जापान में 100 साल से ज्यादा उम्र के 92 हजार से ज्यादा लोग
१५ सितम्बर २०२३जापान बुजुर्गों की संख्या के मामले में काफी पहले से ही बाकी देशों की तुलना में आगे है. जापान सरकार के स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी नए आंकड़े बता रहे हैं कि अब देश में इनकी संख्या 92,139 तक जा पहुंची है. 100 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों में पिछले एक साल में 1,613 और लोग जुड़ गए हैं. एशियामें चीन और जापान ही ऐसे दो देश हैं जहां आबादी के सिकुड़ने को लेकर चिंता है.
जब धरती पर रह गए थे सिर्फ 1,280 लोग
शतायु लोगों में 88 फीसदी औरतें
ताजा सर्वे के मुताबिक शतायु लोगों में 88 फीसदी महिलाएं हैं. जापान में जीवन प्रत्याशा महिलाओं के लिए 87 साल और पुरुषों के लिए 81 साल है. 1963 में पहली बार जापान में 100 से ऊपर की उम्र वाले लोगों की गिनती की गई थी. तब यह संख्या 153 थी. 1998 में यह संख्या बढ़ कर 10,000 के पार चली गई. 10 हजार से 50 हजार का आंकड़ा पार करने में महज 14 साल लगे और 2012 में यह मुकाम हासिल हुआ.
जिस तरह यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है उसमें इसके जल्दी ही एक लाख के पार जाने की उम्मीद की जा रही है. हालांकि आबादी के इन आंकड़ों में एक बोझ भी छिपा है जो जापान के लिए नई मुश्किलें पैदा कर रहा है. बीते कई दशकों से लोगों की उम्र बढ़ने के साथ ही यहां जन्मदर नीचे गई है. इसके नतीजे में कामकाजी लोगों की तादाद घट गई है और तमाम दूसरे कामों के साथ ही बुजुर्गों का ख्याल रखने में खासी परेशानी हो रही है.
चीन में जन्म दर अब तक की सबसे कम हुई
जापान की सिकुड़ती आबादी
दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में बुजुर्ग लोगों की संख्या किसी भी और औद्योगिक देश के मुकाबले तेजी से बढ़ रही है. जापान की आबादी भी रिकॉर्ड दर से सिकुड़ती जा रही है. पिछले साल जापान की आबादी एक साल पहले की तुलना में 8,01,000 कम हो कर 12.24 करोड़ पर आ गई. जब से आबादी के आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं तबसे यह किसी भी देश की आबादी में सबसे बड़ी कमी है. जापान के लोग अपना ज्यादातर समय काम में बिताते हैं और उनके पास परिवार या दूसरे कामों के लिए उतना समय नहीं होता, यही कारण है कि आबादी तेजी से सिकुड़ रही है.
बीते सालों में जापान की सरकार ने कामकाजी लोगों को बच्चे पैदा करने और पालने में सुविधा देने के लिए कई तरह की योजनाएं शुरू की. सरकरा लोगों को प्रोत्साहित करने में भी जुटी है. हालांकि इसका कोई खास नतीजा अब तक नहीं आया है. बेहतर सुविधाएं और तकनीक लोगों की आयु तो बढ़ा रही हैं लेकिन बच्चे पैदा करने में लोग दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. आबादी के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल वहां सिर्फ सात लाख बच्चे पैदा हुए.
एनआर/ओएसजे (डीपीए)