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'जिरगा का जिक्र किया तो जान ले लेंगे '

२६ अक्टूबर २०११

अफगान तालिबान ने चेतावनी देते हुए कहा है कि जो कोई भी लोया जिरगा में हिस्सा लेगा उसे जान से हाथ धोना पड़ेगा. लोया जिरगा राष्ट्रीय सभा को कहा जाता है. इसमें अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अड्डों के भविष्य पर चर्चा होगी.

तालिबान की धमकी इस बार काफी चौंकाने वाले अंदाज में आई. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने अंग्रेजी में भेजे गए संदेश में कहा, "यह पूरे देश के लिए है और इसके घातक परिणाम होंगे." चेतावनी में कहा गया है कि जो कोई नेशनल असेंबली में हिस्सा लेगा उसे या तो मार दिया जाएगा या सजा दी जाएगी.

निशाना बनाने की धमकी

जबीउल्लाह मुजाहिद ने तालिबान के समर्थकों से "हर सुरक्षाकर्मी, लोया जिरगा में भाग लेने की सोच रखने वाले लोगों, प्रतिभागियों और इस बारे में बातचीत करने वाले हर शख्स" को निशाना बनाने के लिए कहा है. चार दिन का लोया जिरगा नंबवर के आखिरी दिनों में राजधानी काबुल में होना है.

उम्मीद है कि इसमें 2,000 नेता, कबायली बुजुर्ग, समुदायों के नेता, व्यापारी और नागरिक समाज के प्रतिनिधि आएंगे. लोया जिरगा विचार विमर्श सभा ही है. सरकार इसके फैसले मानने के लिए कानूनी रूप से बाध्य नहीं है.

तालिबान अक्टूबर की शुरुआत में कह चुका है कि अफगानिस्तान से जब तक सभी विदेशी फौजें नहीं हटती वह लड़ता रहेगा. अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई और पश्चिमी देशों के नेता यह कहते रहे हैं कि 2014 के अंत तक विदेशी फौजें अफगानिस्तान छोड़ देंगी. लेकिन पश्चिमी देशों का कहना है कि वे अफगानिस्तान को वित्तीय और सैन्य प्रशिक्षण संबंधी मदद देते रहेंगे.

तस्वीर: APP

हिंसा में तेजी

एक लाख तीस हजार विदेशी सैनिकों के बावजूद अफगानिस्तान में इस साल हिंसा में तेजी आई है. तालिबान से गुपचुप बातचीत की कोशिशें रंग नहीं ला सकीं. तालिबान ने राष्ट्रपति हामिद करजई के भाई समेत कई कद्दावर लोगों की भी हत्या की. हालांकि नाटो का कहना है कि बीते कुछ हफ्तों में हिंसा में कमी आई है.

इस बीच अधिकारियों ने कहा है कि जिम्मेदारी सौंपने के दूसरे चरण में अफगानिस्तान के 17 इलाकों में विदेशी सेना सुरक्षा की जिम्मेदारी अफगान सैनिकों के हाथ में दे देगी. राष्ट्रपति हामिद करजई इस संबंध में एक घोषणा अगले सप्ताह कर सकते हैं. नाटो के नेतृत्व वाली सेना और करजई के बीच हुए एक समझौते के अनुसार विदेशी सेना 2014 तक अफगानिस्तान छोड़ देगी और अफगान पुलिस तथा सेना को देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंप देगी. 17 इलाकों की सूची में सात अपेक्षाकृत शांत प्रांत हैं. उसके अलावा दूसरे प्रांतों के जिलों को अफगान नियंत्रण में दे दिया जाएगा.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: महेश झा

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