दुनिया में जलवायु परिवर्तन के विषय में लिखा तो बहुत जा रहा है लेकिन अब पर्यावरण के प्रति लोगों को जागरूक बनाने के लिए कोलकाता में एक खास डांस फॉर्म तैयार किया गया है. इस डांस को इकोनामा नाम दिया गया है.
तस्वीर में नजर आ रहा यह डांस फॉर्म कोई आम डांस नहीं है, बल्कि एक खास उद्देश्य के साथ तैयार किया गया इकोनामा डांस फॉर्म है. इकोनामा का मकसद लोगों को जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाना है. डांस की शुरुआत तो कंटेम्परी से होती है लेकिन अंत तक यह एक अलग ही स्तर पर पहुंच जाता है. एक घंटे लंबे इस कार्यक्रम को तैयार करने वाले कलाकारों को उम्मीद है कि इसके नाटकीय हावभाव, ज्वलंत परिधान, और संगीत की रोचकता दर्शकों को जलवायु परिवर्तन पर आवाज उठाने के लिए मजबूर कर देगी.
इस डांस को तैयार करने वाली सैफायर क्रिएशन डांस कंपनी की सहनिदेशक प्रतिमा सिन्हा कहती हैं कि जहां आप दर्शकों से भावनात्मक प्रतिक्रिया की उम्मीद करते हैं, वहां यह डांस फॉर्म बेहद प्रभावशाली होता है. इसमें एक भारतीय आदिवासी समुदाय की जीवनशैली को पेश किया गया है. यह समुदाय अपनी रक्षा के लिए अलग-अलग तरह के दिखने वाले तमाम भगवानों पर भरोसा करते हैं. लेकिन एक दिन गांव में तूफान आता है और यहां के लोग जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न भीषण स्थितियों से जूझते नजर आते हैं. इस नृत्य में एक ऐसे भविष्य को दिखाया गया है जहां तूफान, सूखा, बाढ़ और प्रदूषण के चलते धरती पर बचे लोगों का जीवन अर्ध-नग्न जीवों के रूप में बदल जाता है. इनमें झगड़ा होता है और लोग भोजन, पानी और आश्रय के लिए एक दूसरे की हत्या करने लगते हैं.
इस कार्यक्रम से जुड़ी 22 साल की अनसुइया मित्रा कहती है, "पर्यावरण से जुड़े मसलों पर किताबों में थोड़ा बहुत पड़ने के बाद ही बोरियत महसूस होने लगती है लेकिन इसी विषय पर एक घंटे का लंबा डांस देखना ज्यादा बेहतर है."
जलवायु परिवर्तन पर दुनिया का रुख रहा सुस्त
ब्रिटेन की साइंस पत्रिका लैंसेट में छपी एक रिपोर्ट मुताबिक जलवायु परिवर्तन का साल 2000 के बाद से मानव स्वास्थ्य पर बेहद ही बुरा असर पड़ा है. गर्म हवायें और बीमारियों में वृद्धि हुई है और फसलों पर भी प्रतिकूल असर पड़ा है.
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सुस्त कदम
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 25 सालों में ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए बेहद ही सुस्त कदम उठाये गये जिसने मानवीय जीवन और आजीविका को खतरे में डाल दिया है.
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स्पष्ट प्रभाव
स्टडी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव स्पष्ट हैं और ये नहीं बदलते हैं. साइंस पत्रिका में छपी इस रिपोर्ट को कई विश्वविद्यालयों समेत विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन(डब्ल्यूएचओ) ने मिलकर तैयार किया है.
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अमेरिका बाहर
हालांकि अब दुनिया के कई देश पेरिस जलवायु समझौते के तहत ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अमेरिका जैसा बड़ा कार्बन उत्सर्जन करने वाला देश अब इस समझौते से बाहर चला गया है.
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बुजुर्गों पर खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक साल 2000 से 2016 के दौरान दुनिया के तकरीबन 12.5 करोड़ लोग हर साल गर्म हवाओं के संपर्क में आते रहे, इसमें बुजुर्गों के स्वास्थ्य पर विशेष रूप से जोखिम बना रहा और इनके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा.
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डेंगू के मामले
जलवायु और स्वास्थ्य से जुड़े 40 मानकों के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के चलते दुनिया में डेंगू के मामले बढ़े हैं जिसके चलते सालाना 10 करोड़ लोग प्रभावित हो रहे हैं.
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क्षमता घटी
कृषि मजदूरों की उत्पादकता में साल 2000 के बाद से तकरीबन 5.3 फीसदी की कमी आई है, भारत और ब्राजील जैसे देशों में गर्मी बढ़ने के चलते मजदूरों और श्रमिकों की कार्य क्षमता घटी है.
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कुपोषण
जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा प्रभाव कुपोषण के रूप में सामने आया है. रिपोर्ट मुताबिक अफ्रीका और एशिया के करीब 30 देशों में कुपोषण के मामले बढ़े हैं, साल 1990 में कुपोषण से जुड़े मामलों की संख्या 39.8 करोड़ थी जो साल 2016 में 42.2 करोड़ तक पहुंच गई.
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प्राकृतिक आपदायें
तूफान और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं में भी साल 2000 के बाद से 46 फीसदी की वृद्धि हुई है. हालांकि इसमें जान जाने के मामलों में वृद्धि नहीं हुई है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि प्रशासन ने प्राकृतिक आपदाओं से बचने के लिए कदम उठाये हैं.
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आगे भी असर
स्टडी में जलवायु परिवर्तन के चलते अब तक कितनी जानें गयी हैं इसका तो कोई आंकड़ा पेश नहीं किया गया है लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने एक अध्ययन में कहा था कि साल 2030 से 2050 के बीच ये आंकड़ा 2.5 लाख तक पहुंच सकता है.
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बॉन में उम्मीदें
इन नतीजों के बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक और लैंसेट काउंटडाउन स्टडी के सहअध्यक्ष कर रहे एंथनी कोस्टेलो को अब भी उम्मीद नजर आती है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि बॉन में होने वाली जलवायु परिवर्तन कांफ्रेस पर इन मसलों पर विस्तार से चर्चा होगी.
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सैफायर क्रिएशन के साथ जुड़ी मित्रा ने साल 2015 में माइक्रोसॉफ्ट से मिलने वाली एक फैलोशिप के दौरान इस डांस फॉर्म को तैयार करने के लिए काम भी किया है. यह फैलोशिप 18-25 साल की उम्र वाले कलाकारों को कोलकाता में पर्यावरण मुद्दों पर कला को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करने के लिए दी जाती है. मित्रा की टीम ने इसके पहले 15 मिनट का एक डांस इकोबूम तैयार किया था, जिसे इनकी टीम ने कोलकाता के आसपास के 16 विश्वविद्यालयों में पेश किया. सिन्हा कहती हैं कि इकोबूम की छोटी-छोटी सफलताओं ने कंपनी को लंबे डांस कार्यक्रम तैयार करने के लिए प्रेरित किया. इन लंबे कार्यक्रमों में म्यूजिक, डांस का अधिक ध्यान रखा गया है.
इस दल से जुड़ी 20 साल की महाश्वेता भट्टाचार्य कहती हैं, "हम सभी कहीं न कहीं धरती को नुकसान पहुंचाने के लिए जिम्मेदार हैं. लेकिन अगर हम इस बात को नकारते रहे, तो भविष्य अच्छा नहीं होगा. जब हमने इकोनामा को देखा तो हम स्वयं को रोक नहीं पाये और इस तरफ कोशिशें शुरू कर दीं."
डांस कंपनी से जुड़े सुदर्शन चक्रवर्ती तुर्की, सिंगापुर, और कनाडा के कोरियाग्राफर्स के साथ काम कर चुके हैं और इस कार्यक्रम में उनका अनुभव साफ नजर आता है.
गिनीज बुक के नए रिकॉर्ड
अजीबो गरीब खेल के रिकॉर्ड, कुत्तों का नाच, बिल्लियों की कूद, म्यूजिक सुपर स्टार. गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2015 की सूची आ चुकी है. गिनीज बुक का यह 60वां साल है.
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सबसे तेज चार पैरों वाला
अगले पंजों पर पांच मीटर की दौड़ सिर्फ 7,76 सेकंड में और पिछले पैरों पर 10 मीटर दौड़ सिर्फ 6,56 सेकंड में, इस कुत्ते के लिए वर्ल्ड रिकॉर्ड. लॉस एंजेलेस का जिफ यह काम बहुत आसानी से कर सकता है.
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सबसे लंबी गोल्फ स्टिक
दुनिया की सबसे लंबी गॉल्फ स्टिक 4,39 मीटर लंबी है. इसे जर्मनी के गॉल्फ खिलाड़ी कार्स्टन मास ने बनाया है. और सबसे अचंभा यह कि दुनिया की सबसे लंबी स्टिक से आप सच में गॉल्फ खेल सकते हैं. बस इसके लिए आपको बहुत अच्छी आंखें चाहिए ताकि आप उससे गेंद को मार सकें.
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ग्लोबल रॉक गायक
इन्होंने एक साल में धरती के सभी महाद्वीपों पर कार्यक्रम दिया, अंटार्कटिक पर भी. यह कारनामा करने वाला अमेरिका का मेटालिका बैंड है. उन्होंने कहा, "जब हम पिछले साल निकले तो हमें पता नहीं था कि हम वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं."
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सबके लिए एक डिश
पांच मीटर व्यास वाला, सात सेंटीमीटर मोटा और डेढ़ टन का यह है दुनिया का सबसे बड़ा स्पेनिश ऑमलेट तोर्तेया. 12 रसोइयों ने मिल कर इसे बास्कलैंड की राजधानी विटोरिया में बनाया. इसे बनाने में 840 किलोग्राम अंडे, 1600 किलोग्राम आलू, 30 किलोग्राम प्याज, दस किलोग्राम नमक और 150 लीटर जैतून का तेल इस्तेमाल किया गया.
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आई ट्यून का रिकॉर्ड
अमेरिकी गायिका बियॉन्से ने अपने नाम वाली ही एलबम से आई ट्यून में एक नया रिकॉर्ड बनाया. पैसे देकर गाने खरीदने वाले इस प्लेटफॉर्म से तीन दिन के अंदर यह एलबम आठ लाख तीस हजार लोगों ने खरीदा. इससे बियॉन्से आई ट्यून पर अब तक सबसे तेजी से बिकने वाला एलबम बन गया है.
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टोपी ही टोपी
पहले तो आयडिया दिमाग में आना चाहिए, पुलिस की टोपियां इकट्ठी करने का. 35 साल पहले अपने दादा की टोपी से शुरुआत हुई. इस बीच पुलिस अधिकारी आंद्रेयास स्काला के पास 231 देशों की 2,293 टोपियां और हैट्स हैं. जर्मनी के यह दीवाने कहते हैं कि सबसे मुश्किल वैटिकन की टोपी पाना था.
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इनसे तेज कोई नहीं
सबीने लिजिकी की बाहें मजबूत हैं. 24 साल की जर्मनी की टेनिस खिलाड़ी महिला टेनिस की सबसे तेज सर्विस करने वाली महिला हैं. उन्हें न्यूयॉर्क में इसका सर्टिफिकेट भी दिया गया.
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सबसे वृद्ध
दुनिया के सबसे बूढ़े जीवित व्यक्ति 111 साल के मोमोई हैं. वह जापान के हैं. इस उम्र में उन्हें सुनाई कम देता है लेकिन चलते फिरते हैं. मछली खाना और पढ़ना उन्हें बहुत पसंद हैं. मोमोई कहते हैं कि उन्हें चीनी कविताएं बहुत अच्छी लगती हैं.
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गुटरलोह से
60वीं गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की 27 लाख प्रतियां दुनिया भर में गईं. इसे छापने में कुल 2,885 टन पेपर, 811 टन गत्ता और छह लाख 77 हजार वर्ग मीटर प्लास्टिक की शीट लगी. 256 पन्ने वाली इक किताब में पंजीकृत रिकॉर्डों के सिर्फ 10 फीसदी रिकॉर्ड दर्ज हैं.