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जापान संकटः परमाणु ऊर्जा पर छिड़ी नई बहस

१५ मार्च २०११

जापान में आए भूकंप और सूनामी ने दुनिया को एक बार फिर हिला दिया है. लेकिन इस प्राकृति त्रासदी से जापान के परमाणु बिजली संयंत्रों को जो नुकसान हुआ है, उससे परमाणु ऊर्जा के इस्तेमाल पर नई बहस शुरू हो गई है.

तस्वीर: AP

प्रशांत महासागर में रिंग ऑफ फायर के आसपास स्थित देश असल में ज्वालामुखी के ढेर पर खड़े हैं. जापान के अलावा इस रिंग ऑफ फायर के दायरे में इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, अमेरिका के कुछ हिस्से और लैटिन अमेरिका के कई देश आते हैं. इन देशों में भूंकप और ज्वालामुखी फटने की घटनाएं अकसर होती रही हैं. खास कर 2004 में आई सूनामी से इस क्षेत्र के कई देशों को भयानक तबाही झेलनी पड़ी.

जापान से सीखे भारततस्वीर: AP

मुश्किल में एशिया प्रशांत

इसी क्षेत्र में पड़ने वाला जापान शुक्रवार को आए लगभग 9 तीव्रता वाले भूकंप के बाद भारी तबाही को झेल रहा है. एशिया प्रशांत क्षेत्र आर्थिक प्रगति के लिहाज से दुनिया में अहम स्थान रखता है. जापान और दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों के साथ इस क्षेत्र की उभरती हुई दूसरी आर्थिक ताकतों की ऊर्जा जरूरतें लगातार बढ़ रही हैं जिसे पूरा करने के लिए परमाणु बिजली संयंत्रों की भी मदद ली जा रही है. ऊर्जा हासिल करने का यह तरीका चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में ज्यादा इस्तेमाल किया जा रहा है.

अब एक तरफ जापान में हाल में आए भूकंप के कारण परमाणु बिजली संयंत्रों को नुकसान पहुंचा है तो दूसरी तरफ चीन ने अपनी परमाणु योजना में व्यापक विस्तार का फैसला किया है. इस बारे में चीन के पर्यावरण मंत्री चांग लिचुन कहते हैं, "चीन अपनी परमाणु योजनाओं के सिलसिले में जापान के हालात से सबक जरूर सीखेगा, लेकिन ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा हासिल करने के लिए बनाई गई योजना में कोई बदलाव नहीं होगा." चीन में अगले चार साल के दौरान 28 नए परमाणु बिजली संयंत्र लगाए जाएंगे. चीन में इस योजना का कोई विरोध नहीं है.

भारत की बढ़ती भूख

चीन के बाद भारत एशिया में बड़ी आर्थिक ताकत के तौर पर उभर रहा है और उसकी ऊर्जा की भूख भी इसी रफ्तार से बढ़ रही है. परमाणु बिजली घरों की सुरक्षा के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सोमवार को संसद में कहा, "आईएईए और परमाणु उद्योग को निर्देश दिए गए हैं कि वे हमारे सभी परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का तुरंत तकनीकी निरीक्षण करें. खास कर उन पक्षों पर ध्यान दिया जाए जो भूकंप और सूनामी जैसी प्राकृतिक आपदा से प्रभावित हो सकते हैं." भारत में भी ऊर्जा की बढ़ती जरूरत परमाणु प्लांटों से प्राप्त करने पर कोई विरोध के सुर नहीं सुनाई पड़ते.

दक्षिण कोरिया का क्या होगा

उधर दक्षिण कोरिया भी अपने 20 मौजूदा परमाणु बिजली घरों के व्यापक विस्तार की योजना बना रहा है. 14 नए संयंत्र लगाने की भी योजना है. वहां परमाणु बिजली को ऊर्जा के अच्छे स्रोत के तौर पर देखा जाता है. अकसर भूकंप और ज्वालामुखियों के लिए सुर्खियों में रहने वाले इंडोनेशिया में फिलहाल कोई परमाणु संयंत्र नहीं है, लेकिन इसके वहां योजना काफी समय से बन रही है.

खास कर जावा जैसे घनी आबादी वाले द्वीप पर परमाणु प्लांट लगाने का विरोध भी हो रहा है. जापान के संकट के बाद ऐसी योजनाओं पर फिर से विचार किया जा सकता है.

रिपोर्टः जिबिले गोल्टे, हेड, एशिया विभाग

संपादनः ए कुमार

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