1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जहरीली गैसों से भरा वर्ल्ड कप

९ दिसम्बर २०१३

फुटबॉल विश्व कप भले ही धरती का सबसे बड़ा खेल मुकाबला है लेकिन यह जलवायु परिवर्तन से जूझ रही धरती के लिए महान मुश्किलें लेकर आ रहा है. वह अपने साथ लाखो टन कार्बन डायॉक्साइड ला रहा है.

FIFA 2014 WM Maskottchen
तस्वीर: Toshifumi Kitamura/AFP/Getty Images

ब्राजील एक विशाल देश है और वर्ल्ड कप के मैच अलग अलग शहरों में रखे गए हैं. देश में रेल यातायात अच्छी नहीं है और खिलाड़ियों, टीमों तथा प्रशंसकों को हवाई यात्रा का सहरा लेना होगा. अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल संस्था फीफा का कहना है कि विश्व कप के दौरान वायु यातायात से 27.2 लाख मीट्रिक टन कार्बन डायॉक्साइड निकलेगी, जो जहरीली गैस होती है.

अमेरिकी पर्यावरण सुरक्षा एजेंसी के मुताबिक इसका मतलब यह होगा कि एक महीने के विश्व कप में इतनी जहरीली गैसें निकलेंगी, जितनी हर साल 5,60,000 कारों से निकलती हैं. फीफा इसके एक हिस्से की भरपाई करेगा. यानी वह पेड़ लगाएगा, जिससे कार्बन डायॉक्साइड की मात्रा कम हो. फीफा के कॉरपोरेस सामाजिक जिम्मेदारी विभाग के अध्यक्ष फेडेरिको अडीशी का कहना है कि वे इस काम में लाखों डॉलर खर्च करने वाले हैं.

तस्वीर: Miguel Schincariol/AFP/Getty Images

लंबा चौड़ा मुकाबला

दुनिया के पांचवें सबसे बड़े देश में 12 शहरों में विश्व कप के 64 मुकाबले होने हैं. कई स्टेडियमों की दूरी हजारों किलोमीटर में है और खिलाड़ियों तथा टीमों के अलावा खेल प्रेमियों के लिए भी सिर्फ हवाई रास्ता ही बचता है. अडीशी ने बताया कि करीब 90 फीसदी कार्बन डायॉक्साइड के लिए खेल प्रेमी जिम्मेदार होंगे. इसके अलावा करीब ढाई लाख टन सीओ2 सीधे फीफा की गतिविधियों से निकलेगी. इनमें टीमों की यात्रा, रेफरी, फीफा अधिकारियों, होटलों और स्टेडियमों से निकलने वाली जहरीली गैस होगी.

अडीशी ने कहा, "इस उत्सर्जन की तो हम 100 फीसदी भरपाई कर देंगे." यह काम ब्राजील में जंगल लगाने के लिए वित्तीय मदद, पवन ऊर्जा, पनबिजली संयंत्र और दूसरे प्रोजेक्ट हैं. इनका एलान अगले साल किया जाएगा. अडीशी कहते हैं कि फीफा इसके लिए करीब 25 लाख डॉलर खर्च करेगा. समझा जाता है कि वर्ल्ड कप में अरबों अरब डॉलर का मुनाफा होगा और यह राशि उसकी तुलना में कुछ भी नहीं है.

तस्वीर: imago stock&people

कितना सीओ2

  • फीफा की अधिकृत रिसर्च के मुताबिक उत्सर्जन कुछ इस प्रकार होगाः
  • जून में हुए कंफेडरेशन कप के दौरान 2,13,706 टन
  • ड्रॉ निकालने और दूसरी तैयारियों में 38,048 टन. इनमें 3000 मेहमानों और पत्रकारों को बुलाया गया.
  • सिर्फ वर्ल्ड कप ड्रॉ में 5221 टन कार्बन डायॉक्साइड का उत्सर्जन हुआ.
  • विश्व कप मुकाबलों में 24.7 लाख टन
  • कुल 27.2 लाख टन

उद्योगों से कम

हालांकि अडीशी इसका बचाव करते हैं, "अगर इसकी तुलना आप दूसरे उद्योगों से करेंगे, तो यह कुछ भी नहीं है." फोर्ड मोटर कंपनी का अंदाजा है कि दुनिया भर में उसकी कंपनियों से 2012 में 51 लाख टन सीओ2 निकला. अनुमान के मुताबिक औसत अमेरिकी घर से हर साल 20 टन कार्बन डायॉक्साइड निकलता है. और कोयले से चलने वाले अमेरिकी उद्योगों से हर साल करीब 35 लाख टन सीओ2.

फीफा की दलील है कि 2010 के दक्षिण अफ्रीकी विश्व कप के दौरान भी काफी उत्सर्जन हुआ और 2018 के रूस विश्व कप में भी काफी होगा. अडीशी कहते हैं, "हमें फुटबॉल का विकास करना है. इसका मतलब लोगों को दुनिया भर में आना जाना होगा. नहीं तो हमें अपना काम रोक देना होगा. लेकिन मैं नहीं समझता हूं कि यह सबके हित में है."

वह कहते हैं कि कई बार यह सवाल उठता है कि क्या "हमें सच में विशाल टेंट की जरूरत है, क्या हमें सच में इतना बड़ा इवेंट करना है" लेकिन उनके मुताबिक, "कभी कभी ये भी उतना ही जरूरी हो जाता है, जितना पर्यावरण संरक्षण."

एजेए/ओएसजे (एपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें