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जल्द खुलेंगे स्विस अकाउंट के राज

२६ जुलाई २०११

स्वीटजरलैंड के बैंकों में भारत का बेहिसाब काला धन रखा हुआ है.भ्रष्टाचार के मामलों को देखते हुए भारत सरकार पर इस धन की पूरी जानकारी निकालने को लेकर दबाव बढ़ रहा है. अगले साल खुल सकेगे स्विस अकाउंट के राज.

(FILES) Coming out of the shadows of deficit......The logo of Switzerland's biggest bank UBS is seen at the companies branch in Aarau, Switzerland, in this February 12, 2009 file picture. Troubled Swiss bank UBS said February 9, 2010, that it had returned a 1.20 billion Swiss franc profit (1.12 billion dollars, 821 million euros) in the final quarter of 2009, shrugging off more than a year of quarterly losses. The turnaround in the final three months of the year helped the bank to cut its annual net loss to 2.73 billion francs last year, compared with 21.29 billion francs at the height of the financial crisis in 2008, UBS said in a statement. EPA/ALESSANDRO DELLA BELLA +++(c) dpa - Bildfunk+++
तस्वीर: picture-alliance/dpa

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने आश्वासन दिया है कि काले धन पर नियंत्रण के लिए भारत और स्विट्जरलैंड के बीच दोहरे कराधान बचाव समझौते में जो बदलाव लाए गए है उन्हें साल के अंत तक लागू कर दिया जाएगा. लंदन में इंडिया हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए मुखर्जी ने कहा, "हमने पिछले साल अगस्त में ही स्विट्जरलैंड के साथ मौजूदा दोहरे कराधान बचाव समझौते में बदलाव लाने वाले एक मसौदे पर हस्ताक्षर किए थे. उनके कानून और संविधान के अनुसार अंतरराष्ट्रीय समझौतों को संसद के दोनों सदनों और अन्य एजेंसियों से गुजरना पड़ता है. अब संसद के दोनों सदनों से इसे मंजूरी मिल गई है, अन्य एजेंसियां भी साल के अंत तक इसे मंजूरी दे देंगी."

तस्वीर: UNI

दरअसल 17 जून को स्विस संसद ने समझौते में बदलावों को मंजूरी दी थी. स्विट्जरलैंड में किसी भी संधि को पास करने से पहले जनता को भी समय दिया जाता है कि वो उसके साथ अपना समर्थन दिखा सकें. 17 जून के बाद स्विट्जरलैंड के लोगों को सौ दिन का समय मिला है. यदि वे 6 अक्टूबर तक इस पर कोई आपत्ति नहीं उठाते हैं तो इसे पास कर दिया जाएगा, नहीं तो इस मामले पर जनमत संग्रह कराया जाएगा.

बंद हैं अरबों रुपये

वहीं स्विट्जरलैंड को उम्मीद है कि औपचारिकताएं जल्द ही पूरी कर ली जाएंगी. भारत में स्विट्जरलैंड के राजदूत फिलिप वेल्टी ने समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "अक्टूबर तक इस समझौते को पास कर दिया जाएगा, चाहे कोई जनमत संग्रह हो या ना हो. मुझे पूरा विश्वास है कि 6 अक्टूबर तक हम यह कह पाएंगे कि जनमतसंग्रह की कोई जरूरत ही नहीं है और अगर मेरी बात सही निकली तो हम 7 अक्टूबर को भारत सरकार से यह कह पाएंगे कि हम आपको सूचना देने के लिए तैयार हैं."

तस्वीर: picture-alliance / dpa/dpaweb

इस समझौते के अनुसार 1 जनवरी से ही भारत सरकार को स्विस बैंकों में रखे धन की पूरी जानकारी मिल सकेगी. हालांकि स्विस बैंकों की नीति के अनुसार ग्राहकों की जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती, लेकिन ताजा आंकड़ों बताते हैं कि स्विट्जरलैंड के बैंकों में भारत के कुल 2.5 अरब डॉलर यानी 110 अरब रुपयों से अधिक पड़े हैं.

रिपोर्ट: पीटीआई/ ईशा भाटिया

संपादन: आभा एम

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