जापानी पत्रिका ने 'सेक्स लिस्टिंग' के लिए मांगी माफी
८ जनवरी २०१९
जापानी टेब्लॉयड "स्पा!" में छपी एक सूची की वजह से हंगामा खड़ा हो गया है. साप्ताहिक पत्रिका में छपी सूची में विश्वविद्यालयों की रैंकिग की गई है और बताया गया है कि कहां महिला छात्रों को शराब पिलाके बहकाना आसान है.
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जापानी टेब्लॉयड ने महिला विश्वविद्यालयों की रैंकिंग करने वाले एक लेख के लिए माफी मांगी है. इस लेख में बताया गया था कि कौन से कॉलेज के महिला छात्रों को पार्टियों में यौन संबंध बनाने के लिए समझाना कितना आसान है.
"स्पा!" के 25 दिसंबर के अंक में यह सूची छपी थी जिसकी वजह से इस लेख की काफी आलोचना हुई और ऑनलाइन पर एक महिला ने माफी मांगने और अपमानजनक लेख वाली पत्रिका की बिक्री रोकने के लिए एक अभियान भी शुरु कर दिया. चेंज.ओआरजी प्लेटफॉर्म पर इस याचिका में लेख को महिलाओं के लिए आपत्तिजनक और अपमानजनक बताया गया है. इस याचिका को 28000 लोगों का समर्थन भी मिला है.
जापान में कुछ कंपनियां इतनी असली सी लगने वाली सेक्स डॉल बनाती हैं कि कई जापानी पुरुष अब केवल उन्हें खरीद कर इस्तेमाल ही नहीं कर रहे बल्कि उनके प्यार में पड़ रहे हैं. देखिए सिलिकॉन डॉल के साथ जीने मरने की कसमें खाते लोग.
तस्वीर: Getty Images/B.Mehri
टोक्यो में रहने वाले 45 साल के मासायुकी ओजाकी पेशे से फिजियोथेरेपिस्ट हैं. अपनी शादी में खुशी ना पाने के बाद उन्होंने अपनी रोमांटिक चाहतों को पूरा करने के लिए एक अनोखा रास्ता चुना. वे एक सिलिकॉन की बनी सेक्स डॉल को घर लाये, जिसे अब अपने जीवन का सबसे बड़ा प्यार बताते हैं.
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उनका प्यार यानि मायु, कद काठी में एक जीती जागती महिला के बराबर ही है. मायु के साथ ओजाकी वैसे ही एक ही छत के नीचे रहते हैं जैसे कोई आम व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रहता है. लेकिन अंतर यह है कि इसी छत के नीचे उनकी असल पत्नी और एक टीनएज बेटी भी रहती है.
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जाहिर है कि एक परिवार में ऐसे हालात आम तौर पर नहीं बनते और ओजाकी का उनकी पत्नी से इसको लेकर खूब झगड़ा भी हुआ. लेकिन बाद में पत्नी ने स्थिति से समझौता कर लिया. ओजाकी का कहना है कि बच्ची के जन्म के बाद से उनके और पत्नी के बीच शारीरिक संबंध नहीं रहे और वे बेहद अकेला महसूस करने लगे थे.
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ओजाकी मानते हैं कि उन्हें इंसानों के साथ संबंध बहुत जटिल लगते हैं, खासकर महिलाओं के साथ. उनका कहना है कि उनकी मायु दूसरी महिलाओं की तरह नहीं है और शाम को काम से वापस आने पर इत्मीनान से उन्हें सुनती है. ओजाकी जीते जी ही नहीं मरने के बाद भी उसी के साथ दफनाया जाना चाहते हैं.
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ऐसे विशेष टॉय बेचने वाली एक दुकान में मायु को देखते ही ओजाकी उसके प्यार में पड़ गये. आज अपने साथ सिलिकॉन डॉल को घर में रखने के अलावा वे उसे लेकर बाहर घूमने जाते हैं, उसके लिए नये नये कपड़े और गहने खरीदते हैं और खुद उसे सजाते संवारते भी हैं. जापान में ओजाकी जैसे पुरुषों की तादाद बढ़ रही है.
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जापान में हर साल ऐसी 2,000 से भी अधिक डॉल्स बिक रही हैं. इनकी कीमत 6,000 डॉलर के आसपास है और यूजर उनका सिर, बाल, उंगलियां और अन्य अंग भी हिला डुला सकता है. डॉल मेकर कंपनी ओरिएंट इंडस्ट्री के प्रमुख हिडियो सूचिया बताते हैं कि 1970 के दशक की मामूली डॉल से सेक्स डॉल की तकनीक बहुत आगे आ चुकी है.
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आजकल की सिलिकॉन डॉल देखने और छूने में असली सी लगती हैं और ज्यादा से ज्यादा पुरुष इन्हें खरीद रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे इन डॉल्स से संवाद भी स्थापित कर सकते हैं. ऐसी गुड़िया अब तक विकलांग और विधुर लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हुआ करती थी लेकिन अब इनका दायरा बढ़ा है. आरपी/एमजे(एएफपी)
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एएफपी को मिले पत्रिका के संपादकीय विभाग के एक बयान में ये कहा गया है कि "हम पाठकों से सनसनीखेज भाषा का उपयोग करने के लिए क्षमा चाहते हैं जिसमें हमने ये बताया था कि कैसे वे कुछ विश्वविद्यालयों की महिला छात्रों के साथ अंतरंग हो सकते हैं. हमने इसके लिए असली विश्वविद्यालय के नामों की एक सूची भी बनाई थी जिसकी वजह से हमारे कुछ पाठक नाराज हो गए हैं."
लेख में एक ऐसी पार्टी की बात हो रही थी जिसको "ग्यारानोमी" या ड्रिंगकिंग पार्टी के नाम से जाना जाता है. इस पार्टी का हिस्सा बनने के लिए मर्द औरतों को पैसे देते हैं. लेख में ये भी कहा गया था कि इस तरह की पार्टियां कॉलेज की महिला छात्रों में लोकप्रिय हैं. लेख में एक ऐसे सॉफ्टवेयर डेवलपर का इंटरव्यू भी हैं जिसने ऐसा ऐप बनाया है जिसकी मदद से मर्दों और औरतों को पार्टी में बुलाने के लिए सही लोग मिलेगे.
मैगजीन ने कहा कि सूची में जो जानकारी दी गई है वह सॉफ्टवेयर डेवलपर के इंटरव्यू पर ही आधारित थी. मैगजीन के बयान में ये भी कहा गया कि "एक मैगजीन होने के नाते सेक्स से जुड़े मुद्दों पर हम विभिन्न विचारों को सुनेंगे." मगर इस बात के कोई संकेत नहीं थे कि आपत्तिजनक अंक की बिक्री को रोका जाऐगा.
जी-7 देशों की उस सूची में, जिसमें राजनीति और व्यापार में महिलाओं के प्रतिनिधित्व की बात की गई है, जापान सबसे नीचे है. वहां #MeToo आंदोलन ने भी कभी जोर नहीं पकड़ा. पिछले साल एक प्रमुख चिकित्सा विश्वविद्यालय ने स्वीकार किया था कि वहां कई बार महिला आवेदकों के स्कोर को कम कर दिया जाता है ताकि छात्र संगठन में महिलाओं की संख्या 30 प्रतिशत के आस पास रहे. फिर एक जांच में पता चला कि कई और संस्थानों में भी ऐसा होता था.
एनआर/एमजे (एएफपी)
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