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ज़रदारी पाकिस्तानी तालिबान से बातचीत को तैयार

७ अगस्त २०१०

पाकिस्तान अगर एक ओर आतंकवाद व तालिबान से संघर्ष का दावा कर रहा है, तो उसी के साथ राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी का कहना है कि वह तालिबान के साथ फिर से बातचीत के लिए तैयार होंगे.

बातचीत को तैयार जरदारीतस्वीर: AP

समाचार एजेंसी एपी को दिए गए एक साक्षात्कार में जरदारी ने कहा कि पाकिस्तान ने तालिबान के साथ बातचीत का दरवाज़ा कभी बंद नहीं किया है. वह इस सवाल को टाल गए कि ऐसी बातचीत कब शुरू की जा सकती है. उनका कहना था कि पाकिस्तान सरकार ने बातचीत बंद नहीं की थी. जरदारी का कहना था कि दोनों पक्षों के बीच एक समझौता हुआ, जिसे तालिबान ने तोड़ दिया. जब वे महसूस करेंगे कि सरकार मज़बूत है और वे खुद जीत हासिल नहीं कर सकते हैं, बातचीत फिर से शुरू होगी. जरदारी ने कहा कि यह एक तकलीफ़देह रास्ता है, लेकिन हारने का सवाल ही नहीं पैदा होता.

पिछले साल पाकिस्तान सरकार ने स्वात घाटी में तालिबान के साथ एक समझौता किया था, जिसके तहत इस इलाके में अमली तौर पर उनका नियंत्रण हो गया. लेकिन चरमपंथी उस समझौते की शर्तों पर टिके नहीं रहे और दूसरे इलाकों में घुसपैठ करने लगे. इसके बाद पाकिस्तानी सेना की ओर से पुरज़ोर हमला किया गया. इसमें लगभग ढाई हज़ार सैनिकों की मौत हुई.

पिछले दिनों कई हलकों से कहा जा रहा था कि पाकिस्तान में कुछ तत्व चरमपंथियों की मदद कर रहे हैं. कुछ तबकों का मानना है कि तालिबान पर सैनिक जीत हासिल नहीं की जा सकती, उनसे बातचीत करनी पड़ेगी. लेकिन अमेरिका और कई पश्चिमी देशों की ओर से पाकिस्तान पर दबाव डाला जा रहा है कि बातचीत के बदले तालिबान के ख़िलाफ़ संघर्ष जारी रखा जाए.

पाकिस्तानी तालिबान को देश में हुए अनेक आतंकवादी हमलों के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. अल क़ायदा और अफ़ग़ान तालिबान के साथ उसके नज़दीकी संबंध हैं और न्यूयार्क में टाइम्स स्क्वायर में हमले की विफल कोशिश और दिसंबर में अफ़ग़ानिस्तान में सीआईए के अड्डे पर हमले में भी उसका हाथ माना जाता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

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