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जिंदल अमेरिका में सबसे लोकप्रिय गवर्नर

३१ दिसम्बर २०१०

भारतीय मूल के बॉबी जिंदल अमेरिका में सबसे लोकप्रिय गवर्नर बन गए हैं. अमेरिकी सर्वे में यह बात सामने आई. 40 साल से भी कम उम्र के जिंदल अमेरिकी प्रांत लुजियाना के गवर्नर हैं और रिपब्लिकन पार्टी के तेजी से उभरते हुए सितारे.

तस्वीर: AP

पब्लिक पॉलिसी पोलिंग के सर्वे में बताया गया है कि 58 फीसदी लोगों ने जिंदल के काम की तारीफ की है, जबकि 34 प्रतिशत लोगों ने उनका काम पसंद नहीं किया है. जिंदल अमेरिका के सबसे चर्चित गवर्नरों में गिने जाने लगे हैं और अगले साल वह दोबारा लुजियाना प्रांत के गवर्नर का चुनाव लड़ना चाहते हैं.

जिंदल के बाद कनेक्टिकट के गवर्नर जोडी रेल का नंबर आ रहा है, जिन्हें 55 फीसदी लोगों का समर्थन मिला है. जल्द ही कैलिफोर्निया के गवर्नर का पद छोड़ने जा रहे पूर्व हॉलीवुड स्टार अर्नाल्ड श्वाज्नेगर अमेरिका के सबसे अलोकप्रिय गवर्नर बन गए हैं. उन्हें सिर्फ 25 फीसदी लोग ही पसंद कर रहे हैं.

जॉन मैकेन और सैरा पेलिनतस्वीर: AP

बॉबी जिंदल ने 2003 में सिर्फ 32 साल की उम्र में लुजियाना प्रांत के गवर्नर का चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें मामूली अंतर से हार का सामना करना पड़ा. उस वक्त भी पूरे अमेरिका में उनकी खूब चर्चा हुई. उनके धर्म और मान्यताओं को लेकर लोगों में भ्रांति थी और जानकारों का कहना है कि यही उनकी हार की वजह भी बन गई. मूल रूप से पंजाब के बॉबी का पूरा नाम पीयूष अमृत सुभाष चंद्र बॉबी जिंदल है. बाद में उन्होंने साफ कर दिया कि वह ईसाई बन चुके हैं और रोमन कैथोलिक धर्म का पालन करते हैं.

चार साल बाद 2007 में हुए चुनावों में जिंदल को जबरदस्त जीत मिली. उन्हें 54 फीसदी मत मिले. वह अमेरिका में भारतीय मूल के पहले गवर्नर बने हैं. इसके बाद से वह अमेरिका के सबसे लोकप्रिय गवर्नरों में एक बने हुए हैं. वह जॉर्ज बुश की रिपब्लिकन पार्टी के उभरते हुए स्टार भी हैं और बताया जाता है कि अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में भी भाग्य आजमा सकते हैं और उनकी संभावनाएं भी अच्छी हैं. हालांकि खुद बॉबी जिंदल इस बात से इनकार करते रहे हैं और कहते हैं कि उन्हें अपने राज्य लुजियाना से सबसे ज्यादा प्यार है.

चर्चा थी कि दो साल पहले अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जॉन मैकेन ने बॉबी जिंदल को उप राष्ट्रपति पद के लिए खड़ा करने की कोशिश की थी. हालांकि इस बात की कभी पुष्टि नहीं हो पाई.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः महेश झा

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