंध लगाए और जानबूझकर निर्यात के दिशानिर्देशों की व्यवस्थित रूप से हो रही इस अवहेलना को समाप्त करे."
ताजा शोध के अनुसार, "जर्मन हथियारों से युद्ध लड़े जा रहे हैं और गंभीर रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है." शोधकर्ताओं ने मेक्सिको में सितंबर 2014 में हुई एक घटना का उदाहरण दिया है, जिसमें पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर गोलियां चलाई. पुलिस ने जर्मन कंपनी हेकलर एंड कॉख की जी-36 असॉल्ट राइफलों से छात्रों पर हमला किया था. इसके अलावा रिपोर्ट के अनुसार यमन में चल रहे युद्ध में भी जर्मन निर्मित हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा है. पीआरआईएफ ने यह भी दावा किया है कि जर्मन सेना के और पूर्व जर्मनी की नेशनल पीपुल्स आर्मी के पुराने स्टॉक को भी आंशिक रूप से उन देशों में भेजा जा रहा है जो न तो यूरोपीय संघ का हिस्सा हैं और न ही नाटो के सदस्य हैं.
रिपोर्ट में लिखा गया है, "जर्मनी से गैर-नाटो राज्यों को युद्ध के हथियारों की आपूर्ति पर 1971 में जो प्रतिबंध लगा, उसके लिए राजनीतिक सिद्धांतों, कानूनों और विभिन्न प्रक्रियाओं का इस्तेमाल कर जटिल नियम बनाए गए. इनमें यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय नियमों को भी जोड़ा गया." लेकिन इसके बावजूद 1990 के बाद से विकासशील देशों को हथियार निर्यात को बड़े पैमाने पर मंजूरी दी गई है. रिपोर्ट में लिखा गया है, "ऐसे मामलों को वास्तव में अपवाद होना चाहिए, लेकिन लगभग 60% के लाइसेंस स्तर के साथ, पिछले कुछ सालों में यह आम बात हो गई है. रिपोर्ट के लेखकों की मांग है कि ऐसा कानून बनाया जाए जो वाकई हथियार निर्यात को नियंत्रित कर सके.
पीआरआईएफ जर्मनी के सबसे बड़े शांति अनुसंधान संस्थानों में से एक है और इसका उद्देश्य दुनिया भर में हिंसक संघर्ष के कारणों का विश्लेषण करना और नीति निर्माताओं के साथ सिफारिशें साझा करना है.
दुनिया में हथियारों की खरीद बिक्री पर नजर रखने वाले इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने बताया है कि 2013-17 के बीच हथियारों की बिक्री 10 फीसदी बढ़ गई है. देखिए दुनिया में हथियारों के बड़े दुकानदार और खरीदार देशों को.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/A. Naveed
संयुक्त राज्य अमेरिका
हथियारों के सौदागर के रूप में सबसे आगे चलने वाले अमेरिका ने अपनी बढ़त और ज्यादा कर ली है. बीते पांच सालों में दुनिया में बेचे गए कुल हथियारों का करीब एक तिहाई हिस्सा यानी करीब 34 फीसदी अकेले अमेरिका ने बेचे. अमेरिकी हथियार कम से कम 98 देशों को बेचे जाते हैं. इनमें बड़ा हिस्सा युद्धक और परिवहन विमानों का है.
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सऊदी अरब
अमेरिका अपने हथियारों का करीब आधा हिस्सा मध्यपूर्व के देशों को बेचता है और करीब एक तिहाई एशिया के देशों को. सऊदी अरब मध्य पूर्व में हथियारों का सबसे बड़ा खरीदार है. दुनिया में बेचे जाने वाले कुल हथियार का करीब दसवां हिस्सा सऊदी अरब को जाता है. सऊदी अरब हथियारों की दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा खरीदार देश है. अमेरिका के 18 फीसदी हथियार सऊदी अरब खरीदता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
रूस
अमेरिका के बाद हथियार बेचने वालों में दूसरे नंबर पर है रूस. बेचे गए कुल हथियारों में 20 फीसदी रूस से निकलते हैं. रूस दुनिया के 47 देशों को अपने हथियार बेचता है साथ ही यूक्रेन के विद्रोहियों को भी. रूस के आधे से ज्यादा हथियार भारत, चीन और विएतनाम को जातें हैं. रूस के हथियार की बिक्री में 7.1 फीसदी की कमी आई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo
फ्रांस
हथियारों बेचने वाले देशों में तीसरे नंबर पर है फ्रांस. कुल हथियारों की बिक्री में उसकी हिस्सेदारी 6.7 फीसदी की है. फ्रांस ने हथियारों की बिक्री में करीब 27 फीसदी का इजाफा किया है और वह दुनिया की तीसरा सबसे बड़ा हथियार निर्यातक देश बन गया है.
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जर्मनी
फ्रांस के बाद जर्मनी का नंबर आता है. बीते पांच सालों में जर्मनी की हथियार बिक्री में कमी आई है बावजूद इसके वह चौथे नंबर पर काबिज है. जर्मनी ने मध्य पूर्व के देशों को बेचे जाने वाले हथियारों में करीब 109 फीसदी का इजाफा किया है.
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चीन
अमेरिका और यूरोप के बाद हथियार नियातकों में नंबर आता है चीन का. बीते पांच सालों में उसके हथियारों की बिक्री करीब 38 फीसदी बढ़ी है. चीन के हथियारों का मुख्य खरीदार पाकिस्तान है. हालांकि इसी दौर में अल्जीरिया और बांग्लादेश भी चीन के हथियारों के बड़े खरीदार बन कर उभरे हैं. चीन ने म्यांमार को भी भारी मात्रा में हथियार बेचे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/L.Xiaolong
इस्राएल
हथियारों की एक बड़ी दुकान इस्राएल में है. बीचे पांच सालों में उसने अपने हथियारों की बिक्री करीब 55 फीसदी बढ़ाई है. इस्राएल भारत को बड़ी मात्रा में हथियार बेच रहा है.
तस्वीर: Reuters
दक्षिण कोरिया
हथियारों के कारोबार में अब दक्षिण कोरिया का भी नाम लिया जाने लगा है. उसने अपने हथियारों की बिक्री बीते पांच सालों में करीब 65 फीसदी बढ़ाई है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Ahn Young-joon
तुर्की
इस दौर में जिन देशों के हथियारों की बिक्री ज्यादा बढ़ी है उनमें तुर्की भी शामिल है. उसने हथियारों का निर्यात 2013-17 के बीच करीब 165 फीसदी तक बढ़ा दिया है.
तस्वीर: Reuters/O. Orsal
भारत
हथियारों के खरीदार देश में भारत इस वक्त सबसे ऊपर है. दुनिया में बेच जाने वाले कुल हथियारों का 12 फीसदी भारत ने खरीदे हैं. इनमें करीब आधे हथियार रूस से खरीदे गए हैं. भारत ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी भी बढ़ा दी है इसके अलवा फ्रांस और इस्राएल से भी भारी मात्रा में हथियार खरीदे जा रहे हैं.
तस्वीर: REUTERS/A. Abidi
पाकिस्तान
पाकिस्तान के हथियारों की खरीदारी में कमी आई है. फिलहाल दुनिया में बेचे जाने वाले कुल हथियारों का 2.8 फीसदी पाकिस्तान में जाता है. पाकिस्तान ने अमेरिका से हथियारों की खरीदारी काफी कम कर दी है.