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जापान के परमाणु संयंत्र में धमाका

१२ मार्च २०११

जापान के मुख्य कैबिनेट सचिव ने इस बात की पुष्टि कर दी है कि टोक्यो के परमाणु बिजली घर में धमाके के बाद नाभिकीय रिसाव हुआ है. परमाणु संयंत्र के आस पास 20 किलोमीटर के घेरे से लोगों को बाहर निकाला जा रहा है.

तस्वीर: DW

जापानी मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक धमाके से एक रिएक्टर की छत उड़ गई. जापान की जीजी समाचार एजेंसी ने खबर दी है कि धमाके ने 40 साल पुराने फुकुशिमा दाइची परमाणु बिजली घर के एक रिएक्टर की छत उड़ा दी है. टीवी पर आ रही तस्वीरों में इस संयंत्र से सफेद रंग का धुंआ उड़ता दिख रहा है. दाइची बिजली घर राजधानी टोक्यो से 240 किलोमीटर दूर उत्तर की दिशा में है.

और बड़े दायरे से हटाए जाएंगे लोग

मुख्य सचिव यूकियो इदानो ने कहा, "हम परमाणु रिसाव की स्थिती और कारणों पर निगाह रखे हुए हैं और ज्यादा जानकारी मिलने के बाद लोगों को इसकी सूचना दी जाएगी. अब तक 10 किलोमीटर के दायरे से लोगों का हटाया जा रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री के आदेश के बाद अब 20 किलोमीटर के दायरे से लोगों का हटाया जा रहा है. जापान ने इससे पहले जापान सरकार ने बिजली घर के एक परमाणु रिएक्टर में दुर्घटना होने की आशंका जताई थी. एक दिन पहले उत्तरी किनारों पर आए भयानक भूकंप और सूनामी के कारण इसे नुकसान पहुंचा. हालाकि परमाणु विकिरण का जोखिम कम होने की बात कही जा रही है. इदानो ने ये भी बताया कि फुकुशिमा दाइनी परमाणु संयंत्र के पास और बड़े दायरे से लोगों को हटाने पर विचार किया जा रहा है.

जापान में भूकंप से नुकसानतस्वीर: AP

दबाव कम करने की कोशिश

धमाका तब हुआ जब प्लांट के कर्मचारी रिएक्टरों पर दबाव घटाने के लिए तेजी से काम कर रहे थे क्योंकि ऐसा नहीं किया जाता तो विकिरण के वातावरण में फैलने के खतर हो सकता था. परमाणु रिसाव के जोखिम के बारे में जानकारी देने वाली एजेंसी ने बताया," अगर तापमान का बढ़ना नहीं रोका गया तो रिएक्टरों से बड़ी मात्रा में रिसाव हो सकती है." एनएचके टीवी और जीजी ने खबर दी है कि जिस इमारत में रिएक्टर है उसके बाहरी हिस्सा धमाके में उड़ गया है. इससे पहले कहा गया कि बहुत कम मात्रा में एडियोएक्टिव भाप बाहर निकाला गया है जिससे कि दबाव को कम किया जा सके. विकिरण के कारण ज्यादा नुकसान नहीं होने की बात कही जा रही है क्योंकि पहले ही हजारों लोगों को इलाके से बाहर निकाल दिया गया है.

जापान ने ब्रिटेन से मदद मांगी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः ईशा भाटिया

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