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जापान में बुजुर्गों पर टूटा कहर

१८ मार्च २०११

जापान के भूकंप और सूनामी ने देश के बुजुर्गों पर कहर बरपाया है. जिन इलाकों पर इन आपदाओँ की मार पड़ी है उनमें बुजुर्गों की तादाद ज्यादा है. इनकी रातें अब राहत शिविरों में बिजली, पानी और खाने की कमी के बीच कट रही हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

उत्तर पूर्वी जापान के जिस इलाके पर 9 तीव्रता वाले भूकंप और सूनामी ने तबाही बरसाई वहां के निवासियों की औसत उम्र देश के बाकी हिस्सों के मुकाबले ज्यादा है. यहां रहने वाले ज्यादातर लोग ऐसे हैं जिनकी अगली पीढ़ी काम और अच्छे रोजगार की तलाश में बड़े शहरों का रुख कर चुकी है. इसके अलावा एक तबका उन लोगों का भी है जो पूरा जीवन शहरों की आपाधापी और भागमभाग में गुजारने के बाद शांत वातावरण के साए में यहां रह रहे हैं. दोनो ही तरह के लोग अकेलेपन में जीवन का आखिरी पड़ाव पार कर रहे है और इन पर ये संकट ज्यादा भारी पड़ा है.

अब बस यादें और तस्वीरें बची हैंतस्वीर: AP/Kyodo News

खास तौर पर बूढ़े लोगों के लिए बने घरों पर आपदाओं की ज्यादा मार पड़ी है. मियागी में मिनामी सानरिकु किनारे से बस 10 मीटर की दूरी पर था. यहां रहने वाले 170 में 30 लोगों का अब भी कोई अता पता नहीं है. इन लोगों के परिवार वाले अपने मां बाप और दादा दादी की तलाश मलबों के ढेर में कर रहे हैं. अपने घरवालों को ढूंढते एक शख्स ने राहतकर्मियों से गुहार लगाई, "कृपा करके मेरा परिवार ढूंढने में मेरी मदद करो. मुझे लगता है कि वो घायल हुए हैं और उन्हें इलाज के लिए किसी अस्पताल ले जाया गया है."

स्कूलों और दूसरे सामुदायिक इमारतों में राहत शिविर बना दिए गए हैं लेकिन यहां भी ईंधन, खाना, कंबल और दूसरी बुनियादी चीजों की भारी दिक्कत है. बूढ़े लोगों को मौसम की मार भी झेलनी पड़ रही है. ये लोग दिन के वक्त भी एक दूसरे को घेर कर बैठे रहते हैं ताकि खुद को गर्म रख सकें. 70 साल के एक बुजुर्ग ने कहा, "मैने खुद को दो तीन कंबलों में लपेट रखा है फिर भी मुझे नींद नहीं आती."

तस्वीर: AP/Kyodo News

फुकुशिमा परमाणु संयंत्र में विकिरण के कारण बड़ी तादात में लोगों को अपना घर छोड़ना पडडा है. इनमें बुजुर्गों की तादाद भी काफी ज्यादा है. एक गुट में 14 बुजुर्ग अपना घर छोड़ कर जा रहे ते इनमें दो की मौत बस में ही हो गई जबकि दो ने राहत शिविर में पहुंचने के कुछ ही देर बाद दम तोड़ दिया. वो लोग जो पहले से ही बीमार हैं उनके लिए जगह बदलना बेहद परेशानी भरा साबित हो रहा है. कई बुजुर्ग तो ऐसे भी हैं जो राहत शिविरों तक पहुंच ही नहीं पाए हैं. 20 किलोमीटर के दायरे से तो लोगों को बाहर निकाल दिया गया पर 20 से 30 किलोमीटर के दायरे में अभी भी काफी लोग फंसे हुए हैं. यहां बिजली पानी और भोजन के साथ ही परमाणु विकिरण का खतरा भी सिर पर मंडरा रहा है. इन लोगों को दरवाजा खिड़की बंद कर अपने घरों के भीतर रहने को कहा गया है. बुजुर्गों के घर फुकुजू में 130 बुजुर्ग फंसे हुए हैं.

राहत के काम में जुटे सातोमी सुजुकी कहती हैं, "हम इन लोगों को सुरक्षित जगहों पर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. हम सरकार से मदद के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं पर मदद अब तक हमारे पास नहीं पहुंची है. तापमान शून्य से पांच डिग्री नीचे चला गया है और बुजुर्ग जम जाने की हालत में पहुंच गए हैं."

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एमजी

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