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जस्टिस गांगुली का इस्तीफा

७ जनवरी २०१४

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज अशोक कुमार गांगुली ने पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है. कानून की पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने बीते नवंबर में जस्टिस गांगुली पर यौन दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था.

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तस्वीर: Reuters

जस्टिस गांगुली ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायण को सोमवार को ही अपना इस्तीफा सौंप दिया. लॉ की पढ़ाई कर रही एक छात्रा ने करीब दो महीने पहले अपने ब्लाग में लिखा कि जस्टिस गांगुली ने दिसंबर 2012 में दिल्ली के ली मेरेडियन होटल में उसके साथ गलत व्यवहार किया था. बाद में लॉ इंटर्न ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की समिति के सामने बयान में कहा कि गांगुली ने उससे कुछ पेशेवर काम निपटाने के लिए होटल के कमरे में रात बिताने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया.

दबाव के आगे झुके

सुप्रीम कोर्ट की समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जस्टिस गांगुली ने "अवांछनीय व्यवहार" किया. देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में वे कोई और कदम नहीं उठा सकते हैं क्योंकि घटना गांगुली के सेवानिवृत्त होने के बाद की है. लॉ इंटर्न ने अब तक पुलिस से मामले की शिकायत नहीं की है इसलिए अब तक उन पर कोई आपराधिक मामला नहीं चलाया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के पैनल के निष्कर्ष से गांगुली पर सिर्फ इस बात का दबाव बन रहा था कि वह पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दें. सरकार द्वारा उन्हें इस पद से हटाने की कार्रवाई शुरू करने के बाद अब उन्होंने इस्तीफा दे दिया.

इस्तीफे पर टिप्पणी करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ममता शर्मा ने कहा, "यह ज्यादा गरिमामय लगता अगर आरोप लगते ही वह इस्तीफा दे देते. लेकिन देर आये दुरूस्त आये." तृणमूल कांग्रेस समेत कई संगठन उनके इस्तीफे की मांग उठा रहे थे. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उनको हटाने के लिए राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को दो-दो बार पत्र लिखा.

जस्टिस गांगुली यौन दुर्व्यवहार के आरोपों का खंडन करते आ रहे थे और उनका कहना था कि कुछ "शक्तिशाली तबके" उनकी छवि खराब करना चाहते हैं. जस्टिस गांगुली ने अपने 18 साल के कार्यकाल में बहुत सी अदालतों और सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए कुछ ऐतिहासिक फैसले दिये. इनमें 2008 का वह फैसला भी है जब उन्होंने सरकार के 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन में अनियमितताओं के चलते दूरसंचार कंपनियों का लाइसेंस रद्द कर दिया था.

लगातार हो रही हैं शिकायतें

एक साल पहले दिल्ली में एक छात्रा के साथ वीभत्स गैंग रेप की घटना के बाद देश भर में गुस्से की लहर फैल गई थी. विरोध प्रदर्शनों के बाद महिलाओं पर अत्याचार से संबंधित कानून को सख्त बना दिया गया. बलात्कार जैसे जघन्य अपराध के लिये सजा को दोगुना कर 20 साल किया गया और इन मामलों के निपटारे के लिए फास्ट ट्रैक अदालतों का भी गठन हुआ.

देश में औरतों से दुर्व्यवहार की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. रविवार को पोलैंड की एक 33 वर्षीया महिला ने पुलिस को बताया कि एक टैक्सी चालक ने दिल्ली में उसे नशीला पदार्थ देकर बेहोश कर दिया और फिर उसके साथ बलात्कार किया. नवंबर में ही मशहूर भारतीय पत्रकार तरुण तेजपाल पर एक महिला सहकर्मी ने यौन शोषण का आरोप लगाया. तेजपाल ने आरोप स्वीकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. गोवा में तेजपाल कांड के बाद एक जर्मन महिला के साथ बलात्कार के आरोप में एक योग शिक्षक की गिरफ्तारी हुई.

आरआर/एमजे (डीपीए,एपी)

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