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जल्द चुनाव कराने की मांग लेकर उबला बांग्लादेशी विपक्ष

१० अक्टूबर २०११

बांग्लादेश के मुख्य विपक्षी दल बीएनपी की नेता खालिदा जिया ने सोमवार को पूरे देश की यात्रा की. जिया प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे और नए चुनाव की मांग कर रही हैं.

खालिदा जियातस्वीर: Harun Ur Rashid Swapan

यात्रा में खालिदा जिया के साथ 15 हजार से ज्यादा उनके समर्थक भी चले. जिया के प्रवक्ता फखरुल इस्लाम ने बताया कि यह यात्रा राजधानी ढाका में उनके दफ्तर से शुरू हुई और 192 किलोमीटर दूर सिलहट शहर में खत्म हुई. रास्ते में जिया ने कई जगह लोगों को संबोधित किया.

इस यात्रा में करीब 300 जीप और मिनीबस शामिल हुईं. इनकी निगरानी के लिए दंगा नियंत्रण पुलिस बल भी साथ साथ रहा. हालांकि यात्रा के दौरान किसी तरह की हिंसा की खबर नहीं है.

बांग्लादेश के अगले आम चुनाव 2014 में होने हैं. लेकिन विपक्षी दल सरकार पर जल्दी चुनाव कराने के लिए दबाव बना रहे हैं. जिया ने तीन और पार्टियों के साथ गठबंधन कर रखा है. इस विपक्षी गठबंधन का आरोप है कि प्रधानमंत्री हसीना की सरकार दो साल के अपने शासन में महंगाई काबू करने में विफल रही है और कानून व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ गई है. तीन साल पहले बांग्लादेश में मुद्रास्फीति की दर आठ फीसदी थी जो अब बढ़कर 12 फीसदी हो चुकी है.

शेख हसीनातस्वीर: DW

महंगाई के बोझ तले देश के दो शेयर बाजारों की कमर भी टूट चुकी है. इस वजह से अपना पैसा गंवाने वाले निवेशक कई बार सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन कर चुके हैं. इनमें पुलिस और लोगों के बीच झड़पें भी हुई हैं. लेकिन सरकार इसके लिए निवेशकों को ही जिम्मेदार ठहराती है. सरकार का कहना है कि नौसिखिये निवेशकों ने बिना सोचे समझे पैसा लगाया.

लेकिन जिया के कई आरोप हैं जिनमें महंगाई का मुद्दा तो है ही, साथ ही सत्ताधारी अवामी लीग की युवा और छात्र शाखा पर हिंसक गतिविधियों में शामिल होने का भी आरोप है. वैसे सभी पार्टियों की युवा और छात्र शाखाओं पर हिंसा के आरोप लगते रहते हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया चुनावी प्रक्रिया में बदलाव के लिए भी सरकार की आलोचना करती हैं. हसीना सरकार ने देश में 15 साल से चली आ रही उस व्यवस्था को खत्म कर दिया है जिसमें चुनाव एक निष्पक्ष कार्यवाहक प्रशासन की देखरेख में होते थे. इसके लिए इसी साल संविधान में बदलाव किया गया.

शेख हसीना 2008 में हुए चुनाव में विशाल जीत दर्ज करके सत्ता में आईं. उससे पहले देश में लगभग दो साल तक आपात काल रहा. अब हसीना विपक्ष की जल्दी चुनाव कराने की मांग को खारिज कर चुकी हैं. उन्होंने कहा है कि चुनाव 2014 में उनकी सरकार की देखरेख में ही होंगे. विपक्ष कहता है कि सरकार की निगरानी में चुनावों में धांधली हो सकती है.

रिपोर्टः एपी/वी कुमार

संपादनः महेश झा

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