जापान में चिड़िया की तरह चहचहाएंगे चूहे
२१ दिसम्बर २०१०ओसाका विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की टीम ने अपने इवॉल्व्ड माउस प्रोजेक्ट के तहत ये चूहा तैयार किए. इसके लिए जेनेटिकली मॉडिफाइड यानी ऐसे चूहे का इस्तेमाल किया गया जिन्हें अनुवांशिक गुणों में बदलाव करके तैयार किया गया. इन चूहों में बदलाव की प्रवृत्ति होती है. मुख्य शोधकर्ता अरिकुनी उचिमुरा बताते हैं कि बदलाव ही विकास की वजह बनता है. काफी समय से जेनेटिकली मॉडीफाइड चूहों को अन्य चूहों से ब्रीड कराया जाता है.
उचिमुरा ने बताया, "हमने नए पैदा हुए चूहों को एक एक करके परखा. एक दिन हमने पाया कि एक चूहा चिड़िया की तरह गा रहा था." उचिमुरा ने साफ किया कि गाने वाला यह चूहा इत्तेफाक से पैदा हुआ है. अब इसके गुण कई पीढ़ियों तक रहेंगे.
उचिमुरा कहते हैं कि इस चूहे को देखकर वह हैरान रह गए. उन्होंने बताया, "मैं उम्मीद कर रहा था कि चूहों का शारीरिक आकार बदलेगा. इसी प्रोजेक्ट में हम ऐसे चूहे तैयार कर चुके हैं जिनके अंग बाकी चूहों से छोटे थे."
ओसाका यूनिवर्सिटी की इस लैब में अब 100 से ज्यादा चहचहाते चूहे हैं. इन पर शोध को आगे बढ़ाया जा रहा है. वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इससे इंसानी जबान के विकास की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी. अन्य देशों में इसे समझने के लिए पक्षियों का अध्ययन किया जाता है.
वैज्ञानिकों ने पाया है कि पक्षी गाने या बोलने के लिए आवाज के अलग अलग तत्वों का इस्तेमाल करते हैं. वे इन तत्वों को वैसे ही एक साथ रखते हैं जैसे हम इंसान अलग अलग शब्दों को जोड़कर भाषा बनाते हैं. यूं भी कहा जा सकता है कि पक्षियों की भाषा के भी कुछ नियम होते हैं.
उचिमुरा कहते हैं कि इस मामले में चूहे पक्षियों से बेहतर होते हैं क्योंकि वे स्तनधारी हैं. उनके मस्तिष्क की सरंचना इंसानी सरंचना जैसी ही होती है.
अब वैज्ञानिक यह देख रहे हैं कि गाने वाले चूहों का सामान्य चूहों पर क्या असर होता है. यानी चूहों की सामाजिकता पर इसका क्या प्रभाव होता है.
रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार
संपादनः ए कुमार