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जिम्बाब्वे में आधे हुए एचआईवी के मामले

९ फ़रवरी २०११

जिम्बाब्वे में संक्रमण के डर और बड़े पैमाने पर सामाजिक बदलाव से एचआईएवी के मरीजों की संख्या में काफी कमी देखने को मिली है. जानकारों का कहना है यह पूरे अफ्रीका के लिए सबक है कि कैसे एड्स से लड़ना है.

तस्वीर: AP

ब्रिटिश रिसर्चरों का कहना है कि जिम्बाब्वे दुनिया के उन देशों में रहा है जहां एड्स के सबसे ज्यादा मामले पाए जाते हैं. 1997 में वहां 29 फीसदी आबादी एचआईवी से संक्रमित थी लेकिन 2007 तक यह आंकड़ा 16 प्रतिशत ही रह गया. रिसर्च में पता चला है कि लोगों में एड्स से होने वाली मौतों को लेकर बढ़ी जागरुकता ने ही उन्हें इस बीमारी से बचने के लिए प्रेरित किया. अब वे सुरक्षित यौन संबंधों की अहमियत को अच्छी तरह समझ रहे हैं.

इस रिपोर्ट पर काम करने वाले लंदन के इंपीरियल कॉलेज के टिमोथी हालेट कहते हैं, "एचआईवी महामारी अब भी विशाल है. हमें उम्मीद है कि जिम्बाब्वे और अफ्रीका के दक्षिणी देश इस रिपोर्ट के नतीजों से सबक लेंगे और एचआईवी संक्रमण को कम करने के लिए अपने कोशिशें और तेज करेंगे."

संयुक्त राष्ट्र के ताजा आंकड़े दिखाते हैं कि दुनिया भर में लगभग 3.33 करोड़ लोग एचआईवी संक्रमण का शिकार हैं और इनमें से ज्यादातर अफ्रीका के सहारा के आस पास के इलाके में रहते हैं. इस वायरस को कई दवाइयों से नियंत्रित किया जा सकता है, लेकिन इसके कारगर इलाज के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बन पाई है. 1980 के दशक में सामने आने के बाद अब तक इस बीमारी से तीन करोड़ लोग मारे जा चुके हैं.

लंदन इंपीरियल कॉलेज के ही सिमोन ग्रेसन का कहना है कि सब सहारा अफ्रीकी देशों में एचआईवी संक्रमण की तेज दर को देखते हुए यह समझना जरूरी है कि जिम्बाब्वे में कैसे उसके मामले घट रहे हैं. उनके मुताबिक, "दुनिया के बहुत कम देशों में एचआईवी संक्रमण में कमी देखने को मिली है. इनमें से भी जिम्बाब्वे में संक्रमण में इतनी गिरावट आएगी, यह बात कम ही लोगों ने सोची होगी."

एड्स जानकारों का कहना है कि हाल के सालों में गरीब देशों में भी एड्स ने निपटने की दवाएं उपलब्ध होने लगी हैं, लेकिन जब तक रोकथाम की कोशिशों को और प्रभावी नहीं बनाया जाएगा, इस बीमारी के खिलाफ जंग जीत पाना मुश्किल है. यह बीमारी ज्यादातर असुरक्षित यौन संबंधों के कारण फैलती है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ए जमाल

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